वाराणसी : ज्ञानवापी का होगा एएसआई सर्वे, कोर्ट ने दी मंजूरी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 21 जुलाई 2023

वाराणसी : ज्ञानवापी का होगा एएसआई सर्वे, कोर्ट ने दी मंजूरी

  • जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट के इस आदेश का हिन्दू पक्ष के लोगों ने हर हर हर महादेव के जयकारे के बीच फैसले का स्वागत किया है, मामले की अगली सुनवाई अब 4 अगस्त को होगी
  • जांच टीम सर्वे कर रिपोर्ट पेश करेगी, मुस्लिम पक्ष इस आदेश को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दे सकता है

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वाराणसी (सुरेश गांधी) जिला सत्र न्यायालय, वाराणसी की अदालत ने शुक्रवार को ज्ञानवापी का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से रडार तकनीक से सर्वे कराने की इजाजत दे दी है. कोर्ट ने मां श्रृंगार गौरी के मूल वाद में विवादित हिस्से (वजूखाना) को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे कराने की अनुमति दी है. मुस्लिम पक्ष ने सर्वे का विरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने सभी दलीलों को सुनकर सर्वे की अनुमति दे दी है. वाराणसी जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने कहा है कि एएसआई बताए कि किस तरह से और कैसे सर्वे होगा कि ज्ञानवापी परिसर में किसी भी तरह का नुकसान न हो। सर्वे के संबंध में पूरी तैयारी के साथ एएसआई चार अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करें। इसके साथ ही मुकदमे की सुनवाई की अगली तिथि अदालत ने चार अगस्त नियत की है। मुस्लिम पक्ष इस आदेश को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दे सकता है. दरअसल, 14 जुलाई को वाराणसी के चर्चित श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले में मस्जिद का सर्वे कराने की याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई थी. तब जिला जज ने ऑर्डर रिजर्व कर लिया था. अदालत में हिंदू पक्ष की चार वादिनी रेखा पाठक, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और सीता साहू की तरफ से बीते 16 मई को प्रार्थना पत्र दिया गया था। कहा गया था कि ज्ञानवापी में सील किए गए वजूखाना को छोड़कर बाकी क्षेत्र का एएसआई से रडार तकनीक से सर्वे कराया जाए। इसी याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इजाजत दे दी है. हिंदू पक्ष के सीनियर अधिवक्ता वष्णु शंकर जैन ने बताया कि इस सर्वे से साफ हो जायेगा कि श्ररनवापी ही आदि विश्वेशर भगवान भोलेनाथ ही है। 12 और 14 जुलाई 2023 को व्यापक बहस में मुस्लिम पक्ष द्वारा घोर आपत्ति की गई थी. उन्होंने कहा था कि यदि ज्ञानवापी परिसर का पुरातत्व सर्वेक्षण होता है, तो ऐसी दशा में उत्खनन आदि से ज्ञानवापी के ढांचे को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है. लिहाजा किसी भी प्रकार से ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर का पुरातात्विक सर्वे नहीं होना चाहिए. साथ ही इस मामले में हिंदू पक्ष के द्वारा साक्ष्य संकलन किया जा रहा है, जो कि विधि सम्मत नहीं है. इसी विषय पर पिछली सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं ने विस्तारपूर्वक जिला न्यायालय के समक्ष हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के विधिक आख्यानों को रखते हुए जनपद न्यायाधीश से निवेदन किया गया था कि ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराना जरूरी है, इससे सनातनी हिन्दूओं में तनावपूर्ण वातावरण है. ज्ञानवापी परिसर में किस कालखंड में कौन सी संरचना से मंदिर बना था ये जानना बेहद जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर जैन ने पहले कराए गए कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट को पेश किया। उनका कहना है कि सर्वे के दौरान वुजुखाने में शिवलिंग जैसी आकृति मिली है। आकृति की जांच का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस कारण परिसर को सील कर दिया गया। आसपास का क्षेत्र स्वतंत्र है। वकील ने अदालत के समक्ष संभावना जताई कि आगामी सर्वे हो तो एक और शिवलिंग मिल सकता है। इसलिए परिसर के खंडहरनुमा अवशेष, तीनों गुंबद और व्यासजी के तहखाने की जांच एएसआई और वैज्ञानिक पद्धति से कराई जाए। कार्बन डेटिंग के जरिए भी सर्वे की मांग की गई है। मांग में पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराने की बात याचिका में की गई है। वाराणसी कोर्ट में 14 जुलाई को हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था- ज्ञानवापी आदिविश्वेश्वर का मूल स्थान है। यह लाखों लोगों की भावनाओं से जुड़ा है। सर्वे के दौरान पश्चिमी दीवार पर मिले निशान और अवशेषों से लगता है कि यह मंदिर की दीवार है। ओरल एवीडेंस के आधार पर कोई पक्ष नहीं रखा जा सकता, इसलिए सर्वे अनिवार्य है। हम संपूर्ण परिसर के सर्वे की मांग करते हैं, जिससे सभी को पता चलेगा कि यह परिसर स्वयंभू आदिविश्वेवर मंदिर है। मंदिर को लेकर बताने वाला कोई जिंदा नहीं है, लेकिन इतिहास है, जो बहुत कुछ कह रहा है। सर्वे के बाद वाराणसी का इतिहास सामने होगा। वकील ने हिंदू मंदिर के समर्थन में कई सबूत और तथ्य कोर्ट के सामने रखे हैं। इस मामले में कोर्ट ने 22 मई, 12 जुलाई और 14 जुलाई को सुनवाई कर आदेश सुरक्षित रख लिया था। सीनियर अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी व सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि वैज्ञानिक सर्वे के आधार पर रिपोर्ट आने के बाद कोर्ट में मामले पर आगे की सुनवाई होगी। महिलाओं की ओर से श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की याचिका पर इसके बाद निर्णय होगा। यह मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है.” मुझे लगता है कि सर्वेक्षण 3 से 6 महीने के भीतर पूरा हो जाएगा.”


