विशेष : बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भारत की क्रांति - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 10 जुलाई 2023

विशेष : बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भारत की क्रांति

India-revolution
अधिकाधिक सरकारी निवेश और विकास से जुड़ी पहलों की सहायता से भारत अपने बुनियादी ढांचे का जबरदस्त उन्नयन कर रहा है। सड़क, रेलवे, विमानन और जलमार्ग सहित भारत के परिवहन नेटवर्क में उल्लेखनीय प्रगति हुई है और इसका देश के आर्थिक विकास पर व्यापक प्रभाव हो रहा है। बुनियादी ढांचे के विकास के इन प्रयासों का उद्देश्य कनेक्टिविटी को बढ़ाना, लॉजिस्टिक्स संबंधी लागत को कम करना और भारत को एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करना है। मल्टी-मॉडल बुनियादी ढांचे के विकास हेतु महत्वाकांक्षी पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टरप्लान से प्रेरित, नई सड़कें व रेलवे भारत को वर्तमान में 3.74 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था (आईएमएफ, 2023)  से आगे बढ़कर 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की अपनी महत्वाकांक्षा को साकार करने में मदद करेंगे।

 

सड़कों के नेटवर्क में सुधार

कुल 6.37 मिलियन किलोमीटर से अधिक लंबाई वाली सड़कों के साथ भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है। हाल के वर्षों में, राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की गति में काफी तेजी आई है और यह 2014-15 में औसतन 12 किलोमीटर प्रति दिन से बढ़कर 2021-22 में लगभग 29 किलोमीटर प्रति दिन हो गई है। राजमार्गों की कुल लंबाई 2014 में 97,830 किलोमीटर से बढ़कर आज 145,155 किलोमीटर हो गई है। यही नहीं, पिछले नौ वर्षों के दौरान, भारत के विभिन्न गांवों को हर मौसम में आवागमन लायक सड़कों से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 3.5 लाख किलोमीटर से अधिक लंबाई वाली ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया गया है। सड़कों से संबंधित बुनियादी ढांचे के लिए सरकार का बजटीय समर्थन तेजी से बढ़ा है, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 में लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। अटल सुरंग, ढोला-सदिया पुल और चिनाब नदी पुल जैसी रणनीतिक परियोजनाओं, जिनमें से कुछ कई वर्षों से लंबित थीं, को युद्धस्तर पर पूरा करना सरकार के समावेशी शासन और देश के सबसे दूर-दराज व दुर्गम इलाकों में कनेक्टिविटी प्रदान करने के प्रति उसकी वचनबद्धता का प्रमाण है।


रेलवे में क्रांतिकारी बदलाव

भारतीय रेलवे का पर्याप्त आधुनिकीकरण और विस्तार हुआ है। पिछले चार वर्षों के दौरान रेलवे के बुनियादी ढांचे पर होने वाले पूंजीगत व्यय में लगातार वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 2.5 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, जोकि पिछले वर्ष की तुलना में 29 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। रेलवे की पटरियों के विद्युतीकरण में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जो पिछले नौ वर्षों में 37,011 रूट किलोमीटर तक पहुंच गई है। इसके अलावा, 4 मार्च 2022 को, भारतीय रेलवे को शून्य दुर्घटना का लक्ष्य हासिल करने में मदद करने के उद्देश्य से डिज़ाइन की गई एक अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली कवच ​​का सफल परीक्षण किया गया। स्वदेशी तरीके से डिज़ाइन की गई वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरूआत, जो अभी 25 मार्गों पर चल रही हैं, और इसके क्रमिक विस्तार से उच्च गति वाली रेल यात्रा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का पता चलता है। जापान के सहयोग से मुंबई और अहमदाबाद के बीच चल रहे हाई-स्पीड लाइन के निर्माण और माल ढुलाई हेतु नए गलियारों के विकास से कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा, यात्रा में लगने वाला समय कम होगा और कुशलता के साथ माल व यात्रियों की आवाजाही की सुविधा हासिल होगी।


