बताया गया कि चुनाव आयोग में 2020 में दायर किए हलफनामे के अनुसार, उन्होंने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है. यही नहीं उन्होंने संस्कृत में आचार्य की डिग्री तक ले रखी है. अभी उनकी उम्र करीब 49 साल है. वहीं चुनाव आयोग में दिए एफिडेविट के मुताबिक सदा के पास 1.30 करोड़ रुपयों की चल और अचल संपत्ति है.इसके अलावा खास बात है सदा की छवि, चुनाव आयोग में दाखिल एफिडेविट के हिसाब से रत्नेश सदा के ऊपर कोई मुकदमा नहीं है. सदा सहरसा जिले के कहरा कुट्टी वार्ड नंबर 6 के निवासी हैं. रत्नेश सदा के परिवार में उनकी पत्नी, तीन बेटे और दो बेटियां हैं. रत्नेश सदा के शपथ ग्रहण समारोह में मंत्री विजय चौधरी, बिजेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव, श्रवण कुमार, अशोक चौधरी, प्रो चंद्रशेखर, समेत अन्य कई मंत्री मौजूद हैं। जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी मौजूद हैं. मनोनीत मंत्री रत्नेश सदा के साथ उनकी मां के अलावा उनकी पत्नी, बेटा और बहू थे.कबीरपंथ को मानने वाले रत्नेश सदा को सुनने के लिए लोगों की भीड़ जुटती है. इस पथ को मानने वालों में उनकी बड़ी पहचान है. दलित समाज के उत्थान के लिए काम की वजह से भी वह चर्चा में रहते हैं. नीतीश कैबिनेट में उन्हें दलित चेहरे के तौर पर जगह मिली है.उम्मीद की जानी चाहिए कि रत्नेश सदा को अनुसूचित जाति एवं जन-जाति कल्याण मंत्री विभाग की जिम्मेदारी सौंपी जायेंगी. रत्नेश सादा के मंत्रिमंडल में जगह मिलने के बाद सीएम नीतीश ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मांझी के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता। मैंने उनको विलय के लिए बोला था. वह साथ होते थे तो भाजपा तक बात पहुंचाते थे. नीतीश ने कहा कि मांझी दिल्ली जाकर बात कर वापस आए थे तो हमसे कहे थे कि हम आपके साथ रहेंगे.यहां थे तो वो चाहते थे कि हम बड़े जगह पर रहे.एक बात सबको मालूम था कि वह जहां कहीं भी थे लेकिन भाजपा के लोगों से मिल रहे थे. नीतीश कुमार ने कहा कि वहां से मिल कर मांझी सबकुछ तय कर लेते थे. फिर हमारे यहां भी आकर कहते थे कि हमको कुछ अलग चाहिए. हम तो जान ही रहे थे सब बात. मांझी जब मेरे पास मिलने आए तो हमने कहा कि आपको हमने इतना ज्यादा बनाया, कोई दूसरा नहीं बनाया. उन्होंने कहा कि हमलोग 23 तारीख को मीटिंग करेंगे.यह उस मीटिंग के अंदर की बात को भाजपा को बता देते. इसीलिए हमने उनसे कहा कि या तो आप मर्ज करिए या अलग हो जाइए. इसके बाद वे अलग हो गए.अब उनकी जगह पर हमने अपने कोटे से रत्नेश सदा को मंत्री बना दिया.
नीतीश कुमार ने मास्टरस्ट्रोक खेला
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के द्वारा साथ छोडे़ जाने के बाद नीतीश कुमार ने मास्टरस्ट्रोक खेला है और इसी समाज से आने वाले एक नेता को तुरंत ही मंत्री बना दिया. इसके बाद अब मांझी समाज के आदर्श कहे जाने वाले दशरथ राम मांझी के बेटे और दामाद को नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी में शामिल करवाया है. जदयू प्रदेश कार्यालय में आयोजित मिलन समारोह में आज द माउंटेन मैन के नाम से ख्याति प्राप्त दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी और दामाद मिथुन मांझी को पार्टी की सदस्यता दिलवाई गई. इन दोनों को जदयू के सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण करवाई.मंच से यह संवाद देने की कोशिश की गई कि मुसहरों के वास्तविक नेता दशरथ मांझी थे. परिवार के सदस्य भागीरथ मांझी हैं.इस दौरान जीतन राम मांझी पर हमला बोलते हुए जदयू नेताओं ने कहा कि वे इस समाज के नेता नहीं हैं.मुसहर समाज के लिए जीतन मांझी ने नहीं बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने काम किया है. दशरथ मांझी को अगर किसी ने सम्मान दिया उस शख्स का नाम है नीतीश कुमार. वहीं जदयू में शामिल होने के बाद भागीरथ मांझी ने कहा कि हमारे पिता दशरथ मांझी को मुख्यमंत्री ने काफी मान सम्मान दिया. हमारे समाज के लिए जो भी काम किया वह नीतीश कुमार ने किया है. इसलिए हम लोग शुरू से ही नीतीश कुमार के साथ रहे हैं और आगे भी उन्हीं के साथ रहेंगे. बता दें कि मुसहर समाज का कई लोकसभा क्षेत्रों में बड़ी आबादी है. मांझी का साथ छोड़ने से नीतीश कुमार खौफ में हैं क्योंकि पहले से ही शराबबंदी को लेकर यह वर्ग काफी नाराज है. दूसरा यह कि जीतन राम मांझी ने साथ छोड़ दिया है.लोकसभा का चुनाव सामने है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें