बिहार : मणिपुर में शांति बहाली के सवाल पर एआइपीएफ और इन्साफ मंच का प्रतिवाद सभा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 3 जुलाई 2023

बिहार : मणिपुर में शांति बहाली के सवाल पर एआइपीएफ और इन्साफ मंच का प्रतिवाद सभा

  • मणिपुर को भाजपा ने साम्प्रदायिक हिंसा की आग में झोंका, मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह तत्काल इस्तीफा दें

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पटना 3 जुलाई, भाजपा शासित मणिपुर में विगत 2 महीने से जारी साम्प्रदायिक हिंसा के खिलाफ़ वहां के मुख्यमंत्री की तत्काल बर्खास्तगी और शांति की बहाली की मांग के साथ आज पटना के बुद्ध स्मृति पार्क में एआइपीएफ और इन्साफ मंच की ओर से प्रतिवाद सभा का आयोजन किया गया. प्रतिवाद सभा को मुख्यतः फुलवारीशरीफ विधायक और इन्साफ मंच के राज्य अध्यक्ष गोपाल रविदास, पटना नगर के अध्यक्ष गालिब, सचिव रामलखन चौधरी, एआइपीएफ के कमलेश शर्मा, आइसा नेता विकास यादव, सामाजिक कार्यकर्ता सरफराज, किसान सभा के नेता उमेश सिंह, ऐपवा की राज्य सचिव अनिता सिन्हा, एडवोकेट जावेद अहमद, भाकपा-माले नेता राजाराम आदि ने संबोधित किया. इन वक्ताओं के अलावा कार्यक्रम में रजनीश उपाध्याय, संतलात, संतोष आर्या, अनिल अंशुमन, प्रमोद यादव, पुनीत, गालिब, आफशा जबीं, जितेन्द्र कुमार, संटू सिंह, आशुतोष कुमार, नीतू कुमारी, निशांत, मुर्तजा अली, शहजादे आलम सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे. गोपाल रविदास ने अपने संबोधन में कहा कि मणिपुर में लगाई गई आग भाजपा प्रायोजित है. विगत 2 महीने से मणिपुर जल रहा है, ईसाई समुदाय पर हमले हो रहे हैं, 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, चर्चां में आग लगाई जा रही है, 50 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हैं, जब-जब गृह मंत्री ने वहां का दौरा किया हमले और तेज हुए, लेकिन वहां के मुख्यमंत्री अभी तक अपने पद पर बने हुए हैं. यही भाजपा का चाल-चरित्र है. मैतई व कुकी समुदाय को आपस में लड़वाकर भाजपा के कॉरपोरेट दोस्त दरअसल मणिपुर के पहाड़ों पर कब्जा करना चाहते हैं. आज पूरा नॉर्थ इस्ट जिसका सामाजिक ताना-बाना बेहद नाजुक रहा है, एक बार फिर भाजपाइयों के कारण बिगड़ गया है. सामाजिक कार्यकर्ता सरफराज ने कहा कि भाजपा को हिंदुस्तान की विविधता पसंद नहीं है. मणिपुर जलाने के बाद अब वह यूसीसी का राग अलाप रही है. जो काम करना चाहिए वह तो कर नहीं रही है लेकिन यूसीसी की आड़ में एक बार फिर वह देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है.


माले के वरिष्ठ नेता राजाराम ने कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री को अपने पद पर बने रहने का कोई भी नैतिक अधिकार नहीं है. हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि वह मणिपुर में तत्काल शांति की बहाली करे. एडवोकेट जावेद अहमद ने कहा कि आजादी के बाद जो पटरी बिछाई गई थी, भाजपा ने उस पटरी से देश को उतार दिया है. यह पटरी कुछ और नहीं बल्कि हमारा संविधान ही है. भाजपा हर काम संविधान के विरोध में करवा रही है और लोगों में चुनावी गुणा-गणित के हिसाब से झगड़े करवा रही है. यूसीसी को भी वह इसी नजरिए से ला रही है. अन्य वक्ताओं ने कहा कि भाजपा दावा करती है कि वह उत्तर-पूर्व अंचल के विकास के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन वह असम से लेकर मणिपुर तक सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और तिकड़मबाजी में ही डूबी रही है. मणिपुर में इस बार उसने किसी प्रकार सत्ता बचाई थी. मणिपुर हाइकोर्ट द्वारा मैतई समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने की अनुशंसा के बाद भड़की हिंसा को भाजपा उलटे हवा दे रही है. सांस्कृतिक विविधता और जनजातीय समुदायों के संवैधानिक अधिकारों व आकांक्षाओं की रक्षा करके ही उत्तर-पूर्व में शांति, लोकतंत्र व विकास की गारंटी की जा सकती है, लेकिन भाजपा का हिंदुत्व बहुसंख्यकवाद का एजेंडा पूर्वोत्तर भारत के नाजुक सामाजिक ताने बाने के विपरीत असर डाल रहा है. मणिपुर की वर्तमान परिस्थिति हमें पूर्वोत्तर भारत में भाजपा के हमलावर एजेंडा के प्रति आगाह कर रहा है.

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