ऐ जिंदगी तू इतनी हसीन क्यों है?
हर कदम पर उलझी सी ही क्यों है?
मन को मन जैसा ना मिला,
किस्से कहानियों में फंसी क्यों है?
ऐ जिंदगी तू इतनी हसीन क्यों है?
किसी मझधार में डूबी जैसी,
हर तकल्लुफ में सुकून भरे दर्द जैसी,
कविता में लिखे किसी खास पंक्ति जैसी क्यों है?
ऐ जिंदगी तू इतनी हसीन क्यों है?
ना जाने तू इस ग़ज़ल जैसी क्यों है?
कि तुझे मौत की कफन सा संवारना चाहूं,
बिखरी हूं जितना भी जिंदगी में,
खुद से ही खुद को संभालना चाहूं,
कोई पूछे कि कैसी है जिंदगी?
तो मुस्कुरा कर उसको कहना चाहूं,
के खुशियों और दुखों की हिसाब जैसी,
किसी अनसुनी कहानियों की किताब जैसी,
गरीबों के लिए गर्मी की बरसात जैसी,
मिट्टी में मिली किसी राख जिंदगी,
फिर भी 'मंजू' कहे किसी हसीन ख्वाब जैसी,
बता क्यों है इतनी खास तू ऐ जिंदगी?
मंजू धपोला
कपकोट, बागेश्वर
उत्तराखंड
चरखा फीचर
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