- 23 जून की बैठक की सफलता की कामना, विपक्षी एकता की प्रक्रिया व एजेंडे को मिलेगी नई गति, तानाशाह मोदी हुकूमत के खिलाफ सभी छोटे-बड़े आंदोलनों को एकताबद्ध कर निर्णायक जनांदोलन में तब्दील कर दें
- हिंसा-उन्माद और अराजकता के दौर में आर्थिक विकास संभव नहीं, अमित शाह के दौरे के बाद भी मणिपुर में जारी है हिंसा, उत्तराखंड में तबाही व नफरती अभियान, बालासोर रेेल दुर्घटना के असली कारणों की लीपापोती की चल रही है साजिश
बालासोर ट्रेन हादसा में सीबीआई जांच की अनुशंसा की गई है. हमारा मानना है कि यह मामले की लीपापोती का प्रयास है. मामला रेलवे के प्रति सरकार की लगातार बढ़ती उदासीनता का है. सुरक्षा मानक पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं. रेलवे का निजीकरण किया जा रहा है और बहाली के बदले छंटनी की प्रक्रिया जारी है. सरकार को इसमें कोई साजिश तलाशने की बजाए अपनी कमियों पर फोकस करना चाहिए. बिहार में महागठबंधन सरकार से भी जनता की काफी उम्मीदें हैं. हम सरकार से लगातार बातचीत की प्रक्रिया में हैं. हमें उम्मीद है कि जनता से जुड़े मुद्दों पर सरकार सकारात्मक पहलकदमी लेगी और आंदोलनरत समूहों के साथ बातचीत करने का रास्ता अपनाएगी. आगे यह भी कहा कि लोकतंत्र में सभी छोटे-बड़े दलों को एक समान अधिकार प्राप्त हैं. यह कहना कि छोटे-छोटे दलों को अपनी दुकानें बंद कर लेनी चाहिए, केवल बड़े दल ही राज करेंगे, कहीं से भी सही नहीं है. भाजपा की केंद्र सरकार की 9 साल की तबाही-बर्बादी के खिलाफ आज महागठबंधन के दलों के आह्वान पर पूरे बिहार में प्रखंड मुख्यालयों पर आयोजित धरना में बड़ी संख्या में भागीदारी हो रही है. हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में महागठबंधन के दलों में नीचे के स्तर पर और मजबूत एकता स्थापित होगी तथा आंदोलनों का आज से शुरू हुआ सिलसिला एक नई ऊंचाई हासिल करेगा. उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि भाजपा रूपी विपदा से मुक्ति के लिए सभी लोग अभी से ही जी जान से जुट जाएं. यह जरूरी नहीं कि लोस चुनाव 2024 में हो, वह इस साल के अंत में भी हो सकता है. इसी हिसाब से हमें तैयारी करनी है.
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