बिहार : सरकार दमन चलाने के लिए आशाओं पर झूठा इल्जाम लगाकर लेटर निकाल दिया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 27 जुलाई 2023

बिहार : सरकार दमन चलाने के लिए आशाओं पर झूठा इल्जाम लगाकर लेटर निकाल दिया

  • राज्य स्वास्थ्य समिति ने सभी डीएम को लिखा पत्र, सरकारी कार्य बाधित करने पर प्राथमिकी भी दर्ज होगी

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पटना. बिहार में आशा-फैसिलिटेटर का अनिश्चितकालीन हड़ताल 12 जुलाई से चल रहा है.बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट-ऐक्टू) अध्यक्ष शशि यादव और आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ (सीटू) अध्यक्ष मीरा सिन्हा द्वय नेताओं ने कहा कि एक तरफ वार्ता के लिए बुला रहें हैं दूसरी तरफ कार्यवाही का पत्र निकाल रहें हैं ये सरासर तानाशाही रवैया है इससे डरने वाली नहीं है बिहार की आशा व फैसिलिटेटर बहनें. इस बीच बीते 12 जुलाई से राज्य के 90 हजार से अधिक आशा कार्यकर्ताओं की अनिश्चितकालीन हड़ताल पर अब राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाने का निर्णय लिया है. राज्य स्वास्थ्य समिति ने बुधवार को सभी डीएम को पत्र लिखकर कहा है कि नियमानुसार आशा कार्यकर्ताओं को चार कार्य अनिवार्य रूप से करने हैं.ऐसा नहीं करने वालों को चयनमुक्त (हटाने) की कार्रवाई शुरू की जाए.साथ ही कार्य में बाधा पहुंचाने वाली आशा कार्यकर्ता पर केस किया जाए.

      

स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय सिंह की ओर से सभी डीएम व सिविल सर्जन को लिखे पत्र में कहा गया है कि कई प्रखंडों में आशा व आशा फैसिलिटेटर पिछले 15 दिनों से हड़ताल पर हैं.साथ ही, सारण के अमनौर सहित कई प्रखंडों में स्वास्थ्य विभाग के कार्य में भी बाधा पहुंचा रहे हैं. फील्ड सर्वे करने गई एएनएम व आंगनबाड़ी सेविका से कुछ आशा द्वारा रजिस्टर की छीनाझपटी की गई है.उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेशानुसार आवश्यक सेवाओं को बाधित नहीं किया जा सकता.आशा कार्यकर्ताओं का यह कृत्य न्यायालय के आदेश अनुसार आवश्यक सेवाओं को बाधित नहीं किया जा सकता.आशा कार्यकर्ताओं का यह कृत्य न्यायालय के आदेश की अवमानना है. इसलिए जो आशा सक्रिय नहीं हैं, उन्हें चयनमुक्त करने का प्रावधान है. बिहार में आशा और आशा फैसिलिटेटर ने अनिश्चितकालीन हड़ताल काे धारधार करने के निश्चय के क्रम में बिहार के सैकड़ों पीएससी पर आशा और आशा फैसिलिटेटर खाना बना रही हैं.3 दिन का सत्याग्रह का आह्वान किया है. जो 26 जुलाई से शुरू हुआ.आज 27 जुलाई सत्याग्रह का द्वितीय दिन है.कल 28 जुलाई को सत्याग्रह का तीसरा दिन होगा. इस सत्याग्रह में आशा और आशा फैसिलिटेटर ने अपने पूरे परिवार के साथ धरना पर बैठी है। आशा कार्यकर्ता एवं फैसिलिटेटर पूसा में  अनिश्चितकालीन हड़ताल पर 15वें दिन भी रहीं. धरना स्थल पर आशा व फैसिलिटेटरों ने गैस- चूल्हा, बर्तन लाकर खाना बनाया और सभी ने मिलकर खाया.इसके बाद सरकार के खिलाफ खूब नारेबाजी की.इस दौरान ओपीडी, पोलियो समेत कई कार्य ठप रहा. इसका नेतृत्व आशा संघ की प्रखंड अध्यक्ष कल्पना सिन्हा व प्रखंड सचिव उषा कुमारी ने संयुक्त रूप से किया। इनके समर्थन में आशा संघ के मुख्य संरक्षक भाकपा-माले प्रखंड सचिव अमित कुमार भी मौजूद थे.इस दौरान आयोजित सभा को स्कीम वर्कर्स जिला प्रभारी महेश कुमार,खेग्रामस अध्यक्ष अजय कुमार व सचिव सुरेश कुमार, भाग्यनारायण राय, माले जिला कमिटी सदस्य रौशन कुमार समेत बड़ी संख्या में आशा कार्यकर्त्ता एवं फैसिलिटेटरों ने संबोधित किया. मौके पर कुमारी सीमा,अंजु कुमारी, प्रीतिबाला कुमारी, प्रमिला कुमारी, रेखा देवी,बबिता देवी,शिव कुमारी, सुनिता कुमारी, गीता कुमारी, चंचला कुमारी, शशि कुमारी आदि मौजूद थीं. बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट-ऐक्टू) अध्यक्ष शशि यादव व आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ (सीटू) अध्यक्ष मीरा सिन्हा ने कहा कि सरकार वार्ता करने की बात की हैं.दूसरी तरफ 26 जुलाई को सरकार दमन चलाने के लिए आशाओं पर झूठा इल्जाम लगाकर लेटर निकाल दिया है. महागठबंधन की सरकार में इस तरह की दमनात्मक कार्रवाई हो रही है.इससे आशाएं डरने वाले नहीं हैं.द्वय नेताओं ने कहा कि आशा से 52 तरह के काम लिए जाते हैं. इस बार ठोस वार्ता के बाद ही हड़ताल समाप्त होगी.संघ की 9 सूत्री मांगों में प्रमुख मांग है कि प्रोत्साहन राशि के बदले 10 हजार मानदेय देना है.

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