आशा संयुक्त संघर्ष मंच की 9 सूत्री मांगे हैं कि
1(क). आशा कार्यकर्त्ता-फैसिलिटेटरों को राज्य निधि से देय 1000 रुपये मासिक संबंधी सरकारी संकल्प में अंकित 'पारितोषिक' शब्द को बदलकर अन्य राज्यों की तरह नियत मासिक मानदेय किया जाय और इसे बढ़ाकर 10 हजार रुपये किया जाय.
(ख) उक्त विषयक सरकारी संकल्प के अनुरूप इस मद का वित्तीय वर्ष 19-20 (अप्रैल,19 से नवंबर,20 तक) का मासिक 1000 रु० का बकाया राशि का जल्द से जल्द भुगतान किया जाय.
2 अश्विन पोर्टल से भुगतान शुरू होने के पूर्व का सभी बकाया राशि का भुगतान किया जाय.
3(क). आशा कार्यकर्त्ताओं-फैसिलिटेटरों को देय प्रोत्साहन-मासिक पारितोषिक राशि का अद्यतन भुगतान सहित इसमें एकरूपता-पारदर्शिता लाई जाय.
(ख) आशाओं के भुगतान में व्याप्त भ्रष्टाचार - कमीशनखोरी पर सख्ती से रोक लगाई जाय.
4. कोरोना काल की ड्यूटी के लिए सभी आशाओं-फैसिलिटेटरों को 10 हजार रुपया कोरोना भत्ता भुगतान किया जाय.
5(क). आशाओं को देय पोशाक (सिर्फ साड़ी) के साथ ब्लाउज, पेटीकोट तथा ऊनी कोट की व्यवस्था की जाय और इसके लिए देय राशि का अद्यतन भुगतान किया जाय.
(ख) फैसिलिटेटर के लिए भी पोशाक का निर्धारण और उसकी राशि भुगतान की शीघ्र व्यवस्था किया जाय.
(ग) फैसिलिटेटरों को 20 दिन की जगह पूरे माह का भ्रमण भत्ता (SVC) दैनिक 500/-रुपये की दर से भुगतान किया जाए.
6.(क).वर्षों पूर्व विभिन्न कार्यों के लिए निर्धारित प्रोत्साहन राशि की दरों में समुचित वृद्धि के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव एवं अनुशंसा प्रेषित किया जाय.
(ख) आशा व आशा फैसिलिटेटरों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाय.
7. कोरोना से (पुष्ट/अपुष्ट) मृत आशाओं को राज्य योजना का 4 लाख और केंद्रीय बीमा योजना का 50 लाख राशि का भुगतान किया जाय.
8. आशा कार्यकर्ता-फैसिलिटेटर को भी सामाजिक सुरक्षा योजना–पेंशन योजना का लाभ दिया जाय. जब तक नहीं किया जाता तब तक रिटायरमेंट पैकेज के रूप में एकमुश्त 10 लाख का भुगतान किया जाय.
9. जनवरी'19 के समझौते के अनुरूप मुकदमों की वापसी सहित अन्य कार्यान्वित बिन्दुओं को शीघ्र लागू किया जाय.
इस बीज आज दर्जनों आशा व आशा फैसिलिटेटरों ने धनरूआ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर धावा बोलकर केंद्र के मुख्य द्वार को ही अवरूद्ध कर दिया.जिसके कारण जो केंद्र के अंदर है वे लोग अंदर ही फंसकर रह गए हैं.जो बाहर हैं बाहर ही धूप में खड़े है.यह फिल्मी गाना है सटिक जान पड़ रहा है 'बाहर से कोई अन्दर न आ सके अन्दर से कोई बाहर न जा सके सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो'... जिसके कारण चिकित्सा सेवा पूर्णत:ठप हो गयी.
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