विशेष : दुनियाभर के मंदिरों में एक जैसा हो मैनेजमेंट - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 24 जुलाई 2023

विशेष : दुनियाभर के मंदिरों में एक जैसा हो मैनेजमेंट

भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी के रुद्राक्ष सेंटर में आयोजित इंटरनेशनल टेंपल कॉन्क्लेव के मंथन में दुसरे दिन सहमति बनी कि हर सनातनी माथे पर तिलक लगाएं। क्योंकि तिलक सनातन धर्म का सबसे पुण्य चिन्ह माथे का तिलक है. तिलक ना केवल धार्मिक और आध्यात्मिक पहचान बताता है, बल्कि संप्रदाय की पहचान भी कराता है. इसके अलावा वैश्विक स्तर के इस कार्यक्रम में निर्णय लिया गया कि हमारे मंदिरों के देवी-देवता अलग हो, उनकी पूजा की परंपरा भले अलग हो, लेकिन मंदिर की व्यवस्था या यूं कहे संचालन, रख-रखाव एक जैसी होनी चाहिए। इससे न सिर्फ भिन्नता दूर होगी, बल्कि एकजुटता बनेगी। बता दें, तीन दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन शनिवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने किया। उन्होंने मंदिरों को भक्ति के साथ-साथ शक्ति का केंद्र बनने की भी बात कही। इसके साथ ही उन्होंने प्रबंधन को लेकर कहा कि सरकार हो या कोई प्राइवेट पार्टी, प्रबंधन देखने वालों का भक्त होना जरूरी है। उन्हीं की बातों को आगे बढ़ाते 41 देशों से आएं हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लगभग 700 प्रतिनिधियों का मंथन जारी है। इस प्रयास को ठीक उसी तरह से देखा जा रहा है, जैसे पाणिनी ने भगवान भोलेनाथ के डमरू से निकली ध्वनियों को संकलित कर व्याकरण की रचना कर डाली थी। अब यही कार्य इस मंथन में हो रहा है। सोमवार को कार्यक्रम का अंतिम दिन है


Temple-management
दरअसल, मंथन के दौरान हम औरों की अपेक्षा अलग कैसे दिखे इस पर चर्चा के दौरान यह बात निकलकर आयी कि सिर्फ बोलने से नहीं कार्य करने व दिखना भी जरुरी है। इसके लिए जरुरी है कि हर हिन्दू के माथे पर तिलक हो। क्योंकि तिलक लगाना हिंदू परम्परा का एक विशेष कार्य है. बिना तिलक लगाए ना तो पूजा की अनुमति होती है और ना ही पूजा संपन्न मानी जाती है. तिलक के द्वारा यह भी जाना जा सकता है कि आप किस सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखते हैं. इससे स्वास्थ्य उत्तम होता है. मन को एकाग्र और शांत होने में मदद मिलती है. साथ ही ग्रहों की उर्जा संतुलित हो पाती है और भाग्य विशेष रूप से मदद करने लगता है. यह हिन्दू रीति रिवाज अत्यंत प्राचीन है। माना जाता है कि मनुष्य के मस्तक के मध्य में विष्णु भगवान का निवास होता है, और तिलक ठीक इसी स्थान पर लगाया जाता है। तिलक लगाना देवी की आराधना से भी जुड़ा है। तिलक हिंदू संस्कृति में एक पहचान चिन्ह का काम करता है। तिलक केवल धार्मिक मान्यता नहीं बल्कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण भी बताए जाते हैं। जानकारों की मानें तो हिन्दू आध्यात्म की असली पहचान तिलक से होती है। मान्यता है कि तिलक लगाने से समाज में मस्तिष्क हमेशा गर्व से ऊंचा होता है। हिंदू परिवारों में किसी भी शुभ कार्य में “तिलक या टीका“ लगाने का विधान हैं।