विमानन क्षेत्र की उड़ान

भारतीय विमानन क्षेत्र में पर्याप्त विकास हुआ है और इसने देश को दुनिया के तीसरे सबसे बड़े बाजार के रूप में स्थापित किया है। क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने और विमानन सेवा से वंचित रहे या अपेक्षाकृत कम सेवा वाले हवाई अड्डों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से, सरकार ने ‘उड़े देश का आम नागरिक’ (उड़ान) योजना के तहत 4,500 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। पिछले नौ वर्षों में नागरिक उड़ानों वाले हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी हो गई है और यह 2014 में 74 से बढ़कर 2023 में 148 हो गई है। यही नहीं, सरकार ने देश भर में 21 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे स्थापित करने के लिए ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी भी दे दी है। इसके अलावा, जल्द ही बनकर तैयार होने वाला ग्रीनफील्ड नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा देश में विमानों के रखरखाव, मरम्मत और संचालन (एमआरओ) का सबसे बड़ा केंद्र  होगा, जिससे विमानन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के व्यापक अवसर पैदा होंगे।


जलमार्गों का दोहन

भारत एक स्थायी लॉजिस्टिक क्षेत्र की स्थापना में अपने जलमार्गों की अपार क्षमता से अवगत है। अंतर्देशीय जल परिवहन पर सरकार के ध्यान के कारण 111 राष्ट्रीय जलमार्गों की घोषणा हुई है। वित्तीय वर्ष 2022 के दौरान इन जलमार्गों के रास्ते सामानों (कार्गो) की आवाजाही 108.8 मिलियन टन की रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, जोकि पिछले वर्ष की तुलना में 30.1 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है। अंतर्देशीय पोत विधेयक, 2021 अंतर्देशीय जल परिवहन के विकास को और अधिक सुविधाजनक बनाता है, एक मजबूत मल्टी-मॉडल परिवहन इकोसिस्टम का निर्माण करता है और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, सागरमाला परियोजना का लक्ष्य बंदरगाहों को विकसित करना, अनुपालनों को सुव्यवस्थित करना और जहाज के लौटने (टर्नअराउंड) में लगने वाले समय को कम करना है।


आर्थिक निहितार्थ और भविष्य

परिवहन से जुड़े बुनियादी ढांचे के विकास से परिवहन की लागत कम हो जाती है, व्यापार से होने वाले लाभ में वृद्धि होती है तथा मजदूरी बढ़ती है और इन सबसे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है। बुनियादी ढांचे के विकास ने श्रमिकों को कृषि से हटाकर अधिक उत्पादक नौकरियों की ओर ले जाने में मदद की है। इस बदलाव को संभव और व्यावहारिक बनाने से गांवों में शिक्षा के विकास को भी गति मिली है। भारत को ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे, विद्युतीकृत रेलवे, पुनर्निर्मित हवाई अड्डों और एक ईवी इकोसिस्टम द्वारा संचालित एक उच्च गुणवत्ता वाले परिवहन नेटवर्क में एकीकृत किया जाएगा। भारत जिस उच्च स्तर के विकास को हासिल करना चाहता है, उसके लिए नए बुनियादी ढांचे की परिवर्तनकारी शक्ति एक पूर्व शर्त है। यह एक ऐसा उभरता हुआ ज्वार है जो देश के सभी वर्गों के जीवन-स्तर को ऊपर उठाएगा। अमेरिकी निवेश बैंक मॉर्गन स्टेनली की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने आपूर्ति-पक्ष से संबंधित सुधार, अर्थव्यवस्था के औपचारिककरण, रियल एस्टेट क्षेत्र के विनियमन, सामाजिक हस्तांतरण के डिजिटलीकरण, दिवाला एवं दिवालियापन से संबंधित सुधार, मुद्रास्फीति के लचीले लक्ष्यीकरण, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर ध्यान, इक्विटी बाजारों में सुधार और कॉरपोरेट मुनाफे के प्रति सरकारी समर्थन जैसे प्रमुख नीतिगत विकल्पों की सहायता से एक दशक से भी कम समय में खुद को बदल लिया है। इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि आने वाले दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था के कई वृहद आर्थिक संकेतकों में लगातार बढ़ोतरी होने वाली है। भारत की मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता 2022 में 447 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2032 में 1500 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। निर्यात बाजार में हिस्सेदारी 2031 तक दोगुनी से अधिक होकर 4.5 प्रतिशत हो जाएगी, जबकि 2021 में यह हिस्सेदारी 2.2 प्रतिशत थी। भारत की प्रति व्यक्ति आय वर्तमान में 2,200 अमेरिकी डॉलर से दोगुनी होकर 2032 तक लगभग 5,200 अमेरिकी डॉलर हो जाने की उम्मीद है। इस रिपोर्ट का यह निष्कर्ष है कि भारत वैश्विक विकास के एक प्रमुख चालक के रूप में उभरेगा और नया भारत इस दशक के अंत तक वैश्विक विकास के पांचवां हिस्से को संचालित करेगा।

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