- बिहार सरकार अपनी पहलकदमी बढ़ाए, केंद्र सरकार से बात करे.
पटना 5 जून, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि उड़ीसा के बालासोर में हुए भयानक ट्रेन हादसे ने एक बार फिर भारत में रेलवे सुरक्षा की दयनीय स्थिति को उजागर किया है. यह प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि सुरक्षा चूक के कारण एक मानव निर्मित आपदा है, जिसे टाला जा सकता था. केंद्र की सत्ता में बैठी भाजपा सरकार इसके लिए जिम्मेवार है. सिग्नल प्रणाली में भारी खामियां, रेलवे नेटवर्क की पुरानी व लचर व्यवस्था और भारी पैमाने पर रेवले में रिक्तियां ऐसी दुर्घटनाओं के कारण बनते हैं. जुमलेबाज मोदी सरकार ने इसपर कभी उचित ध्यान नहीं दिया. यही मोदी सरकार है जिसने अलग से रेल बजट के प्रावधान को ही समाप्त कर दिया. बालासोर दर्दनाक रेल हादसे में मरने वालों में अच्छी संख्या बिहार की भी है. सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक अब तक यह संख्या 15 पहुंच गई है, 150 से अधिक लोग घायल हैं और कई लापता हैं. केंद्र सरकार को चाहिए कि वह मृतक परिजनों के उचित इलाज, शवों को उनके घर तक पहुंचाने और उनके परिजनों के लिए स्थायी रोजगार की व्यवस्था के सवाल पर तत्काल पहलकदमी ले. बिहार सरकार इस मामले में केंद्रीय सरकार से बात करे और अपने स्तर से भी पहलकदमी ले. हमारी मांग है कि मृतकों के शव को उनके घर तक पहुंचाने की संपूर्ण व्यवस्था सरकार करे. लोग निजी वाहनों से शव ढो रहे हैं. घायलों की बड़ी संख्या कटक, भुवनेश्वर और बालसोर के निजी अस्पतालों में इलाजरत है, जहां काफी लूट-खसोट मचा हुआ है. सरकार उनके इलाज की समुचित व्यवस्था करे. रेल हादसे के कारण घर के घर उजड़ गए हैं. अतः यह सरकार का दायित्व बनता है कि वह उनके परिजनों के लिए सरकारी नौकरी अथवा रोजगार की कोई स्थायी व्यवस्था करे ताकि वे अपनी जिंदगी फिर से शुरू कर सकें. कई लोगों के लापता होने की भी खबर है. बिहार सरकार ने 4 लोगों की एक टीम बालासोर भेजी है. हमारी मांग है कि सरकार प्रत्यक्ष तरीके से हादसे के इलाके में अपने उच्च अधिकारियों के कैंप की व्यवस्था करे ताकि लापता लोगों की खोजबीन हो सके और इसकी सही-सही जानकारी उनके परिजनों को दी जा सके.
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