- भव्य स्वागत के बीच की धमेक स्तूप की परिक्रमा, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जताया आभार
सारनाथ दौरे के दौरान विदेशी प्रतिनिधियों ने गुप्तकाल में बने 43.6 मीटर ऊंचे और 28 मीटर चौड़े धमेक स्तूप की परिक्रमा की। साथ ही स्तूप पर लगे शिलापट्ट और गाइड से उसके इतिहास के बारे में जानकारियां लीं। इस दौरान यहां एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। इसके बाद सभी मेहमान दिल्ली के लिए रवाना हो गए। इस मौके पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि सारनाथ दर्शन की अद्भुत स्मृतियों को साथ लेकर हम लोग आज वाराणसी से प्रस्थान कर रहे हैं। इससे पहले वाराणसी में जी20 विकास मंत्रियों के सम्मेलन ने जी20 देशों द्वारा सतत विकास लक्ष्यों पर प्रगति में तेजी लाने के लिए भारत द्वारा प्रस्तुत एक महत्वाकांक्षी सात वर्षीय कार्य योजना को अपनाया। इसके अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन संबंधी लक्ष्यों की पूर्ति के लिए टिकाऊ जीवन शैली के संबंध में सहयोग और भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से एक और दस्तावेज को बैठक में स्वीकार किया गया। विकास मंत्रियों द्वारा अपनाए गए परिणाम दस्तावेज 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले समूह के शिखर सम्मेलन में जी20 नेताओं द्वारा विचार के लिए प्रस्तुत किए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से शानदार और उत्कृष्ट व्यवस्था के लिए मैं सीएम योगी का आभार व्यक्त करता हूं. वहीं सारनाथ पहुंचे मेहमानों को यहां के पौराणिक और प्राचीनता से परिचित कराने के लिए 115 विशेष गाइडों का ग्रुप लगाया गया था.प्रतिनिधियों को बताया गया कि सारनाथ म्यूजियम में भारत के राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ की जो बनावट है वह 2273 साल पुरानी है. एक गाइड द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इसी का प्रतिरूप भारत के नए संसद भवन के ऊपर लगाया गया है. यह ओरिजिनल स्तंभ लाल बलुआ पत्थरों से तैयार किया गया है, जो चुनार का है. इसके बाद मेहमानों ने दिल्ली गेट में म्यूजियम के अंदर भगवान बुद्ध की गुप्तकालीन प्राचीन मूर्तियों को देखा. इसके अलावा स्तूप पर लगे सिलापट और गाइड से उसके इतिहास के बारे में जानकारियां ली. इसके बाद भगवान बुद्ध के उपदेश स्थली पहुंचे. डेलीगेट्स भगवान बुद्ध और शिक्षा-दीक्षा ले रहे उनके पांच शिष्यों की मूर्तियों को देखकर भावविभोर दिखाई दिए. इन विदेशी मेहमानों को आज होटल ताज से सारनाथ तक ले जाने के लिए विशेष ग्रीन रूट तैयार किया गया था. इससे जरिए इन मेहमानों को भारत की स्मृतियां और काशी की परंपरा और संस्कृति की यादों को लेकर यहां से रवाना किया गया. इस मौके पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि सारनाथ दर्शन की अद्भुत स्मृतियों को साथ लेकर हम लोग आज वाराणसी से प्रस्थान कर रहे हैं। ?
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