- पीसीआई के सहयोग से एनएसएस के वालंटियर को किया गया जागरूक
- फाइलेरिया का कोई स्थायी निदान नहीं बल्कि बचाव ही इसका सरल उपाय
- फाइलेरिया से बचाव को लेकर बरतें सतर्कता
मरीज़ों की मानसिक स्थितियों पर पड़ता है बुरा असर :
फाइलेरिया बीमारी से संबंधित स्पष्ट कोई लक्षण नहीं होता है, लेकिन बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्याएं हो जाती हैं। इसके अलावा पैरों एवं हाथों में सूजन, हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और भी कई अन्य तरह से फाइलेरिया के लक्षण देखने व सुनने को मिलता है। चूंकि इस बीमारी में सबसे पहले हाथ और पांव दोनों में हाथी के पांव जैसी सूजन आ जाती है, इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है, बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
फाइलेरिया का कोई स्थायी निदान नहीं बल्कि बचाव ही इसका सरल उपाय :
फाइलेरिया ऐसी बीमारी है जिसका न तो कोई स्थायी इलाज है और ना ही इससे किसी की मौत होती है, बल्कि बीमारी बढ़ने के साथ-साथ शारीरिक अपंगता बढ़ती चली जाती है। इसी कारण इसे निग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रेणी में शामिल किया गया है। दिव्यांगता बढ़ने के साथ ही उक्त व्यक्ति कामकाज में पूरी तरह से अक्षम हो जाता है। नौकरी पेशा या व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति के अपंग होने की स्थिति में परिवार पर इसका बुरा असर पड़ता है। इस तरह की बीमारियों से बचाव ही सबसे सरल व सुलभ रास्ता है। हालांकि लगातार पांच वर्षो तक वर्ष में एक बार दवा का सेवन करने मात्र से बीमार व्यक्ति इस बीमारी से सुरक्षित रह सकता है। दवा खा चुके व्यक्तियों में अगर फाइलेरिया के माइक्रो फाइलेरिया होते हैं तो वह निष्क्रिय हो जाता है। उससे किसी अन्य के संक्रमित होने की आशंका नहीं रह जाती है।
फाइलेरिया से बचाव को लेकर बरतें सतर्कता :
- अपने घर के आसपास एवं अंदर सफाई का रखें विशेष ख़्याल
- मच्छर के काटने से फैलता है फाइलेरिया, इसीलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए
- आसपास कहीं भी पानी को इकठ्ठा नहीं होने दें
- समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करते रहना चाहिए
- सोते समय हाथों एवं पैरों सहित अन्य खुले भाग पर सरसो या नीम का तेल लगाएं
- हाथ या पैर में कहीं चोट लगी हो या घाव हो तो उसकी नियमित रूप से करें सफ़ाई।
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