विशेष : गाँव के विकास में भागीदारी निभाकर नई इबारत लिखती महिलाएं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 5 जून 2023

विशेष : गाँव के विकास में भागीदारी निभाकर नई इबारत लिखती महिलाएं

Women-empowerment-rajasthan
महिलाओं को संसाधनों और ज्ञान से अवगत  करने से, न सिर्फ महिलाओं और उनके परिवारों, बल्कि पूरे समुदाय को लाभ होता है। इसका एक उदाहरण चिकली तेजा और फलवा  की ‘महिला किसानों’ने प्रस्तुत किया है। यह  वागधारा गठित महिला सक्षम समूह से जुड़ी  | महीला सक्षम समूह   में आत्मनिर्भर, आत्मविश्वास, और उनको सक्षम बनाने हेतु गठित किया गया है और हम सामुदायिक प्रयास से  अपने जीवन का लक्ष्य और निर्वाहन सुचारु रुप से करने और  सरकारी गैर सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर अपनी आजीविका बेहतर खुशहाल करने में सक्षम महिला समूह की महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं | महिलाओं को माह की मासिक बैठक में विभिन्न योजनाओं और पंचायती राज में हमारी भूमिका क्या है! एवं वागधारा के जो मुख्य तीन बिंदु है, सच्ची खेती, सच्चा बचपन, सच्चा स्वराज, ईनके बारे में बताया गया, सच्ची खेती के मायने क्या है और आज समेकित  खेती बीज संग्रहण की आवश्यकता क्या है इसके बारे बताया और हमें  वर्मीकंपोस्ट , दशपर्णी दवा बनाने हेतु समय समय पर वागधारा   प्रशिक्षण दिया  गया है। प्रशिक्षण इन महिला किसानों ने खेती में  एकीकृत जैविक पद्धतियों को अपनाया है और एकल-फसल पर निर्भर नहीं रहते हुए मिश्रित खेती करके बाजार की निर्भरता  कम की है।  वागधारा  गठित महिला सक्षम समूह  में एकजुट होकर , इन महिलाओं के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में योगदान दिया है। उनकी कड़ी मेहनत, विलक्षण कौशल और दृढ़-संकल्प, गांव का नक्शा बदलने के लिए मौलिक रहे हैं।

चिकली पूना और फलवा गांव

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चिकली पूना और  फलवा गाँव एक कृषि प्रधान गाँव है, जो राजस्थान  के बाँसवाड़ा जिला मुख्यालय से लगभग 65  किलोमीटर दूर है। आम के पेड़ों के हरे-भरे आवरण से घिरा यह गाँव सड़कों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। परम्परागत रूप से, मक्का ,गेहू ,धान ,अरहर , चना  और सब्जियाँ इस क्षेत्र की मुख्य फसलें रही हैं। फिर भी, कृषि आय अपर्याप्त होने के कारण, हाल के दिनों में, मोटा अनाज  की खेती रागी ,कुरी ,बटी ,हामली की खेती कर   । इन सक्षम समूह की महिलाओं को भी किसानों के रूप में पहचान न मिलने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, संसाधनों और निर्णय लेने पर उनका अधिकार सीमित है। फिर भी समस्या के ऊपर  मात कर यह महिला विकास की नई इबारत लिख रही  है । वागधारा पहली बार 2018 में  इन महिलाओ को सक्षम महिला समूह से जोड़कर  इन आदिवासी महिला सीमांत किसानो  की क्षमता निर्माण और उनके परिवर्तन-कर्ता के रूप में सशक्तिकरण का प्रयाश कर रहा है । 

चिकली पूना  की बबीता धारा तबियाड  का दावा है कि उनका रागी फसल उत्पादन ३० किलो  से बढ़कर 2 क्विंटल हो गया है

पहल के हिस्से के रूप में,  इन गांवों में महिलाओं को जो समूह में सक्रिय है उस महिला किसानों की पहचान की गई और उन्हें प्रशिक्षण और ऊँची गुणवत्ता वाली सामग्री प्रदान की गई। इन  महिला किसानों ने आगे दस अन्य महिलाओं के साथ जानकारी साझा की, जिसमें जानकारी का प्रसार हुआ।


 प्रशिक्षण

फसल चक्र , मिश्रित खेती , समेकित खेती ,फसल के लिए भूमि की तैयारी, बीज उपचार, बुवाई तकनीक, और पानी लगाने सहित, खेती की कई वैज्ञानिक विधियों पर प्रशिक्षण और प्रदर्शन आयोजित किए गए। उन्हें वर्मीकम्पोस्ट, जीवामृत, जैविक खाद ,जैविक दवा  सामग्रियों की भी जानकारी दी गई। इसके अलावा, इन सक्षम समूह की  महिलाओं को मोटा अनाज   कुरी ,बटी ,कांग   और सब्जियों की उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध कराए गए।


परिणाम

रागी की एक उन्नत किस्म के , ‘बिज  अपनाने से,उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।

उपज में इसी तरह की वृद्धि उन लोगों द्वारा भी दर्ज की गई, जिन्होंने वागधारा  द्वारा दी गई ल उन्नत किस्म  के देशी बीज  अपनाया था। वे इसका श्रेय बेहतर बीजों के संयोजन, इंटरक्रॉपिंग और गड्ढे में बुवाई को देते हैं। पानी के उचित इस्तेमाल के लिए महत्वपूर्ण सिंचाई जीवामृत , वर्मीकम्पोस्ट और निमास्त्र   जैसी जैविक सामग्री को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है।


कविता आयड को अरहर के उत्पादन  50 किग्रा से 150 किग्रा  तक की वृद्धि दर्ज की

कृषि उत्पादन में वृद्धि और साथ ही कुछ सामग्रियों पर खर्च में कमी के कारण, इन महिला किसानों के पास अब ज्यादा पैसा होता है, जिसे वे जरूरत के अनुसार खर्च कर सकती हैं। कृषि से होने वाली इस आय को अन्य उत्पादक संपत्तियों में निवेश किया जाता है या बैंक खातों में जमा किया जाता है, जिससे एक अच्छा चक्र बनता है। क्योंकि महिला किसान अन्य महिलाओं के साथ अपनी जानकारी साझा करती हैं, इससे जानकारी का विस्तार होता है।


प्रभाव

–  महिला किसानों का खुद की क्षमताओं पर भरोसा बढ़ा है, क्योंकि उन्होंने अपने घरों और खेतों की दहलीज से बाहर निकलने का साहस किया।

– उनकी भरपूर फसलों ने उनके आसपास की अन्य महिला किसानों का ध्यान आकर्षित किया और वे उनके पास सलाह के लिए आई।

– ये  महिला किसान न सिर्फ ज्ञान साझा करती हैं, बल्कि इन महिलाओं के साथ उन्नत बीज और जैविक सामग्रियों जैसी दूसरी जरूरतें भी साझा करती हैं, जिससे एक अच्छा चक्र बनता है। 


महिला किसानों की अब बड़ी आकांक्षाएं हैं और वे जलवायु परिवर्तन की बढ़ती अनिश्चितता के खिलाफ भविष्य के लिए बेहतर योजना बनाना चाहती हैं। वे अन्य कौशल आधारित आजीविकाओं में भी विविधता लाना चाहते हैं और अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के साधन के रूप में  विस्तार करना चाहते हैं।

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