आलेख : सिर्फ आसनों का समुच्चय नहीं, बल्कि जीवन पद्धति है योग - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 19 जून 2023

आलेख : सिर्फ आसनों का समुच्चय नहीं, बल्कि जीवन पद्धति है योग

आज देश भर में योग के प्रति लोगों में जागरुकता आयी है। बच्चे, युवा, बुजुर्ग, महिलाएं, नेता, मंत्री, सरहद पर तैनात जवान से लेकर अधिकतर लोग योगासन कर रहे हैं. इसका बड़ा श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है। उन्हीं के निर्देशन में 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र की महासभा में 193 देशों ने सर्वसम्मति से हर वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव पास किया था, जो इन नौ सालों में अब एक वट वृक्ष का रुप ले चुका है। मतलब साफ है योग दिवस एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम जरूर है लेकिन इसकी आत्मा में भारत है। योग भारत का सबसे बड़ा ब्रांड है। योग सबसे प्राचीन प्रोडक्ट है जिसका आविष्कार भारत में हुआ। जिसे भारत में ही डिजाइन किया गया। योग पर सबसे बड़े प्रयोग भी भारत में ही हुए और आज पूरी दुनिया इस प्राचीन प्रोडक्ट यानी योग का इस्तेमाल कर रही है। हालांकि योग का किसी राजनीतिक पार्टी से भी कोई लेना देना नहीं है। लेकिन यह सच है कि पूरी दुनिया में जहां-जहां सूरज उगता है, वहां लाखों की संख्या में लोग योगासन कर रहे है। दुनिया भर के करीब 180 देशों के लोगों ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को आत्मसात किया है। इस साल 21 जून को 9वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जायेगा। इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत पर वन वर्ल्ड, वन हेल्थ रखी गई है
 

Yoga-life-style
21 जून वो दिन है जब पूरी दुनिया योग को सलाम करती है और योग को अपनाने का प्रण करती है. योगा डे मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में योग को लेकर जागरुकता पैदा करना है. इस दिन योग के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है, इसके फायदे बताए जाते हैं. जिससे लोग रोजाना योगाभ्यास करने का समय निकाल सकें. योग करने से शरीर फिट और तंदरुस्त रहता है. नियमित योग करने से कई बीमारियां दूर रहती हैं. कहा जा सकता है योग सिर्फ आसनों का समुच्चय नहीं है बल्कि जीवन पद्धति है, योग शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से स्वस्थ रहने की वैज्ञानिक पद्धति है. योग भारत के प्राचीन इतिहास और विविधता का प्रतीक है. यह विश्व को स्वस्थ जीवन का मार्ग दिखा रहा है. योग ही साधना है, देश का एक अनमोल वरदान है। देखा जाएं तो योग सिर्फ आज का ही विषय नहीं है, वरन् हर युग में, हर काल में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग साधना की जाती रही है. विभिन्न राजा व साधु-संतु भी योग के द्वारा ही असाध्य कार्यों को करने में सक्षम रहे हैं.


योग करने से और ध्यान लगाने से वे कठिन से कठिन परिस्थिति में भी विचलित नहीं होते थे. आज की जीवनशैली में जब जिंदगी काफी तनाव भरी हो गई है. योग मन-मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है. आज मनुष्य अनेक रोगों से ग्रसित हैं. असाध्य रोगों पर भी योग के द्वारा विजय पाई जा सकती है. योग हमारी दिनचर्या का अनिवार्य हिस्सा होना चाहिए. योग आपके शरीर, आपके मन और आपकी आत्मा को शक्ति प्रदान करता है. योग दुनिया को भारत का सबसे बड़ा तोहफा है, क्योंकि योग पूरी दुनिया में करोड़ों लोगों के लिए सुख, शांति और स्वस्थ जीवन की कुंजी बन गया है। कहते हैं मानव जन्म बड़ी मुश्किल से मिलता है. श्रेष्ठतम मानव शरीर का मिलना अच्छे कर्मो का ही फल है. विभिन्न योनियों में जन्मे जीव स्वेच्छा से जीवनयापन नहीं कर पाते किंतु मनुष्य अपनी सोच और कर्मो से कुछ भी कर सकता है. इस अमूल्य शरीर को पाकर इसे स्वस्थ रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक शांति हमें योग के द्वारा ही प्राप्त हो सकती है.


