- कृष्ण कराहा पूजन के दौरान हर-हर महादेव का उद्घोष
- कराह पूजा से किसी भी तरह की अनहोनी आपदा विपदा भी टल जाती है : मुन्नू
बता दें, जंगमबाड़ी के तेलियाना अखाड़े में द्वापर युग की परंपराओं के अनुसार यादव बंधुओं द्वारा कृष्ण कराहा पूजन का आयोजन किया गया था। इसमें यादव बंधुओं ने परिवार के साथ मिलकर चारों तरफ वेदी सजाकर कलश स्थापित किया। हवन कुंड में आहुति मंत्रोच्चार के साथ लगातार चल रही थी। इसी बीच मन्नू भगत ने कभी खौलते घी से अपने नंगे हाथों से पूड़ी छानते हुए निकाला तो कभी गरम खीर से स्नान करते नजर आएं। उन्होंने जब भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण करते हुए अग्निकुंड में प्रवेश किया तो वहां खड़े लोग हतप्रभ रह गए। छोटे-छोटे बच्चों को भी मन्नू भगत ने गरम खीर, गरम पूड़ी हाथों पर दिया। लगभग तीन घंटे तक चले इस अनुष्ठान में पांच ब्राह्मणों के साथ बच्चा यादव, राधेश्याम यादव, कन्हैया दुबे केडी, पिंटू यादव, सत्यनारायण यादव और गोपाल यादव मौजूद रहे। मन्नू भगत ने बताया कि इस पूजन से सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होती है और अच्छी बरसात होती है। उनका कहना है कि भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए यह प्रकृति की पूजा की थी। देखने में दूध गर्म दिखता है, लेकिन पूजा के प्रभाव से शरीर पर डालते ही ठंडा हो जाता है। उन्होंने बताया कि भगवान कृष्ण ने देश में सुख समृद्धि व शांति के लिए शक्ति पूजा अर्चना की थी। भक्तों की मदद के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था और कई तरह की लीला उस समय हुई थी। उस समय लोगों ने भगवान कृष्ण, बलदाऊ को खीर चढ़ाया था। उनका समाज भगवान कृष्ण को अपना पूर्वज मानते हैं. मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण द्वापर युग में धरती लोक पर मनुष्य के रूप में आए थे, इसलिए द्वापर युग से कराह पूजा होते आ रहा है. साथ ही भगवान कृष्ण भी यह पूजा करते थे. यादव समाज के लोगों के बीच प्राचीन समय से यह मान्यता और परंपरा रही है कि कराह पूजा करने से हमारे आसपास की प्रकृति स्वच्छ हो जाती है. इस पूजा से जन कल्याण भी होता है. साथ ही वातावरण की शुद्धि के लिए भी यह पूजा पूरे विधि- विधान से किया जाता है. कराह पूजा से किसी तरह की अनहोनी आपदा विपदा भी टल जाती है.
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