विचार : ॐ श्री गुरुवे नमःगुरु पूर्णिमा को समर्पित - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 3 जुलाई 2023

विचार : ॐ श्री गुरुवे नमःगुरु पूर्णिमा को समर्पित

  • ॐ श्री गुरुवे नमः, आज का यह संवाद परम पूज्य गुरुदेव के चरणों में समर्पित

अरुण शांडिल्य {बेगूसराय} 

Guru-purnima
सनातन धर्मावलंबियों का ये गुरु शिष्य परम्परा जो सदियों से चली आ रही है और आज भी चल रही है और आगे भी सतत चलता रहेगा युगों युगों तक।आज बेगूसराय जिलांतर्गत पंडित टोला मोहन एघू वार्ड नम्बर 41 में गुरु पूर्णिमोत्सव बड़े ही धूम धाम से विगत 15 वर्षों से मनाया जा रहा है।इस उत्सव में दूर दूर से सद्गुरु महाराज परमहंस अच्युतानंद जी महाराज उर्फ बौआ जी के आश्रम में आते हैं और उनसे आशीर्वाद ग्रहण कर स्वयं को भाग्यशाली समझते हैं।इनके बारे में कहा जाता है की जो भी शिष्य इनसे दीक्षा लिया उसका कायाकल्प हो गया है।इस तरह से अपना अपना मंतव्य देने वाले बहुतायत में शिष्य हैं जिन्होंने उन्मुक्त कंठों से मंच पर द्वारा माइक्रोफोन से अपना अपना विचार रखा। सन 1998 के पूर्व कुछ समयों के लिए इस गुरु शिष्य के परम्परा पर जैसे ग्रहण लग चुका था।जैसा की ग्रामीणों का अपना मंतव्य है।इसके पहले सन 1830 से लेकर 1985 के दशक तक गुरु शिष्य परम्परा विधिवत् चल रहा था।बीच का यह 13/14 वर्षों से वर्षों का ये परम्परा थम सी गई थी।कारण सभी पढ़ लिख कर नौकरी पेशा में चले गए और  यह गुरु शिष्य परम्परा पर ग्रहण सा लग गया था, किन्तु पुनः 13/14 वर्षों बाद श्रद्धेय श्री अच्युतानंद महाराज अपने जप तप साधना के बल पर पुनः गुरु शिष्य परम्परा को कायम करने में सफलता प्राप्त कर फिर से मोहन एघू को गुरु ग्राम से गुरुधाम बना दिए।इनके पर थोड़ा बहुत स्मृति शेष राधा बाबू ने कुछ गुरु के रूप में पूजे और माने जाते थे,इनसे भी पूर्व श्रद्धेय स्मृति शेष जादो बाबू , शशवीर मिश्र गुरु परंपरा को अक्षुण बनाए रखे थे किन्तु इनके बाद तो सब खत्म और गुरु शिष्य परम्परा को तो लोग भूलने लगे थे, किन्तु लोग पूर्ण रूप से इसे भूल जाएं इससे पहले आदरणीय अच्युतानंद महाराज ने पुनः गुरु शिष्य परम्परा को कायम करने में सफल हुए।इसके पहले इन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा था,फिर भी उन सारी परेशानियों,को दर किनार करते हुए आज श्री श्री 108 श्री परमहंस सद्गुरू बौआ जी महाराज के उपाधि से अलंकृत हैं।इस मौके पर नगर के गणमान्य व्यक्तियों में तीन तीन मेयर मंचासिन हुए।नगर के प्रथम मेयर श्री आलोक अग्रवाल द्वितीय मेयर श्री संजय कुमार सिंह और वर्तमान मेयर माननिया श्रीमती पिंकी देवी मंचासीन हुए,इनके साथ वालीवुड अभिनेता अमित अमिय कश्यप,शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह,प्रो.चंद्रशेखर चौरसिया,बैद्यनाथ सिंह, शिवनन्दन सिंग जिन्होंने पांगाछी को पानगाछी धाम बना दिए।अब अन्त में मैं उनका नाम देने जा रहा हूं जो किसी परिचय के मोहताज नहीं,ये है बेगूसराय ही नहीं बल्कि बिहार या देशभर में चर्चित कवि प्रफुल्ल मिश्रा जिन्हें लोग वर्तमान में कवि दिनकर के नाम से संबोधित करते हैं,इन्होंने हिन्दी और भोजपुरी फिल्मों के लिए गाने लिखें है और वो गाने सुपर डुपर हिट हुआ है।इन्होंने एक लागू फिल्म शराबी दूल्हा में बतौर कवि शराब बंदी पर भी काव्य पाठ किया है।इस समारोह का मंच संचालन जो की बौआ जी महाराज के प्रिय शिष्य भी हैं।ये समय समय पर सरकारी कार्यक्रमों के आयोजित कार्यक्रम में भी मंच संचालित करते आ रहे हैं।

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