- देश में महिलाओं पर बढ़ती हिंसा सभ्य समाज के लिए कलंक
भोपाल। मणिपुर में महिलाओं पर हो रही बर्बरता और समाज में बढ़ती हिंसा के विरोध में आज गांधी भवन में एक दिवसीय सामूहिक उपवास का आयोजन किया गया। इसमें सात साथियों ने उपवास किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने आयोजित धरने विभिन्न संस्थाओं एवं जन संगठनों से जुड़े सैकड़ों लोग शामिल हुए। धरने में इस बात को लेकर चिंता जाहिर की गई कि राजनीतिक, सामाजिक, जातीय एवं सांप्रदायिक हिंसा में महिलाओं को निशाने बनाने की प्रवृत्ति बहुत ही घातक है। आज भी समाज में पितृसत्तात्मक सोच हावी है और महिलाओं को संपत्ति की तरह देखा जाता है, जिसकी वजह महिलाओं को हिंसा का शिकार होना पड़ता है। सरोकार संस्था की सुश्री कुमुद सिंह ने कहा कि मणिपुर की हिंसा ने पूरे देश को आंदोलित कर दिया है। हम सभी न केवल मणिपुर में हिंसा की शिकार हुई महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए साथ है, बल्कि देश में महिलाओं के साथ बढ़ती हिंसा के खिलाफ भी चिंतित हैं। महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने के लिए हमें पितृसत्तात्मक सोच को बदलने की जरूरत है। अखिल भारतीय जन विज्ञान नेटवर्क की सुश्री आशा मिश्रा ने कहा कि यह दुखद है कि मणिपुर में हो रही हिंसा के खिलाफ उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोग भी चुप हैं। सरकारों को समुदायों के बीच बढ़ते अविश्वास को खत्म करने की दिशा में तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। इस तरह की हिंसा को नहीं रोक पाना राज्य की नाकामी है।
गांधी भवन न्यास के सचिव दयाराम नामदेव ने कहा कि गांधी जी ने उपवास को एक अहिंसक हथियार माना था, जिसके माध्यम से प्रतिरोध किया जाता है। आज हम उपवास पर बैठकर मणिपुर में हो रही हिंसा को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं और सरकारों को उनकी जिम्मेदारियों की ओर ध्यान दिलाना चाहते हैं। एकता परिषद के अनीष कुमार ने कहा कि मणिपुर में हो रही हिंसक टकराव और उसमें महिलाओं को हथियार बनाना बहुत ही पीड़ादायी है। इसका विरोध करते हुए हम यह मांग करते हैं कि जन संगठनों एवं संस्थाओं की अगुवाई में मणिपुर की हिंसा रोकने के लिए पहल की जाए। वंसम मिशन यूनिटी के शरद कुमरे ने कहा कि समाज को इस तरह से विभाजित करने वाली शक्तियों को किसी भी तरीके संरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से सरकार भी इन पर कार्यवाही नहीं कर रही है और वे हिंसा को खत्म करने की दिशा में सार्थक पहल नहीं कर रही हैं। समता ट्रस्ट सहित अन्य संस्थाओं एवं संगठनों के साथियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सुश्री कुमुद सिंह, अनीष कुमार, अंकित मिश्रा, शुबोजी बोस, शरद कुमरे, सरस्वती उईके, नीरू दिवाकर और राजु कुमार ने उपवास किया।
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