पटना. भारत के कैथोलिक बिशप सम्मेलन (सीबीसीआई) भारत के कैथोलिक बिशप का स्थायी संघ है. औपचारिक रूप से सितंबर 1944 में मद्रास में आयोजित महानगरों के सम्मेलन में इसका गठन किया गया था. इसका उद्देश्य चर्च को प्रभावित करने वाले प्रश्नों के समन्वित अध्ययन और चर्चा की सुविधा प्रदान करना और भारत में चर्च के हितों से संबंधित सभी मामलों में एक आम नीति और प्रभावी कार्रवाई को अपनाना है. सीबीसीआई का बिहार क्षेत्रीय बिशप परिषद भी संचालित है.इसमें पटना महाधर्मप्रांत के बिशप शामिल हैं.बिहार क्षेत्रीय बिशप परिषद के अध्यक्ष कैजेटन फ्रांसिस ओस्ता (मुजफ्फरपुर) हैं.वहीं इसके सचिव सेबस्टियन कल्लूपुरा (पटना) है. बताया जाता है कि अनुसूचित जाति/बीसी के लिए कार्यालय दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के समग्र विकास के लिए गठित भारत के कैथोलिक बिशप सम्मेलन का आधिकारिक निकाय है.दलितों का मतलब अस्पृश्यता के कलंक को झेलने वाले अछूतों का जिक्र करने वाले टूटे हुए लोग हैं. दलितों के उत्थान के लिए अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए, 1986 में गोवा में आयोजित सीबीसीआई की आम सभा की बैठक ने अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/बीसी आयोग की स्थापना की. स्थायी समिति ने अप्रैल 2006 में एक अलग ‘अनुसूचित जनजातियों के लिए समिति‘ का गठन किया.अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/बीसी आयोग के बेरहामपुर धर्मप्रांत के बिशप शरत चंद्र नायक अध्यक्ष हैं.वहीं आयोग के सचिव फादर विजय कुमार नायक, सीएम हैं.अनुसूचित जाति/पिछड़ा वर्ग के लिए सीबीसीआई कार्यालय सीबीसीआई केंद्र,1, अशोक प्लेस, गोल डाक खाना के पास, नई दिल्ली .110 001, भारत में है. बताया जाता है कि पिछड़ा वर्ग के बारे में सीबीसीआई का मानना है कि पिछड़ी जातियों के लोगों के बीच में छुआछूत नहीं हैं.ऐसे लोग छुआछूत का कलंक नहीं झेलते. वे आर्थिक रूप से गरीब हैं. वहीं सीबीसीआई का कहना है कि 24 मिलियन ईसाइयों की आबादी में दलितों की संख्या लगभग 16 मिलियन है.दोनों मिलकर 18 मिलियन बनाते हैं. इनमें से अधिकांश दलित ईसाई आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के दक्षिणी राज्यों में हैं. दलित ईसाई चर्च के भीतर, समाज के भीतर और राज्य द्वारा तीन बार भेदभाव किए गए लोग हैं. दलितों ने सम्मान के साथ बेहतर जीवन की तलाश में ईसाई धर्म अपना लिया. लेकिन वे चर्च के भीतर भेदभाव का अनुभव करते हैं. प्रमुख जाति धर्मांतरित निचली जातियों के लोगों को अपने समान के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं. चर्च के भीतर गैर-ईसाई और भेदभावपूर्ण प्रथाओं को जारी रखा जा रहा है. चाहे ईसाई हों या हिंदू, प्रमुख जाति के लोग दलित ईसाइयों के साथ उसी अवमानना का व्यवहार करते हैं और उनके साथ उनके हिंदू समकक्षों के समान व्यवहार करते हैं. 1986 में गोवा में आयोजित सीबीसीआई की आम सभा की बैठक ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/बीसी आयोग की स्थापना की. स्थायी समिति ने अप्रैल 2006 में एक अलग ‘अनुसूचित जनजातियों के लिए समिति‘ का गठन किया.इसके आलोक में देश में ‘दलित ईसाइयों के लिए राष्ट्रीय परिषद‘ ( एनसीडीसी ) कार्यशील है.बिहार में एनसीडीसी बिहार कार्यशील है.इसके समन्वयक विक्टर विजय कुमार है.उनके निवेदन पर आज दलित ईसाइयों के लिए राष्ट्रीय परिषद के बैनर तले ‘बिहार में दलित ईसाइयों की दशा और दिशा‘एक दिवसीय परिचर्चा की गई. परिचर्चा के मुख्य अतिथि डॉ. फादर लुइस प्रकाश और विशिष्ट अतिथि सिस्टर वीणा थीं. अध्यक्षता गाब्रिएल जौन ने की.यह सब सेवा केंद्र में किया गया.
मंगलवार, 20 जून 2023
बिहार : दलित ईसाइयों की दशा और दिशा‘एक दिवसीय परिचर्चा
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