पटना. न डरे है और न झूके है,अपना अधिकार लेकर रहेंगे. आशा कार्यकर्ता और आशा फैसिलिटेटर 12 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है.बिहार सरकार के द्वारा 7 दिनों से जारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गई आशा कार्यकर्ता और आशा फैसिलिटेटर की सुधि नहीं ली जा रही है.गत 17 जुलाई से कुरियर भी बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं.कुल मिलाकर स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गयी है. इस बीच अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने एक प्रेस बयान जारी कर आशा कार्यकर्ता और आशा फैसिलिटेटर द्वारा 12 जुलाई से चल रहे अनिश्चितकालीन हड़ताल का समर्थन किया है.ऐपवा की राज्य अध्यक्ष सोहिला गुप्ता और राज्य सचिव अनिता सिन्हा ने कहा कि पारितोषिक नही,मासिक मानदेय चाहिए, 1000 नही 10000रू नियमित मासिक मानदेय चाहिए, आशा कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य कर्मचारी घोषित करने समेत 9 सूत्री मांगों की पूर्ति को लेकर पूरे बिहार की तकरीबन एक लाख आशा और आशा फैसिलिटेटर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. उन दोनों नेताओं ने कहा कि राज्य सरकार अविलंब राज्य आशा कार्यकर्ता संघ के नेताओं को वार्ता के लिए बुलाएं.आशा कार्यकर्ता और फैसिलिटेटर राज्य की ग्रामीण स्वास्थ्य क्षेत्र की रीढ़ हैं.उनके हड़ताल पर जाने से बिहार का ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से चरमरा गया है.आशाओं के समर्थन में पूरे बिहार में ऐपवा के कार्यकर्ता भी उनके साथ आन्दोलन में सड़क पर हैं. इसलिए सरकार बजट सत्र 2023 में किए गए घोषणा के अनुसार आशाओं की मांगों पर सम्मानजनक वार्ता कर उनकी मांगे पूरी करें. बिहार में आशा और आशा फैसिलिटेटर का अनिश्चितकालीन हड़ताल का आज सातवां दिन है छठे दिन भी हड़ताल जोरदार सफल रहा कल तक जो पीएचसी हड़ताल में नहीं था वह भी हड़ताल में बैठ गया है शिवहर से लेकर के किशनगंज तक आशाएं हड़ताल में बैठ गई हैं कहीं कहीं प्रशासन दमन का रुख अख्तियार कर रहा है. प्रभारी पदाधिकारी भी पूरी तरह से दबाव डाल रहे हैं आशाओं को काम करने के लिए लेकिन आशा बहने मुस्तैदी से डटी हुई हैं.वहीं पटना जिले के धनरूआ पीसी के द्वार पर आशा और आशा फैसिलिटेटर के साथ कुरियर भी प्रदर्शन में भाग ले रहे है.
बुधवार, 19 जुलाई 2023
बिहार : अपना अधिकार लेकर रहेंगे
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