आज गुरूवार से जेएनयू और बीएचयू के छात्र सत्याग्रह करने के लिए जुटेंगे.भवन को बचाने के लिए कांग्रेस समेत विभिन्न दलों के नेताओं ने सरकार और जिला प्रशासन पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है. वहीं बुलडोजर के विरोध में भवन के बाहर आंदोलन और सत्याग्रह की तैयारी है.इसमें दिल्ली यूनिवर्सिटी और जेएनयू समेत कई विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर और रिटायर्ड साहित्यकार जुटेंगे.प्रो. आनंद कुमार, रघु ठाकुर समेत कई नामी हस्तियां आज भी वाराणसी पहुंचेंगी.संघ के भवन पर रेलवे के खिलाफ आंदोलन में बीएचयू और जेएनयू के छात्रों के बड़ी संख्या में आने की उम्मीद है. मालूम हो कि गांधी विचार के राष्ट्रीय संगठन सर्व सेवा संघ की स्थापना मार्च 1948 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में हुई थी.आजादी का 75 अमृत महोत्सव में संघ पर आफत आ गई है.विनोबा भावे के मार्गदर्शन में करीब 64-65 साल पहले सर्व सेवा संघ का भवन की नींव रखी गई थी.भवन आचार्य विनोबा भावे, पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री, तत्कालीन रेलमंत्री जगजीवन राम और प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, जैसे व्यक्तित्वों की धरोहर है. इसका मकसद गांधी जी के विचारों का प्रचार-प्रसार करना था. इन्हीं महापुरुषों के नेतृत्व में यह जमीन भी खरीदी गई थी.यह भवन गांधी स्मारक निधि एवं जयप्रकाश नारायण द्वारा किए गए दान-संग्रह से बनवाया गया था.सर्व सेवा संघ की माने तो 1960 की क्रयशुदा भूमि पर काशी कॉरिडोर के लिए 2 दिसंबर 2020 से जिला प्रशासन कब्जेदार है.15 मई 2023 को गांधी विद्या संस्थान के भवनों पर कब्जा जमाकर नोटिस भी लगा दिया गया. अब इसके ध्वस्तीकरण के लिए 30 जून की तारीख भी तय कर दी.
सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय मंत्री डा. आनंद किशोर ने बताया कि वर्ष 1960 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सुझाव पर सर्व सेवा संघ ने अपनी जमीन पर गांधी विद्या संस्थान की स्थापना की.गांधी स्मारक निधि के साथ एक रजिस्टर्ड लीज डीड बनी, जिसका प्रावधान है कि किन्हीं कारणों से गांधी विद्या संस्थान बंद हो जाता है अथवा अन्यत्र कहीं स्थानांतरित हो जाता है, तो जमीन खुद ब खुद सर्व सेवा संघ की वापस हो जायेगी. डा. आनंद किशोर के अनुसार गांधी विद्या संस्थान सन 2007 से बंद होने पर जिला न्यायालय (एडीजे 10) के 28 मई के फैसले के अनुसार वाराणसी के मंडलायुक्त की अध्यक्षता में एक संचालक मंडल बना दिया गया.वर्ष 2007 से 14 मई 2023 तक संस्थान पर जिला प्रशासन का ताला बंद रहा, संचालन नहीं किया गया.सर्व सेवा संघ की ओर से लिखित रूप से निवेदन किया गया कि संस्थान की लाइब्रेरी अमूल्य है, किताबें नष्ट हो रही हैं.इसकी जिम्मेवारी सर्व सेवा संघ को दे दी जाए. अध्यक्ष के अनुसार 18 जनवरी 2023 को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के क्षेत्रीय निदेशक के कहने पर बैठक बुलाई गई.सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल और प्रबंधक ट्रस्टी शेख हुसैन ने संस्थान के विवादित मामले उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में विचाराधीन होने के बारे में बताया. मगर भवन दूसरी संस्था को देने का बैठक में कोई निर्णय नहीं हुआ. 15 मई 2023 को परिसर में भारी पुलिस बल के साथ मजिस्ट्रेट और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के पदाधिकारियों ने कब्जा का प्रयास किया.बताया गया कि कि मण्डलायुक्त ने गांधी विद्या संस्थान की लाइब्रेरी, प्रशासनिक भवन एवं परिसर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र को दे दिया गया.गांधी विद्या संस्थान की लाइब्रेरी राष्ट्रीय इंदिरा गांधी कला केंद्र (IGNCA) को सौंपे जाने का जोरदार विरोध हुआ था. सेवा संघ के लोगों का कहना है कि गांधी विद्या संस्थान को जेपी ने स्थापित किया था.1962 में जय प्रकाश नारायण ने गांधी विचार के अध्ययन को बनाया था, स्वयं यहां रह कर इसे गढ़ा था.
राष्ट्रीय मंत्री डा. आनंद किशोर और अध्यक्ष चंदन पाल के अनुसार 11 अप्रैल 2023 को उत्तर रेलवे लखनऊ ने सर्व सेवा संघ के ऊपर एक मुकदमा किया गया है.मुकदमे के अनुसार सर्व सेवा संघ द्वारा रेलवे से 1960, 1961 एवं 1970 में खरीदी गयी सभी जमीनों का दस्तावेज कूटरचित तरीके से तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि इन दस्तावेजों को कूटरचित कहना आचार्य विनोबा भावे, राधाकृष्ण बजाज, जयप्रकाश नारायण, लालबहादुर शास्त्री, जगजीवन राम एवं डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जैसे व्यक्तित्वों को लांक्षित करना है.इसकी स्थापना गांधी जी की हत्या के बाद 1948 में हुई.इसका प्रधान कार्यालय महादेव भाई भवन, महाराष्ट्र के वर्धा स्थित सेवाग्राम में है। वहीं, प्रकाशन ऑफिस वाराणसी के राजघाट पर बनाया गया है. 1954 में प्रोफेसर धीरेंद्र मजूमदार संघ के प्रथम अध्यक्ष बने थे. अध्यक्ष के अनुसार आचार्य विनोबा भावे की पहल पर ये जमीनें पूर्व पीएम लालबहादुर शास्त्री के सहयोग से सर्व सेवा संघ ने 1960, 1961 एवं 1970 में रेलवे से खरीदा है. डिविजनल इंजीनियर नार्दन रेलवे, लखनऊ द्वारा हस्ताक्षरित तीन रजिस्टर्ड सेल डीड हैं। 1960 में खरीद की जमीन की रकम 26,730 रुपए और 1961 में खरीद 3,240 एवं 1970 में खरीद की गई। जमीन की रकम 4,485 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, वाराणसी के क्रमश: ट्रेजरी चलान नं. 171, दिनांक 5 मई 1959, ट्रेजरी चलान नं. 31, इसके बाद 27 अप्रैल 1961 एवं ट्रेजरी चलान 18 जनवरी 1968 के माध्यम से भुगतान किया गया है. यह रकम सरकार के खजाने में गई है. महात्मा गांधी के पौत्र और प्रमुख शिक्षाविद राजमोहन गांधी ने उनके दादा की विरासत को बचाने की गुहार पीएम नरेंद्र मादी और सीएम योगी आदित्यनाथ से लगाई है. उन्होंने कहा कि इस साधना केन्द्र का उद्घाटन स्व. लालबहादुर शास्त्री ने किया था। गांधीवादी विचारों के इस अध्ययन केंद्र पर नहीं हटाया जाना चाहिए. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोशल मीडिया पर कहा कि सर्व सेवा संघ परिसर को भाजपा सरकार द्वारा खाली करने और ढहाने की कार्यवाही शुरू करना राष्ट्र पिता महात्मा गांधी की विरासत पर हमला है.हम इस अत्यंत शर्मनाक कार्यवाही की घोर निंदा करते हैं और संकल्प लेते हैं कि महात्मा गांधी की विरासत पर हो रहे हर हमले के खिलाफ डटकर खड़े रहेंगे. हमारे देश के महानायकों और राष्ट्रीय विरासत पर भाजपाई हमले को देश की जनता कभी बर्दाश्त नहीं करेगी. मप्र के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने भी इस कार्रवाई को गलत बताया.कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि गांधी को न सही कम से कम जयप्रकाश नारायण की विरासत को तो बख्श देते.
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