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फिरहाल, भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी में मंदिरों के प्रबंधन की एकरूपता, रखरखाव सहित अन्य योजनाओं पर मंथन हो रहा है। वैश्विक स्तर के इस कार्यक्रम में विश्व स्तर पर मंदिरों की स्थिति पर समीक्षा की जा रही है। काशी से एक बड़ा संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है। की कोशिश की जा रही है। इस प्रयास को ठीक उसी तरह से देखा जा रहा है, जैसे पाणिनी ने भगवान भोलेनाथ के डमरू से निकली ध्वनियों को संकलित कर व्याकरण की रचना कर डाली थी। अब यही कार्य इस मंथन में हो रहा है। विश्व के तमाम देशों में फैले मंदिरों के प्रबंधन से जुड़ी अच्छाईयों को लेकर एक अंतिम निर्णय पर पहुंचने की तैयारी है। प्रबंधन में एकरूपता लाने का प्रयास किए जाने की बात कही जा रही है। टेंपल कनेक्ट के संस्थापक गिरेश कुलकर्णी का कहना है कि काशी एक अनोखी अध्यात्मिक नगरी है। दूसरी ओर, यूपी में ही भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण की धरती है। यहां तीर्थों के राजा प्रयाग हैं, जहां तीन नदियों का संगम मिलता है। इससे पावन स्थान भारत में कहीं अन्यत्र नहीं मिल सकता। हालांकि, देश के तमाम स्थलों पर अध्यात्मिक और धार्मिक चेतना का उदगम हुआ है। गिरेश कुलकर्णी ने कहा कि टेंपल कनेक्ट की तरफ से पहली बार इंटरनेशनल टेम्पल्स कन्वेंशन एंड एक्सपो (आईटीसीएक्स) का आयोजन हो रहा है। यह आध्यात्मिक न होकर मंदिर प्रबंधन, संचालन व प्रशासन के विकास पर आधारित है। मंदिर में पूजा-पाठ के साथ संचालन व्यवस्था को मजबूत बनाना ही प्रमुख उद्देश्य है। लोग, मंदिर न्यास को केवल धार्मिक स्वरूप से देखते हैं। लोगों को सिर्फ तीन बातें याद आती हैं। भगवान का स्थान, पूजा विधि, पुजारी और दर्शन कर जल्दी से बाहर निकलना। लेकिन मंदिर में और भी चीजे होती हैं। मंदिर की व्यवस्था, संचालन में मैनेजमेंट, ऑपरेशन एडमिस्ट्रेशन। इनके बारे में लोगों को पता नहीं होता।


कुलकर्णी ने कहा कि लोगों को यह भी पता होना चाहिए, उनकी सुविधा को अच्छा करने और उन्हें सहूलियत देने के लिए क्या क्या प्रबंध किए जाते हैं? यही वजह है कि अलग-अलग मंदिरों के ट्रस्टी, मैनेजर और सरकारी अफसरों को बुलाया गया है। इनसे मंदिर की सुरक्षा, संरक्षण व निगरानी, फंड प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, स्वच्छता और पवित्रता के साथ साइबर हमलों से सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) टेक्नोलॉजी का उपयोग और एक सुदृढ़ मंदिर समुदाय को बढ़ावा देने पर विमर्श किया जा रहा है। गिरेश ने कहा कि लगभग 57 देशों में सात हजार मंदिर भ्रमण कर उन मंदिरों को डिजिटलीकरण करने का प्रयास किया है। बड़े मंदिरों की व्यवस्था को छोटे मंदिरों को सिखाना ही मकसद है। उन्होंने कहा कि धार्मिक संतुलन को बनाये रखने के लिए बहुत से साधु-संत इस विषय पर कार्य कर रहे हैं। अच्छा प्रबंधन और व्यवस्था ठीक हो यह महत्वपूर्ण है। टेम्पल कनेक्ट के संस्थापक गिरेश कुलकर्णी द्वारा कन्वेंशन में टेम्पल कनेक्ट द्वारा स्मार्ट टेम्पल मिशन भी लॉन्च किया गया। गिरेश कुलकर्णी ने कहा, “शहर को बेहतर बनाने के लिए नई तकनीकी प्रणालियों के माध्यम से सरकारों द्वारा स्मार्ट सिटी मिशन प्रेरित करने वाला है। इस मिशन का लक्ष्य आधुनिक तकनीक, हरित मंदिर, प्लास्टिक-मुक्त मंदिर इकोसिस्टम के साथ मंदिर इकोसिस्टम को सशक्त बनाना और बेहतर एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) बनाने के लिए ऑडिट करना है। यह मिशन इंटरफेस के प्रमुख बिंदु के रूप में काम करेगा, जो प्रौद्योगिकी ज्ञान, नए युग के मीडिया, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, जल स्वच्छता और स्थिरता के विभिन्न क्षेत्रों में मंदिर पारिस्थितिकी तंत्र के साथ मिलकर काम करेगा। इससे मंदिरों के लाभ के लिए शिक्षा पाठ्यक्रम, प्रशासन और एसओपी की प्रणाली स्थापित करके पर्यावरण विशेष रूप से नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने की सुविधा होगी।


