- ‘इंडिया’ नाम से भाजपा में घबराहट, विपक्षी एकता की प्रक्रिया लगातार बढ़ रही आगे.
- वैचारिक एकता, भाजपा के खिलाफ मजबूत आंदोलन और वोटों के बिखराव को रोकने के लिए है ‘इंडिया’
बेंगलुरू बैठक में तीन महत्वपूर्ण चीजों पर बात हुई. पहली - विपक्षी दलों के बीच एक मजबूत वैचारिक एकता का निर्माण, 2. भाजपा के खिलाफ पूरे देश में मजबूत जनांदोलन और 3. वोटों में बिखराब को रोकने के लिए सीटों की शेयरिंग. इस दिशा में हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं. बेंगलुरू बैठक से सामान्य संकल्प लिया गया कि जहां-जहां गैर भाजपा सरकारें हैं, उन्हें उसी संकल्प के आलोक में बढ़ना चाहिए. संकल्प पत्र वैकल्पिक राजनीति, सामाजिक और आर्थिक एजेंडे की बात करता है, लेकिन हम देख रहे हैं बिहार में उसकी लगातार उपेक्षा हो रही है. आशा कार्यकर्ताओं-फैसिलिटेटरों सहित नियोजित शिक्षकों के सवाल हैं. उम्मीद थी कि बिहार सरकार अपनी कार्यशैली में बदलाव करेगी, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. गैर भाजपा शासन का चरित्र अलग होना चाहिए. इसपर हम लगातार बात करते रहे हैं और आगे भी हमारी कोशिश जारी रहेगी. अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह ने कहा कि भाजपा देश को तोड़ने में लगी है. विभाजन व नफरत की राजनीति ही उसका केंद्रीय बिन्दु है. यह नफरत की राजनीति अब चलने वाली नहीं है. आशाकर्मियों की नेता शशि यादव ने आशाकर्मियों की मांगों को पूरा करने की मांग उठाई. कहा कि आशाकर्मियों को मानदेय कहकर 1000रु. का मासिक पारितोषिक दिया जा रहा है. इसे बदलने की जरूरत है. बिहार सरकार आशा कर्मियों व फैसिलिटेटरों के लिए सम्मानजनक मानदेय की व्यवस्था करे. राज्य सचिव कुणाल ने शिक्षकों पर जारी दमनात्मक कार्रवाई की निंदा की. कहा कि बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा में 14 संगठन शामिल हैं, 13 संगठनों के नेताओं पर कार्रवाई कर दी गई है. यह निंदनीय है. 24 जुलाई को हमारी पार्टी के विधायक वार्ता के मसले पर श्री लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से मिला. हमें उम्मीद है कि सरकार अविलंब वार्ता के लिए वाम दलों व शिक्षक संगठनों को आमंत्रित करेगी. संवाददाता सम्मेलन में फुलवारी विधायक गोपाल रविदास भी उपस्थित थे.
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