बिहार में यूसीसी लागू नहीं करने का बिहार सरकार का फैसला सराहनीय - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 18 जुलाई 2023

बिहार में यूसीसी लागू नहीं करने का बिहार सरकार का फैसला सराहनीय

  • भारत को आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राज्य बनाने के लक्ष्य की राह के हर रोड़े को दूर करने का प्रयास

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पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा कि बिहार में किसी भी कीमत पर नहीं लागू होगी समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) मुख्यमंत्री ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक प्रतिनिधिमंडल को इस बारे में आश्वस्त किया. प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री आवास में नीतीश कुमार से भेंट की। भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी भी मौजूद थे. इस प्रतिनिधिमंडल में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य, मौलाना ओबैदुल्लाह असदी, मौलाना अतिकउर रहमान बस्तवी, मौलाना बद्र अहमद तथा मौलाना अनिसउर रहमान कासिमी शामिल थे.  इसको लेकर भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा राज्य में यूसीसी लागू नहीं करने का फैसला सराहनीय है. राज्य में एनआईए की गैरकानूनी गतिविधियों पर भी रोक लगाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा यूसीसी के जरिए देश में एक बार फिर सांप्रदायिक उन्माद फैलाने की प्रयास में है. केंद्र सरकार ने प्रस्तावित यूसीसी के स्वरूप और विषय-वस्तु के बारे में अब तक कोई ठोस प्रस्ताव भी नहीं दिया है लेकिन संघ-भाजपा का प्रचार तंत्र मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने में जुट गया है. 

    

यूसीसी का जितना विरोध मुस्लिम समुदाय की ओर से हो रहा है, उससे कई ज्यादा गुना ज्यादा विरोध मेघालय और नागालैंड जैसे पूर्वाेत्तर के राज्यों और पूरे देश के आदिवासी समुदायों द्वारा किया जा रहा है. यूसीसी का एजेंडा, मुसलमानों का खलनायक करण करने और समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की व्यापक परियोजना का हिस्सा है. ‘लव जिहाद’ के विषाक्त मिथक को प्रसारित और प्रचारित किया जा रहा है तथा “मुस्लिम आबादी, हिंदुओं की आबादी से ज्यादा हो जाएगी” के निराधार और बेतुके नैरेटिव का उपयोग कर यूसीसी को स्वीकार्य बनाने की कोशिशें हो रही हैं. ऐसे में हमारा दायित्व बनता है कि सरकार के इस कुत्सित षड़यंत्र को सफल नहीं होने दिया जाए. आज देश की जनता बेरोज़गारी और जीवनयापन के बढ़ते खर्च से परेशान है. यूसीसी का मुद्दा छेड़कर भाजपा इन प्रश्नों पर चर्चा से बचना चाहती है. भारत को आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राज्य बनाने के लक्ष्य की राह के हर रोड़े को दूर करने का प्रयास करना चाहिए और सामाजिक दमन और हिंसा पर आधारित मनु की संहिता को देश पर लादने के हर प्रयास का विरोध करना चाहिए. हम सब लैंगिक न्याय और समानता के पक्षधर हैं, लेकिन यूसीसी के बहाने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और मुसलमानों को खलनायक के रूप में प्रस्तुत करने की राजनीति के हम पूरी तरह खिलाफ हैं.  माले राज्य सचिव ने यह भी कहा कि बिहार में तो भाजपा एनआईए के जरिए लगातार मुस्लिम समुदाय में आतंक की स्थिति पैदा किए हुए है. फुलवारीशरीफ से लेकर दरभंगा तक हर कहीं, एनआईए का आतंक जारी है. हम बिहार सरकार से मांग करते हैं कि वह एनआईए की गैरकानूनी गतिविधियों पर भी रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाए.

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