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क्रिस्टल इंटीग्रेटेड सर्विसेज, टेम्पल सिक्योरिटी, हाउसकीपिंग, क्राउड मैनेजमेंट और ऑपरेशनल सिस्टम्स के सीईओ संजय दिघे ने कहा, हमारा मुख्य ध्यान हर शहर, गांव या कस्बे में सभी आकार के मंदिर संगठनों को पूरी तरह से सुलभ व आसान सेवाएं देना है, ताकि तीर्थयात्रियों का दर्शन करने का अनुभव सहज और परेशानी मुक्त हो सके। समय बदल गया है और तीर्थयात्रियों की संख्या भी बदल गई है, हर दिन अधिक से अधिक तीर्थयात्री आ रहे हैं, वे युवा हैं, अधिक तकनीक प्रेमी हैं और इसलिए हमारे लिए उनकी बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के दृष्टि से, अपनी सेवाओं को लगातार नया करना और आसान बनाना बहुत महत्वपूर्ण है। यह एक डिजिटल युग है और यहां तक कि मंदिर संगठन भी अब तीर्थयात्रियों को साइट पर चल रही गतिविधियों के बारे में नियमित अपडेट देने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए, हम अपनी सभी सेवाओं को तैयार कर रहे हैं, फिर वह अतिथि सेवा की बात हो, ट्रैफिक मैनेजमेंट हो, वेस्ट डिस्पोजल हो, तीर्थयात्रियों की सुरक्षा हो या हाउसकीपिंग से जुड़ा विषय हो। इसके अतिरिक्त, हम उस स्थान की आर्थिक स्थिति में योगदान देने और बदले में इसके विकास में सहायता करने के उद्देश्य से, अपनी सभी सेवाओं के लिए उस शहर कस्बे के युवाओं को नियुक्त रह रहे हैं जहां देवस्थान मंदिर स्थित है।


ब्लॉसम पब्लिक स्कूल, तंजावुर, तमिलनाडु के संस्थापक और अध्यक्ष, अलागु अलागप्पन ने कहा, एक शांतिपूर्ण दुनिया वह है जो भूख, नफरत, अविश्वास और गरीबी से मुक्त हो। हिंसा, घृणा और भेदभाव कभी भी शांतिपूर्ण दुनिया का हिस्सा नहीं हो सकते हैं। किसी भी पूजा स्थल में इस दुनिया को हासिल करने की क्षमता होती है और मंदिर भी इससे अलग नहीं है। प्रत्येक मंदिर समानता का प्रतीक, शांति का भंडार और सद्भाव का अग्रदूत है। मंदिर आध्यात्मिकता और नैतिकता की भावना को सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हम जो कुछ भी करते हैं, मंदिर हमें मानव बने रहने की निरंतर याद दिलाते हैं। वे हर इंसान को अधिक अनुशासित बनाते हैं ताकि दुनिया रहने के लिए एक बेहतर जगह बन सके। हम एयर  और वाटर प्यूरीफायर के बारे में बात करते हैं। हालाँकि, हमें दिल और दिमाग को शुद्ध करने वालों की ज़रूरत है। और मंदिर हमारे दिल और दिमाग को शुद्ध कर सकते हैं। यह सही सोच को बढ़ावा देते हैं और मानवता को सभी प्रकार के पतन से बचा सकते हैं। बिल्डिंग केयर डायवर्सी के डायरेक्टर, किरण राव ने मंदिरों के संरक्षण के बढ़ते महत्व पर जोर देते हुए कहा, “टेम्पल कनेक्ट कार्यक्रम ने प्रदूषण के प्रभाव को कम करने, स्वच्छता और साफ सफाई को बढ़ाने तथा एक बिना किसी समस्या भक्तों को सुलभ अनुभव देने के लिए, दुनियाभर के मंदिरों के इको सिस्टम को सुव्यवस्थित करने के एक समान उद्देश्य के साथ माननीय गणमान्य व्यक्तियों को एक साथ लाने का कार्य किया है। इसका लक्ष्य, समय की कसौटी पर खरे उतरे उन पौराणिक स्थलों और संरचनाओं को संरक्षित व सुव्यवस्थित करते हुए संजोय रखना है, ताकि उन्हें हमारी भावी पीढ़ियों के लिए एक विरासत के रूप में प्रदान किया जा सके। पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ उत्पादों का उपयोग करके हमारे साझा कार्यक्रमों और समाधानों के माध्यम से, संस्कृति विरासत संरक्षण बनाने और इसे सुनिश्चित करने में सक्षम होना, यह डायवर्सी के लिए सम्मान की बात है, जो उच्च स्तर की स्वच्छता और साफ सफाई सुनिश्चित करते हैं। ’टेंपल हाइजीन प्रोग्राम’ यह सुनिश्चित करेगा कि हम एक साथ मिलकर अपने मंदिरों को बढ़ा सकते हैं और सुंदर बना सकते हैं, क्योंकि इससे समाज का ताना-बाना बुना हैं और हमारी भावी पीढ़ियों को जानकर बनाने का एक तरीका हैं। 


