वाराणसी : पांच घंटे ज्ञानवापी का एएसआई सर्वे के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रोक - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 24 जुलाई 2023

वाराणसी : पांच घंटे ज्ञानवापी का एएसआई सर्वे के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रोक

  • सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर दो दिन के लिए रोक लगाते हुए मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा 
  • एएसआई ने परिसर के पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी दीवार की माप-जोख डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) से की गई
  • दीवारों की फोटो खींची गई और वीडियोग्राफी कराई गई, इमारत की नींव के पास से मिट्टी और ईंट-पत्थर के नमूने जुटाए गए।

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वाराणसी (सुरेश गांधी) काशी विश्वनाथ मंदिर स्थित ज्ञानवापी मामला एक बार फिर सुर्खियों में हैं। जिला न्यायालय के आदेश के बाद भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) ने सोमवार सुबह 7 बजे से सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर का अपना सर्वे शुरू कर दिया. दोपहर 12 बजते-बजते सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया कि बुधवार (26 जुलाई) शाम  पांच बजे तक सर्वे पर रोक रहेगी। इसे मुस्लिम पक्ष के लिए बड़ी राहत मानी जा रही है. हालांकि इस पांच घंटे में एएसआई ने परिसर के पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी दीवार की माप-जोख डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) से की गई। दीवारों की फोटो खींची गई और वीडियोग्राफी कराई गई। इमारत की नींव के पास से मिट्टी और ईंट-पत्थर के नमूने जुटाए गए। बता दें, जिला जज एके विश्वेश की अदालत ने 32 साल से कोर्ट में लंबित इस पुराने मामले में एएसआई जांच का आदेश दिया था। एएसआई को 4 अगस्त तक सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी की जिला अदालत को सौंपनी थी. इस आदेश के बाबत सुबह 43 सदस्यीय टीम ज्ञानवापी का सर्वे करने पहुंची थी. लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने दोपहर में मामले की सुनवाई करते हुए सर्वे पर दो दिन के लिए रोक लगाते हुए मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा। इसके बाद डीएम, मंडलायुक्त और वादी पक्ष के साथ ही एएसआई की टीम ज्ञानवापी परिसर से बाहर चली गई। इससे पहले अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने सर्वे का बहिष्कार किया था। मसाजिद कमेटी की तरफ से कोई प्रतिनिधि ज्ञानवापी परिसर नहीं पहुंचा था। जबकि एएसआई ने सर्वे के लिए चार टीमें बनाई थीं. चारों टीमें अलग अलग जगह पर सर्वे करने पहुंची थीं. पहली टीम पश्चिमी दीवार के पास, 1 टीम गुंबदों का सर्वे, एक टीम मस्जिद के चबूतरे का और एक 1 टीम परिसर का सर्वे कर रही थी. टीम इस सर्वे में ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जरिए कर रही थी। हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर के अंदर जो बीच का गुम्बद है, उसके नीचे की जमीन से धपधप की आवाज आती है. ऐसे में उसके नीचे मूर्ति हो सकती है, जिसे कृत्रिम दीवार बनाकर ढंक दिया गया है. फिरहाल, यह एरिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सील है। सर्वे टीम इस एरिया को छोड़कर सुबह सात बजे से दोपहर साढ़े बारह बजे तक परिसर में अन्य क्षेत्रों का सर्वे किया। हिंदू पक्ष की चार वादिनी और उनके अधिवक्ताओं का कहना है कि पहले दिन कहीं खोदाई नहीं हुई है। एएसआई की टीम ने लगभग दो घंटे तक मौजूदा इमारत के कोने-कोने का जायजा लिया। सील वजूखाने को दूर से ही देखा। चारों तरफ की फोटो खींची गई और वीडियो शूट किए गए। वीडियोग्राफर और फोटोग्राफर एएसआई के साथ ही प्रशासन के भी थे। उधर, इस संबंध में मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी होते ही एएसआई ने सर्वे का काम रोक दिया। अब बुधवार की शाम पांच बजे के बाद इस संबंध में अदालत के आदेश से ही एएसआई आगे का निर्णय लेगा।जिला जज की अदालत ने चार अगस्त तक मांगी है सर्वे रिपोर्ट।


सुबह से ही गहमागहमी रही

एएसआई के सर्वे को लेकर ज्ञानवापी परिसर के आसपास के इलाके में सोमवार की सुबह से ही गहमागहमी रही। सावन के तीसरे सोमवार को बाबा विश्वनाथ का दर्शन-पूजन करने आए लोग ज्ञानवापी परिसर में सर्वे की बात जानकर हर-हर महादेव का उद्घोष करने लगे। मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा, पुलिस आयुक्त मुथा अशोक जैन और डीएम एस. राजलिंगम के साथ ही पुलिस-प्रशासन के आला अफसर  काशी विश्वनाथ धाम में मौजूद थे। डीसीपी सुरक्षा सूर्यकांत त्रिपाठी और एडीएम प्रोटोकॉल बच्चू सिंह एएसआई की टीम के साथ ज्ञानवापी परिसर में थे।


मुस्लिम पक्ष आज हाईकोर्ट में दायर करेगी याचिका

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मसाजिद कमेटी ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे पर रोक लगाने से संबंधित याचिका मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर कर सकती है। बता दें, ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी के वकील ने सुनवाई के दौरान मांग की थी कि सर्वे पर पूरी तरह रोक लगा दी जाए. उन्होंने दलील दी कि अपील का मौका नहीं दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने हर हाल में 26 जुलाई की शाम 5 बजे से पहले ज्ञानवापी सर्वे पर हाईकोर्ट को अपना आदेश पारित करने को कहा है। हाईकोर्ट के आदेश पर अब ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे का भविष्य टिका दिख रहा है।


मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट को किया गुमराह

हिंदू पक्ष के सीनियर अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वे पर जिला न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है और इलाहाबाद कोर्ट को मामले पर नए सिरे से फैसला करने के लिए कहा है। हम अपनी दलील हाईकोर्ट में रखेंगे। मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया और कहा कि वहां खुदाई शुरू हो गई है, जो सच नहीं है।


सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की दलीले

अंजुमन कमेटी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील हुजैफा अहमदी ने बेंच से कहा, शुक्रवार को सर्वे का आदेश दिया गया. हमें अपील का मौका नहीं मिला और सर्वे शुरू हो गया. उन्होंने कहा, आदेश में खुदाई लिखा है तो हमें अपील का मौका मिलना चाहिए. सीजेआई ने सवाल किया कि सर्वे के दौरान खुदाई होगी तो यूपी सरकार के वकील तुषार मेहता ने बताया कि सर्वे आधुनिक तकनीक से होगा. इसमें कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने भी बताया कि सर्वे में खुदाई नहीं होगी. अहमदी ने पीठ से कहा, हमने सर्वे के लिए दो-तीन रुकने का अनुरोध किया था लेकिन वे नहीं रुके. हमारा मानना यह है कि अभी वैज्ञानिक सर्वे का समय नहीं आया है. पहले केस को मेरिट पर देखना चाहिए. अहमदी ने कहा, पश्चिमी दीवार पर खुदाई हो रही है. यूपी सरकार के वकील तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि मैंने निर्देश लिया है. वहां कोई ईंट भी नहीं सरकाई गई है. मेहता ने कहा, एक सप्ताह तक किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. तब तक ये हाई कोर्ट जा सकते हैं, लेकिन अहमदी ने जोर देकर सर्वे रोकने की मांग की.


हिंदू पक्ष ने कैविएट लगाई

मुस्लिम पक्ष के ज्ञानवापी सर्वे को रोके जाने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब इलाहाबाद हाई कोर्ट पर सरगर्मी तेजहो गई है। मुस्लिम पक्ष मंगलवार तक हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है। इस बीच हिंदू पक्ष भी हाई कोर्ट पहुंच गया है। हिंदू पक्ष ने हाई कोर्ट में कैविएट याचिका दायर कर मुस्लिम पक्ष की एएसआई सर्वे रोकने से संबंधित किसी भी याचिका पर सुनवाई के क्रम में उनके पक्ष को भी रखे देने जाने की मांग की है। बिना हिंदू पक्षकारों का पक्ष सुने कोई आदेश न पारित करने की अपील हाई कोर्ट से की गई है।


शिव ही सत्य हैं : केशव मौर्य

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है। वह पराजित नहीं हो सकता है। शिव ही सत्य हैं।


32 साल से भी अधिक पुराना है मामला

दरअसल,  अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक वाद दायर किया था. इसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी. महिलाओं की याचिका पर जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश पर पिछले साल तीन दिन तक सर्वे हुआ था. सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था. दावा था कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना था कि वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है. इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी. सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने  सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने केस जिला जज को ट्रांसफर कर इस वाद की पोषणीयता पर नियमित सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था. मुस्लिम पक्ष की ओर से यह दलील दी गई थी कि ये प्रावधान के अनुसार और उपासना स्थल कानून 1991 के परिप्रेक्ष्य में यह वाद पोषणीय नहीं है, इसलिए इस पर सुनवाई नहीं नहीं हो सकती है. हालांकि, कोर्ट ने इसे सुनवाई योग्य माना. इसके बाद पांच वादी महिलाओं में से चार ने इसी साल मई में एक प्रार्थना पत्र दायर किया था. किया था. इसमें मांग की गई थी कि ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर का एएसआई से सर्वे कराया जाए. इसी पर जिला जज एके विश्वेश ने अपना फैसला सुनाते हुए सर्वे कराने का आदेश दिया था.


कब कब हुई कार्रवाई

काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद काफी हद तक अयोध्या विवाद जैसा ही है. हालांकि, अयोध्या के मामले में मस्जिद बनी थी और इस मामले में मंदिर-मस्जिद दोनों ही बने हुए हैं. काशी विवाद में हिंदू पक्ष का कहना है कि 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने यहां काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई थी. हिंदू पक्ष के दावे के मुताबिक, 1670 से वह इसे लेकर लड़ाई लड़ रहा है. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां मंदिर नहीं था और शुरुआत से ही मस्जिद बनी थी.


औरंगजेब से जुड़ा ज्ञानवापी का इतिहास

मंदिर और मस्जिद किसने बनवाया, इसे लेकर कोई एक राय नहीं है. याचिकार्ताओं का कहना है कि इस मंदिर को 2050 साल पहले राजा विक्रमादित्य ने फिर से बनवाया था. अकबर के शासन काल में इसका फिर से निर्माण करवाया गया. 1669 में औरंगजेब ने इसे तुड़वा दिया और इसकी जगह ज्ञानवापी मस्जिद बनाई. अभी वहां पर जो काशी विश्वनाथ मंदिर है, उसे इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने बनवाया था. काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद आपस में सटे हुए हैं, लेकिन उनके आने-जाने के रास्ते अलग-अलग दिशाओं में हैं. जानकार मानते हैं कि काशी विश्वनाथ मंदिर को अकबर के नौ रत्नों में से एक राजा टोडरमल ने बनवाया था. इसे 1585 में बनाया गया था. 1669 में औरंगजेब ने इस मंदिर को तुड़वाकर मस्जिद बनवाई. 1735 में रानी अहिल्याबाई ने फिर यहां काशी विश्वनाथ मंदिर बनवाया, जो आज भी मौजूद है.


- 1919 : स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वाराणसी कोर्ट में पहली याचिका दायर हुई. याचिकाकर्ता ने ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने की अनुमति मांगी.

- 1998 : ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमान इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया. कमेटी ने कहा कि कानून इस मामले में सिविल कोर्ट कोई फैसला नहीं ले सकती. हाईकोर्ट के आदेश पर सिविल कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगी. 22 साल तक ये केस पर सुनवाई नहीं हुई.

- 2019 : स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से विजय शंकर रस्तोगी ने वाराणसी जिला अदालत में याचिका दायर की. इस याचिका में ज्ञानवापी परिसर का सर्वे आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से कराने की मांग की गई.

-2020ः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सिविल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख दिया.  2020 में ही रस्तोगी ने निचली अदालत का रुख भी किया, जिसमें मामले की सुनवाई फिर से शुरू करने की मांग की. 

-अप्रैल 2021- हाई कोर्ट की रोक के बावजूद वाराणसी सिविल कोर्ट ने मामला दोबारा खोला और मस्जिद के सर्वे की इजाजत दे दी. इसके बाद अंजुमान इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने ज्ञानवापी परिसर का ।ैप् से सर्वे कराने की मांग वाली याचिका का विरोध किया. हाई कोर्ट ने फिर सिविल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी.

-अगस्त 2021- पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक वाद दायर किया था. इसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति मांगी.

-अप्रैल 2022- अप्रैल में सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने और उसकी वीडियोग्राफ़ी के आदेश दे दिए. यहा एक बार फिर मस्जिद इंतजामिया ने कई तकनीकी पहलुओं को आधार बनाते हुए इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की जो खारिज हो गई.

-मई, 2022-  सेशन कोर्ट में हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया. इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले वाराणसी सिविल कोर्ट ने मस्जिद के अंदर शिवलिंग मिलने का जहां दावा किया गया था उसे सील करने और नमाज अदा करने पर रोक लगाने का फैसला दिया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने ’शिवलिंग’ की सुरक्षा और वुजूखाने को सील करने का आदेश दिया लेकिन मस्जिद में नमाज जारी रखने की इजाजत दे दी. 

मई 2023-  2023 में भी इस मामले को लेकर समय-समय पर अदालत में सुनवाई हुई. मई 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई के सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की साइंटफिक सर्वे की याचिका को स्वीकार कर लिया. जुलाई, 2022- 21 जुलाई को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण ने सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश दिया था और चार अगस्त तक रिपोर्ट देने को कहा.


हिंदू पक्ष की तीन बड़ी मांगें

- पहलीः अदालत पूरे ज्ञानवापी परिसर को काशी मंदिर का हिस्सा घोषित करे.

- दूसरीः मस्जिद को ढहाने का आदेश जारी हो और मुस्लिमों के यहां आने पर प्रतिबंध लगे.

- तीसरीः हिंदुओं को यहां पर मंदिर का पुरर्निर्माण करने की अनुमति दी जाए.

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