योग स्वस्थ जीवन जीने का एक ऐसा मंत्र है जिसके लिए आपको कोई पैसा खर्च नहीं करना होता। यानी ये दुनिया को भारत की तरफ से मिला ऐसा तोहफा है जो अमूल्य है। पूरी दुनिया में करीब 30 करोड़ लोग नियमित तौर पर योग करते हैं और हर साल योग करने वाले लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। अगर योग करने वाले लोगों का एक अलग देश बना दिया जाए तो वो दुनिया में जनसंख्या के मामले में चीन, भारत और अमेरिका के बाद चौथे स्थान पर होगा. पूरी दुनिया में योग का बाज़ार 5 लाख 40 हज़ार करोड़ रुपये का हो चुका है। दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी योग की शक्ति को नमन कर रहा है पूरी दुनिया में योग का आधे से ज्यादा कारोबार अमेरिका में ही होता है। अमेरिका में योग से जुड़े सामान जैसे कपड़े, मैट और उपकरणों का कोराबार 1 लाख 8 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा का है। अमेरिका में योग की कुल मार्केट 1 लाख 80 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा की है। योग को जन्म देने वाले भारत में योग से जुड़े सामान का कारोबार 2016 में मात्र 1 हज़ार करोड़ रुपये का है। ये अमेरिका के मुकाबले बहुत कम है। भारत में योग करने वालों की संख्या में एक वर्ष में 25 से 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।


एसोचैम ने भारत के 10 शहरों में एक सर्वे के ज़रिए ये पता लगाया कि भारत के कॉरपोरेट सेक्टर की 53 प्रतिशत कंपनियां अपने कर्मचारियों को योग सिखा रही हैं। एक आंकड़े के मुताबिक भारत में करीब 4 करोड़ लोग नियमित रूप से योग करते हैं जबकि अमेरिका की कुल आबादी में से 15 प्रतिशत लोग योग का अभ्यास करते हैं। अमेरिका में योग करने वालों की संख्या वर्ष 2016 में 3 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। अमेरिका में हुए एक सर्वे में ये भी पता चला कि योग करने वाले 50 प्रतिशत लोग, पर्यावरण के अनुकूल जीवन जीते हैं। भोजन को बर्बाद नहीं करते और अपने समुदाय की मदद करते हैं। मतलब साफ है योग सिर्फ एक आसन नहीं बल्कि जीवन जीने का तरीका है, जो व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मज़बूत और खुशहाल बनाता है। योग का इतिहास करीब 5 हज़ार साल पुराना है। योग शब्द का सबसे प्राचीन उल्लेख ऋगवेद में मिलता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव को सबसे बड़ा योगी माना गया है। भगवान शिव के नटराज अवतार यानी नृत्य करते हुए शिव की अलग अलग मुद्राएं 84 लाख आसनों को जन्म देती है। महर्षि पतंजलि को योग का जनक कहा जाता है। ऋषिकेश को भारत में योग की राजधानी कहा जाता है और वहां दुनिया भर के देशों से आए लोग योग अभ्यास करते हैं। ऋषिकेश में हर साल अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें 60 से ज्यादा देशों के लोग हिस्सा लेते हैं। सूर्य नमस्कार योग के सबसे मशहूर आसनों में से एक है। सूर्य नमस्कार में 12 अलग-अलग तरह के आसन एक साथ किए जाते हैं। वैसे तो इस ज्ञान का प्रसार पुरातन और मध्य काल में भी हुआ, मगर वर्तमान में उसके प्रति आकर्षण बनना खास महत्व की बात है। गुजरी शताब्दियों में आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने स्वास्थ्य की देखभाल व उपचार का एक बिलकुल नया ज्ञानशास्त्र दुनिया के सामने रखा है। उसके बीच उस विज्ञान के विशेषज्ञों का पुरानी भारतीय विद्या के महत्व को स्वीकार करना इस बात को पुष्ट करता है कि हमारे प्राचीन मनीषियों ने कितनी गहरी और स्थायी महत्व की अंतर्दृष्टि विकसित की थी। आज चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ मानते हैं कि तनाव से जुड़ी।





Suresh-gandhi

सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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