इस्कॉन के गौरांग दास प्रभुजी ने कहा, “मंदिरों का आयोजन इसके विकास के साथ-साथ बड़े पैमाने पर समाज पर पड़ने वाले प्रभाव के लिए आवश्यक है। और किसी मंदिर को प्रभावी ढंग से चलाने और इसे सुचारू रूप से प्रबंधित करने के लिए, मंदिर के भीतर संगठनात्मक ढांचे और जवाबदेही व जिम्मेदारी के लिए सिस्टम स्थापित करना बेहद महत्वपूर्ण है। अच्छी तरह से परिभाषित भूमिकाओं के साथ-साथ, मंदिर का एक प्रक्रिया प्रवाह स्थापित करना जरूरी है। उदाहरण के लिए, इस्कॉन के विश्व स्तर पर 750 मंदिर हैं, और हम बिना किसी रुकावट प्रबंधन के लिए इन 750 मंदिरों की प्रक्रियाओं को दोहरा रहे हैं। मंदिरों को व्यवस्थित करने के अलावा, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि तभी मंदिर प्रबंधन के प्रयास को सफलता मिल सकती है। इस्कॉन कई पाठ्यक्रम प्रदान करता है और प्रभावी मंदिर प्रबंधन में मदद के लिए अपने मंदिरों के बीच, ज्ञान के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है। हम दुनियाभर के मंदिरों के इकोसिस्टम में सुधार को समर्थन देने और सक्षम बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इस प्रकार, इन पाठ्यक्रमों और नॉलेज एक्सचेंज पोर्टल्स तक विश्व स्तर पर कोई भी मंदिर पहुंच सकता है। अयोध्या के नगर आयुक्त, आईएएस, विशाल सिंह ने कहा, “अयोध्या विजन 2047 के साथ, हम पवित्र शहर को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। यह दृष्टिकोण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्किंग, दूरदर्शी दृष्टिकोण और हितधारकों की आकांक्षाओं जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार करने के बाद, अस्तित्व में आया है। हमने बेंचमार्किंग के लिए भक्तों को दी जाने वाली सुविधाओं को समझने हेतु, जेरूसलम और वेटिकन सिटी जैसे दुनियाभर के कई तीर्थ स्थलों के साथ-साथ साईं मंदिर, तिरुमाला तिरुपति और सिद्धि विनायक जैसे राष्ट्रीय तीर्थ स्थलों का बारीकी से ऑडिट और निरीक्षण किया तथा इस तरह हमारे तीर्थयात्रियों को शीर्ष श्रेणी की सेवाएं प्रदान करने के लिए एक रणनीतिक योजना तैयार की है।“ हमारी विकास योजनाएं इन सभी आकांक्षाओं के अनुरूप हैं और वर्तमान में 32,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं जारी हैं।“



Suresh-gandhi


सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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