हरहर महादेव के जयकारे बीच हिन्दू पक्ष में जश्न

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जिला जज की अदालत में आवेदन मंजूर  होने पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताते हुए इसे बड़ी जीत करार दिया है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं ने कहा कि सर्वे से यह स्पष्ट हो जाएगा कि ज्ञानवापी की वास्तविकता क्या है। सर्वे में बिना क्षति पहुचाएं पत्थरों, देव विग्रहों, दीवारों सहित अन्य निर्माण की उम्र का पता लग जाएगा। वहीं, विपक्षी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने सर्वे कराने के आवेदन का विरोध किया है। हिंदू पक्ष के एडवोकेट ने निवेदन किया था कि आर्कियोलॉजी के एक्सपर्ट रडार पेनिट्रेटिंग, एक्सरे पद्धति, रडार मैपिंग, स्टाइलिस्ट डेटिंग कर सकते हैं। स्टाइलिस्ट डेटिंग में किसी संरचना के निर्माण शैली से उसकी सदियों पुराने स्थिति का आकलन किया जाता है। इसमें पुरातत्व के विशेषज्ञ प्रूफ कर देते हैं कि संबंधित संरचना किस दौर की है। ज्ञानवापी परिसर में किस दौर में कौन-सी संरचना से मंदिर बना था, यह भी रिपोर्ट में होगा।                                                                                                   

निगरानी अर्जी पर अब 16 अगस्त को सुनवाई

अपर जिला जज (नवम) विनोद कुमार सिंह की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर स्थित वजूखाना में गंदगी फैलाने और शिवलिंग जैसी आकृति पर दिए गए विवादास्पद बयान के मामले में दाखिल निगरानी अर्जी पर सुनवाई हुई। एआईएमआईएम के अध्यक्ष असुदद्दीन ओवैसी की ओर से अधिवक्ता एहतेशाम आब्दी और शवनवाज परवेज ने वकालत नामा लगाया। कोर्ट ने अन्य विपक्षीगण को उपस्थित होने के लिए अगली सुनवाई 16 अगस्त की तिथि तय की।


स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल चिह्न मिले थे

वाराणसी कोर्ट में वकील विष्णुशंकर जैन ने दलील दी कि ज्ञानवापी की 14 से 16 मई के बीच हुए सर्वे में 2.5 फीट ऊंची गोलाकार शिवलिंग जैसी आकृति के ऊपर अलग से सफेद पत्थर लगा मिला। उस पर कटा हुआ निशान था। उसमें सींक डालने पर 63 सेंमी गहराई पाई गई। पत्थर की गोलाकार आकृति के बेस का व्यास 4 फीट पाया गया। ज्ञानवापी में कथित फव्वारे में पाइप के लिए जगह ही नहीं थी, जबकि ज्ञानवापी में स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल जैसे चिह्न मिले। मुस्लिम पक्ष कुंड के बीच मिली जिस काले रंग की पत्थरनुमा आकृति को फव्वारा बता रहा था, उसमें कोई छेद नहीं मिला है। न ही उसमें कोई पाइप घुसाने की जगह है।


हिंदू पक्ष के 5 बड़े दावे

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मुकदमा सिर्फ मां श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन के लिए दाखिल किया गया है। दर्शन-पूजन सिविल अधिकार है और इसे रोका नहीं जाना चाहिए। मां श्रृंगार गौरी का मंदिर विवादित ज्ञानवापी परिसर के पीछे है। वहां अवैध निर्माण कर मस्जिद बनाई गई है। वक्फ बोर्ड ये तय नहीं करेगा कि महादेव की पूजा कहां होगी। देश की आजादी के दिन से लेकर वर्ष 1993 तक मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा होती थी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट में आराजी नंबर-9130 देवता की जगह मानी गई है। सिविल प्रक्रिया संहिता में संपत्ति का मालिकाना हक खसरा या चौहद्दी से होता है। ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में कथित शिवलिंग मिला है।

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