- इंसाफ मंच का तीसरा राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न, गोपाल रविदास बने अध्यक्ष, कयामुद्दीन अंसारी
समाज के कमजोर समुदाय के इंसाफ की मुहिम को एकताबद्ध करने और आगे बढ़ाने का लिया गया संकल्प, सम्मेलन में हजारों की तादाद में अल्पसंख्यक व दलित समुदाय की भागीदारी, महिलाओं की भी रही उल्लेखनीय भागीदारी, 71 सदस्यों की कमिटी का गठनपटना 25 जून, दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और कमजोर समुदाय पर जारी संाप्रदायिक हमले और हर प्रकार के अन्याय, अत्याचार से उत्पीड़ित जनता के इंसाफ की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए आज पटना के गेट पब्लिक लाइब्रेरी में इंसाफ मंच का तीसरा राज्य सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हो गया. सम्मेलन से फुलवारी विधायक गोपाल रविदास अध्यक्ष और कयामुद्दीन अंसारी सचिव चुने गए. गया वे वरिष्ठ अधिवक्ता फैयाज हाली को सम्मानित अध्यक्ष बनाया गया. इंसाफ मंच के सम्मेलन में मुख्य अतिथि के बतौर भाकपा-माले के महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य शामिल हुए. उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज से 10 साल पहले इंसाफ मंच की शुरूआत हुई थी. 2013 में मोदी की रैली के दौरान गांधी मैदान में एक तथाकथित बम ब्लास्ट हुआ था और पूरे बिहार में उसके नाम पर मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी का सिलसिला चल पड़ा था. तब इंसाफ मंच ने पूरी बहादुरी के साथ उसका प्रतिकार किया था और मोदी व भाजपा के झूठ का पर्दाफाश किया था. आज तो देश की नींव पर ही हमला है. आरएसएस-भाजपा द्वारा हिंदू राष्ट्र का खुलेआम आह्वान किया जा रहा है और हर दिन व हर स्तर पर संविधान को कुचला जा रहा है. देश में अल्पसंख्यक, दलित व महिलाएं निशाने पर है. उन्होंने कहा कि अमेरिका में जब एक पत्रकार ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि भारत में लोकतंत्र व संविधान सबकुछ खतरे में है, तो मोदी जी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि ऐसा नहीं है. लोकतंत्र हमारे रगों में है और किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता. लेकिन उसके दो दिन बाद ही उनकी ही पार्टी के असम के मुख्यमंत्री ने उनकी पोल खोलते हुए कहा कि भाजपा की प्राथमिकता देश के अंदर के बराक हुसैन ओबामाओं को जेल में पहले डालने की है, उसके बाद किसी के बारे में सोचा जाएगा. यही आज के भारत का सच है.
आज हिंदुस्तान में उन्माद-उत्पात कोई अपवाद की घटना नहीं बल्कि एक नियम बन गया है. पूरे देश में आतंक का शासन चल रहा है. इसलिए जरूरत इस बात की है कि संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के पक्ष में एक बड़ी एकता कायम की जाए, हम एक दूसरे का सुख-दुख समझें और एकताबद्ध होकर भाजपा को राज व समाज से बेदखल करें. इसके पूर्व इंसाफ मंच के निवर्तमान सचिव कयामुद्दीन अंसारी ने सभी अतिथियों का मंच पर स्वागत किया. सम्मेलन में माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, सत्येदव राम, मनोज मंजिल, सुदामा प्रसाद, वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, खेग्रामस महासचिव धीरेन्द्र झा, मीना तिवारी, केडी यादव सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे. 13 सदस्यों के अध्यक्षमंडल के नेतृत्व में सम्मेलन की शुरूआत हुई. अध्यक्षमंडल में आसमां खान, आफशा जबीं, शाह शाद, नेयाज अहमद, अनवर हुसैन सहित अन्य लोग शामिल थे. प्रतिनिधियों ने अपने विगत तीन सालों के कामकाज की रिपोर्ट की समीक्षा की और अपने-अपने विचार रखे. सबने यह महसूस किया कि फासीवाद का सबसे तीखा हमला दलितों, मुसलमानों और महिलाओं पर ही है. इसलिए वक्त का तकाजा है कि उत्पीड़ित समुदाय आज मिलकर चले और अपनी चट्टानी एकता बनाए. महबूब आलम ने अपने संबोधन में कहा कि देश में फासीवाद के खतरे की एकदम ठीक समय पर पहचान करते हुए बिहार में दलितों, मुस्लिमों, महिलाओं और कमजोर समुदाय के हक व इंसाफ की आवाज को बुलंद करने के लिए इंसाफ मंच का गठन हुआ था. तीसरा बिहार राज्य सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब फासीवादी गिरोह का हमला अपने चरम पर पहुंच गया है. सम्मेलन से 71 सदस्यों की नई राज्य परिषद का भी गठन किया गया.
इंसाफ मंच के तीसरे राज्य सम्मेलन से लिए गए प्रस्ताव
1. मौजूदा फासीवादी हुकूमत द्वारा देष की नींव पर जारी चौतरफा हमले के खिलाफ संविधान व लोकतंत्र की हिफाजत में चल रही देशव्यापी मुहिम के साथ अपनी एकजुटता जाहिर करते हुए यह सम्मेलन अन्याय, अत्याचार व सांप्रदायिक उन्माद की षिकार उत्पीड़ित जनता के इंसाफ के लिए दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गांे के बीच व्यापक एकता स्थापित करने और तथा उनके हक-अधिकार के संघर्ष को नई गति प्रदान करने का आह्वान करता है.
2. आम अवाम के अंदर नफरत व जहर भरने, गंगा-जमुनी तहज़ीब व सौहार्द के ताने-बाने को नेस्तनाबूद कर धर्मनिरपेक्ष भारत को हिंदू राष्ट्र में बदल देने, लोकशाही की जगह तानाशाही व संविधान की जगह मनुस्मृति को थोप देने और मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बना देने की भाजपा-आरएसएस की साजिशों के खिलाफ यह सम्मेलन संविधान की मूल भावना - समता, समानता और बंधुत्व - को बुलंद करते है.
3. बाबा साहब डॉ. अंबेडकर ने चेतावनी दी थी कि यदि यह देश कभी हिंदू राष्ट्र की बात करेगा तो यह उसके लिए सबसे बड़ी विपदा साबित होगी. इसलिए उन्माद-उत्पात की ताकतें अब सीधे-सीधे डॉ. अंबेडकर को निशाना बना रही हैं. हाल ही में, भाजपा द्वारा प्रोजेक्टेड तथाकथित चमत्कारी बाबा के हिंदू राष्ट्र के उन्माद के दौरान ही नौबतपुर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति तोड़ दी गई. सिवान में प्रशासन ने उनकी मूर्ति स्थापना के लिए बन रहे चबूतरे को तोड़ दिया. यह डॉ. अंबेडकर की मूर्ति पर नहीं बल्कि उनके विचारों पर हमला है. हिंदू राष्ट्र के उन्माद के बरक्स यह सम्मेलन डॉ. अंबेडकर के समतामूलक समाज के निर्माण की लड़ाई को आगे बढ़ाने का संकल्प लेता है. साथ ही राज्य सरकार से डॉ. अंबेडकर की मूर्ति तोड़ने वाले उन्मादी-उपद्रवी ताकतों की शिनाख्त कर उनपर कड़ी कार्रवाई की मांग करता है.
4. एनआइए के राजनीतिक दुरूपयोग के जरिए फुलवारीशरीफ समेत पूरे बिहार में मुस्लिम समुदाय को आतंकित व बदनाम किया जा रहा है. यह भाजपा के मिशन 2024 का हिस्सा है, ताकि वह आगामी लोकसभा चुनाव में वोटों का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर सके. यह सम्मेलन भाजपा-आरएसएस की ऐसी साजिशों से चौकस व सतर्क रहने का आह्वान करता है. साथ ही, बिहार की महागठबंधन सरकार से एनआइए की ऐसी गैरकानूनी कार्रवाइयों पर तत्काल रोक लगाने की मांग करता है.
5. विगत रामनवमी में सासाराम व बिहारशरीफ में मुस्लिम जमात पर एकतरफा व सुनियोजित हमला किया गया. ‘बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ’ का नारा देने वाली फासीवादी भाजपा द्वारा तालिमी केंद्रों को नष्ट करने के उद्देश्य से ऐतिहासिक सोगरा कॉलेज और मदरसा अज़ीज़िया पर हमला कर उसे जलाकर नष्ट कर दिया गया. यह सम्मेलन इसकी कड़ी निंदा करता है तथा बिहार सरकार से मदरसा अजीजिया के तत्काल पुननिर्माण की मांग करता है.
6. हाल के दिनों में पर्व/त्योहारों के दौरान सांप्रदायिक उन्माद-उत्पात की घटनाएं सुनियोजित तरीके से बढ़ी हैं. इंसाफ मंच बिहार सरकार से मांग करता है कि पर्व-त्योहारों में शांति और सौहार्द की गारंटी की जाए तथा उन्माद-उत्पात की ताकतों की शिनाख्त कर उनपर कड़ी कार्रवाई की जाए और ऐसे उप्रदवी संगठनों को प्रतिबंधित किया जाए.
7. केंद्र सरकार द्वारा इतिहास व अन्य विषयों के पाठ्यक्रमों में किया जा रहा बदलाव उसके सांप्रदायिक एजेंडे का हिस्सा है. सम्मेलन इतिहास की पाठ्य पुस्तकों से मुगल पीरियड को हटा देने की कड़ी निंदा करते हुए उसे पुनबर्हाल करने की मांग करता है तथा तार्किक व वैज्ञानिक शिक्षा पद्धति की रक्षा का संकल्प लेता है.
8. यह सम्मेलन महिला पहलवानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए उनके यौन उत्पीड़न के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की संसद सदस्यता खत्म कर उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग करता है. इस मसले पर प्रधानमंत्री की चुपी बेहद शर्मनाक है. यह सम्मेलन उनकी चुपी पर उनकी तीखी भर्त्सना करता है.
9. यह सम्मेलन दलितों-पिछड़ों के आरक्षण को खत्म कर देने और एससी-एसटी ऐक्ट को कमजोर कर देने की चल रही लगातार साजिशों की कड़ी निंदा करता है. सम्मेलन मांग करता है कि दलितों-पिछड़ों के आरक्षण का विस्तार किया जाए और एससी-एसटी ऐक्ट को प्रभावी बनाया जाए.
10. यह सम्मेलन तमाम अमन, न्याय व लोकतंत्र पसंद नागरिकों से दलितों-अल्पसंख्यकों-महिलाओं व समाज के कमजोर वर्ग के इंसाफ की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए इंसाफ मंच को ताकतवर बनाने की अपील करता है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें