बिहार : बेशक बेतिया पल्ली के लोकप्रिय फादरों में फादर विंसेंट मिकलेंची - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 9 जुलाई 2023

बिहार : बेशक बेतिया पल्ली के लोकप्रिय फादरों में फादर विंसेंट मिकलेंची

Father-vinsent-miclenchi
बेतिया. बेशक बेतिया पल्ली के लोकप्रिय फादरों में फादर विंसेंट मिकलेंची,येसु समाजी शुमार थे.जो 120 साल के बाद भी भूल से भी लोग भूलने को तैयार नहीं है.सर जेम्स माइकल का कहना है कि वे सर्वश्रेष्ठ आदर्श कॉपीबुक जेसुइट थे, जिन्हें कैथोलिकों के अलावा सभी धर्मों के लोगों के द्वारा सम्मान दिया जाता है.वास्तव में फादर हमारे लिए भगवान का एक उपहार थे.  उनका जन्म 08 जुलाई 1903 में हुआ था.बेतिया के प्रसिद्ध सेंट स्तानिसलाउस मिडिल स्कूल के प्रधानाध्यापक थे.पहली बार प्रधानाध्यापक 1940 से 1961 और दूसरी बार 1966 से 1976 तक थे. वे 77 साल तक जीर्वित रहे. उसके बाद 43 वर्षों से प्रभु के लोक में विराजमान हैं.जन्म 1903 से मृत्यु 1980 तक को मिलाकर वर्ष 2023 तक  कुल 120 साल के बाद भी फादर को लोग भूले नहीं है. शनिवार 08 जुलाई को सेंट स्तानिसलाउस मिडिल स्कूल  के प्रधानाध्यापक रहे फादर विंसेंट मिकलेंची का जन्मदिन था. फादर मिकलेंची स्कूल में 1940 से 1961 तक और फिर 1966 से 1976 तक प्रधानाध्यापक रहे. उनके कार्यकाल में  स्कूल में पढ़ने वाले स्वयं को बेहद खुशकिस्मत वाले समझते हैं.


इसमें शैलेंद्र प्रताप भी हैं.वे कहते हैं कि मैं अपने आप को खुशकिस्मत वाला मानता हूं क्योंकि कुछ महीने ही सही, मैं उनकी नजरों के सामने रहा.मैं उस आखिरी बैच का छात्र रहा हूं जिसका एडमिशन फादर विंसेंट मिकलेंची ने लिया था.आगे कहते है कि संत अलोईश पाठशाला में क्लास 1 की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने यहां क्लास 2 में एडमिशन लिया था और वो क्लास फादर मिकलेंची के ऑफिस से बिल्कुल सटा हुआ था. उन दिनों फादर मिकलेंची के डिसिप्लिन का खौफ इस कदर था कि पूरे स्कूल में सन्नाटा रहता था.एकदम "पिन ड्रॉप साइलेंस".फिर हमलोगों की क्लास तो उनके ऑफिस के ठीक बगल में थी.तो वहां की हालात को आसानी से समझा जा सकता हैं. उनका डर कहें, आदर कहें या लगाव कहें हमलोग एक दिन भी क्लास मिस नहीं करते थे और न ही देरी से पहुंचते थे. आज भी याद है वो एक दिन, जब मैं तेज बारिश में भीगते हुए स्कूल पहुंचा.तभी फादर मिकलेंची ने मुझे देख लिया और प्यार से पूछा कि भींगते हुए क्यों आया? तो मैंने कहा कि बारिश रुकने का इंतजार करता तो स्कूल पहुंचने में देरी हो जाती.यह सुनकर फादर थोड़ा खुश हुए और मुझे स्पेशल परमिशन देकर कहा कि घर से कपड़े बदल कर आ जाओ. फादर की वो स्पेशल परमिशन मेरे लिए किसी बड़े अचीवमेंट से कम नहीं थी. मैंने अपनी पूरी लाइफ में फादर मिकलेंची जैसा प्रशासक, कैरेक्टर बिल्डर, स्पोर्ट्स मैन नहीं देखा.आज केआर हाई स्कूल के 1985 बैच के व्हाट्सएप ग्रुप में फादर मिकलेंची के बारे में मैसेज देखा तो कई बातें याद आ गईं.फादर मिकलेंची की जयंती पर उन्हें सादर नमन.

कोई टिप्पणी नहीं: