कोलकाता. आज मंगलवार को पद्मश्री सिस्टर एम. सिरिल मूनी का पार्थिव शरीर को पूर्ण ईसाई धर्मरीति के अनुसार दफन कर दिया जाएगा.कोलकाता महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष थोमस डिसूजा के द्वारा मिडलटन रो स्थित संत थोमस चर्च में पद्मश्री सिस्टर एम. सिरिल मूनी का पार्थिव शरीर को रखकर अंतिम बार पवित्र मिस्सा 3:00 बजे अर्पित करेंगे. मालूम हो कि भारत सरकार के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री पुरस्कार की विजेता सिस्टर एम. सिरिल मूनी का निधन शनिवार 24 जून को लोरेटाे हाउस,कोलकाता में हो गया था. वे 86 साल की थीं.उनका जन्मदिन 21 जुलाई को है. वे आयरलैंड की मूल निवासी थी सिस्टर एम. सिरिल मूनी. उनका जन्म 21 जुलाई 1936 को हुआ था.वह इंस्टीट्यूट ऑफ द ब्लेस्ड वर्जिन मेरी (आईबीवीएम, लोरेटो) की सिस्टर हैं. एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त शैक्षिक प्रर्वतक धर्मसमाज है.वह 10 अक्टूबर 1956 से भारत में रह रही हैं और काम कर रही हैं, जहां वह शहरी और ग्रामीण गरीब बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लाने में एक राष्ट्रव्यापी नेता के रूप में उभरी हैं. शिक्षा के क्षेत्र में प्रभावशाली कृत्य करने के लिए राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने 23 मार्च 2007 को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में एक अलंकरण समारोह में सिस्टर एम सिरिल मूनी (शिक्षक सह सामाजिक कार्यकर्ता) को पद्म श्री प्रदान किये थे. कोलकाता में सिस्टर एम. सिरिल मूनी को लेकर जोरदार चर्चा है कि शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में प्रभावशाली ढंग से कृत्य करने के उपरांत भारत सरकार ने सिस्टर को पद्मश्री अवार्ड देने के लिए चयन किया था.इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने 23 मार्च 2007 को सिस्टर को पद्मश्री अवार्ड देकर सम्मानित किये थे.उसके आलोक में रोम में रहने वाले पोप फ्रांसिस सिस्टर एम. सिरिल मूनी को 'संत' घोषित करें. पद्मश्री सिस्टर धन्य वर्जिन मेरी संस्थान (आईबीवीएम) से जुड़ी थी.जिसके सदस्यों को आमतौर पर लोरेटो सिस्टर्स के रूप में जाना जाता है, 1609 में एक अंग्रेज, मेरी वार्ड द्वारा सेंट-ओमेर में स्थापित शिक्षा के लिए समर्पित महिलाओं की एक रोमन कैथोलिक धार्मिक मण्डली है.मण्डली इसका नाम लेती है इटली के लोरेटो में मैरियन मंदिर जहां मेरी वार्ड प्रार्थना करता था.
मंगलवार, 27 जून 2023
अंतिम बार पवित्र मिस्सा 3:00 बजे अर्पित करेंगे
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