हिन्दी कविता : क्या है जिंदगी? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 9 जुलाई 2023

हिन्दी कविता : क्या है जिंदगी?

दो पल की हसीन ये जिंदगी

जिसे लफ़्ज़ों में बयां ना कर सके कोई,

पल में जीना, पल में मरना जिसे पता न हो,

वह जिंदगी ही क्या जिसमें पानी और हवा न हो,

जुदा-जुदा लगी ये जिंदगी मुझे,

कब बचपन से बड़े हुए, पता ही नही मुझे,

वह चांद की चांदनी रातें,

जिसमें करते हम तारों की बातें,

जिसमें पलकों का न झपकना,

तारों का यूं टिमटिमाना,

ये हसीन सी जिंदगी,

जिसमें खुशियों का है ठिकाना,

सूरज का निकलना, चांद का आना

खुशियों का आना और दुःखों का जाना,

इतनी है जिंदगी, इतना ही फ़साना,

सोच में डुबो दो पल, आखिर क्या है ज़िंदगानी?

समंदर से गहरी, आसमान या कोई तूफानी,

क्या है तू, बता दे ए ! जिंदगी,

क्यों तुझे लफ़्ज़ों में बयां न कर सकूं,

बस एक बात सच है जिंदगी,

जो आया है वह जाएगा भी,

यूँ खट्टी-मीठी बातें जिसे समझ आए,

जिंदगी की कहानी उसकी बन जाए।।




Dolly-gadhiya-charkha-features


डॉली गढ़िया

पोथिंग, कपकोट

बागेश्वर, उत्तराखंड

चरखा फीचर

कोई टिप्पणी नहीं: