- प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति को भेजे जाते थे जर्दालु आम, शाही लीची
- मैंगो डिप्लोमेसी से लगातार बढ़ी किसानों की आय
- नीतीश कुमार ने तोड़ी 16 साल की मीठी परिपाटी
पटना. वर्ष 2017 में जर्दालु आम को जीआई टैग मिला था. इसका श्रेय जर्दालु आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष और मैंगो मैन कहे जाने वाले अशोक चौधरी को जाता है.इसके एक साल बाद वर्ष 2018 में जीआई प्रमाणन प्राप्त करने वाला शाही लीची (Shahi Litchi) बिहार से चौथा कृषि उत्पाद था.इस श्रेणी में जर्दालु आम,कतरनी चावल,मगही पान के बाद शाही लीची शामिल है. इस बीच पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नीतीश कुमार की ईर्ष्या इस स्तर पर उतर आयी है कि उन्होंने बिहार के जर्दालु आम और शाही लीची की मिठास में भी राजनीतिक कटुता घोलते हुए राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री सहित विशिष्ट व्यक्तियों को फल भेंजने की परम्परा तोड़ दी. श्री मोदी ने कहा कि केंद्रीय नेताओं को आम-लीची भेजने की परम्परा ( मैंगो डिप्लोमेसी) एनडीए सरकार ने 2007 में शुरू की थी. इससे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर में बिहार के आम-लीची की ब्रांडिंग हुई और किसानों को लाभ हुआ. उन्होंने कहा कि वर्षों की ब्रांडिंग का सुफल था कि 2021 में ब्रिटेन, सऊदी अरब, श्रीलंका और बांग्लादेश को भारत से 25 हजार टन जर्दालु आम का निर्यात किया गया. श्री मोदी ने कहा कि मैंगों डिप्लोमेसी के तहत दिल्ली-पटना के अतिविशिष्ट लोगों को 2500 कार्टन आम और लीची भेजे जाते थे। उन्होंने कहा कि ऐसी मीठी परिपाटी पर राजनीति नहीं होनी चाहिए थी. इससे बिहार की छवि और यहाँ के फल उत्पादक किसानों की आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. बताया गया कि जर्दालु आम और कतरनी चावल को इंटरनेशनल पहचान मिली है.भारत सरकार ने दोनों उत्पादों के साथ नवादा के मगही पान को जीआई टैग (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन) दिया है.केंद्र सरकार ने अपने जीआई जर्नल में भागलपुर के कतरनी चावल, जर्दालु आम और मगही पान को राज्य के बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत रखा है.रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन नियम 2002 के तहत 28 नवंबर को जर्दालु आम, कतरनी चावल और मगही पान को पहचान दी गई है. जरदालू आम, कतरनी चावल और मगही पान के बाद वर्ष 2018 में जीआई प्रमाणन प्राप्त करने वाला शाही लीची (Shahi Litchi) बिहार से चौथा कृषि उत्पाद था.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें