हिन्दी कविता : क्यों करते है वो ऐसा? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शनिवार, 1 जुलाई 2023

हिन्दी कविता : क्यों करते है वो ऐसा?


क्यों करते है वो ऐसा?

एक नहीं देते पैसा,

लाख बार रुलाते हैं,

काम सारा करवाते हैं,

मज़दूरी भी करवाते हैं,

मगर किसी चीज के लिए

पैसा एक नहीं देते हैं,

ये भी करो, वो भी करो,

बस पूरे दिन काम करो,

किस बात का अभिमान करते हैं,

मानवता को बदनाम करते हैं,

लड़की भी चाहती है जीवन में आगे बढ़ना,

फिर क्यों बोझ समझ कर फेंक देते हैं।।







Manisha-chhippa-charkha-features


मनीषा छिम्पा

लूणकरणसर, राजस्थान

चरखा फीचर

कोई टिप्पणी नहीं: