विशेष : मध्यप्रदेश कांग्रेस के अगले सिंधिया होंगे जीतू पटवारी ? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 2 जुलाई 2023

विशेष : मध्यप्रदेश कांग्रेस के अगले सिंधिया होंगे जीतू पटवारी ?

ना राजा, ना व्यापारी, अबकी बार जीतू पटवारी.

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शनिवार की दोपहर मध्यप्रदेश का राजनितिक पारा अचानक से बढ़ गया. खबर फ़्लैश हुई की 2009 के एक मामले में भोपाल कोर्ट ने कांग्रेस नेता जीतू पटवारी को दोषी करार दिया है और जल्द हीं सजा सुनाई जाएगी. मीडिया कर्मियों के बीच यही चर्चा थी कि कहीं जीतू पटवारी की हालत भी राहुल गांधी जैसी न हो जाये. इस सारे उठापटक के बीच एक बात सबके आंखों में खटकती रही. जीतू पटवारी के समर्थन में किसी बड़े कांग्रेसी से कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं आई, सभी नेताओं ने एक ट्वीट कर फॉर्मेलिटी पूरी कर दी . मध्यप्रदेश कांग्रेस का ट्विटर हैंडल जो हमेशा एक्टिव रहता है ने इस मामले पर बस एक ट्वीट किया और वह भी कतई औपचारिक. जीतू पटवारी इसलिए भी मध्यप्रदेश की राजनीति में ख़ास हैं क्यूंकि सिंधिया के जाने के बाद जीतू पटवारी मध्यप्रदेश कांग्रेस के युवा चेहरे के तौर पर पहचाने जाते हैं. उन्हें राहुल गाँधी का ख़ास माना जाता है और कमलनाथ से कुछ ख़ास नहीं बनती. राजनीति के जानकार कहते हैं कि जीतू पटवारी कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की अगली पीढ़ी के लिए चुनौती हो सकते हैं, इसलिए उन्हें थोडा दबा कर ही रखा जाता है.


क्या है पूरा मामला ?

2009 में राजगढ़ जिले में जीतू पटवारी एक विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इस मामले में उनके ऊपर शासकीय कार्य में बाधा डालने की एफ आई आर दर्ज की गयी. एमपी एमएलए कोर्ट ने इसी मामले में कांग्रेस के मौजूदा विधायक और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को दोषी करार दिया है. पटवारी पर कोर्ट ने 1 साल की सजा और 10,000 का जुर्माना भी लगाया है. जीतू पटवारी को भोपाल कोर्ट से जमानत मिल चुकी है. जीतू पटवारी सहित 17 लोगों पर साल 2009 में राजगढ़ में एक प्रदर्शन के दौरान शासकीय कार्य में बाधा डालने का प्रकरण पुलिस द्वारा दर्ज किया गया था. इस मामले में सजा सुनाये जाने के बाद भी जीतू पटवारी की विधायकी पर कोई खतरा नहीं है. उनके वकील ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वो ऊपरी अदालत में अर्जी लगाएंगे.


कौन है जीतू पटवारी ?

जीतू पटवारी इंदौर के राऊ विधानसभा से कांग्रेस के विधायक हैं, इसके साथ ही मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी संपादक भी हैं. 2013 में भाजपा के जीतू जिराती को हराकर राऊ के विधायक बने जीतू पटवारी ने बहुत तेजी से पार्टी में अपनी जगह बनाई है. 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्हें उच्च शिक्षा, युवा एवं खेल मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग दिए गए. जीतू पटवारी के पिता रमेश चंद्र पटवारी भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक सक्रिय नेता हैं। इंदौर क्षेत्र को भाजपा का गढ़ माना जाता है. 1989 के बाद से इंदौर लोकसभा पर भाजपा का कब्ज़ा है.  इस क्षेत्र में भाजपा के पास सुमित्रा महाजन, कैलाश विजयवर्गीय, शंकर लालवानी जैसे बड़े नेता हैं. वहीं कांग्रेस की बात करें तो इंदौर की 09 विधानसभा क्षेत्रों  में 2018 में कांग्रेस के 04 विधायक जीते जबकि 2013 में यहाँ से जीतू पटवारी कांग्रेस के अकेले विधायक थे. मालवा क्षेत्र के 60 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्र में जीतू पटवारी का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है. जीतू पटवारी की आक्रामक राजनीति और ठेठ अंदाज उन्हें युवाओं का चहेता बनाता है. पटवारी अक्सर अपने विधानसभा में साइकिल से घूमते हुए देखे जाते हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद जीतू पटवारी कांग्रेस के युवा चेहरे हैं और उन्हें राहुल गाँधी का भी ख़ास बताया जाता है.


बार-बार सामने आता है टकराव 

मध्यप्रदेश की राजनीति पर गहरी समझ रखने वाले पत्रकार और विश्लेषक बताते हैं कि जीतू पटवारी के वरिष्ठ नेताओं की आँखों में खटकने का एक कारण परिवारवाद की राजनीति है. अभी मध्यप्रदेश कांग्रेस के दोनों बड़े नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह अपने बेटों नकुलनाथ और जयवर्धन सिंह के लिए भविष्य की जमीन तैयार करने में लगे हैं. ऐसे में युवा और उर्जावान जीतू पटवारी उनके बच्चों की राह का काँटा बन सकते हैं.


जीतू पटवारी के साथ मध्यप्रदेश के नेतृत्व का सीधा टकराव तब देखने को मिला जब 29 मई को कांग्रेस के नेता राहुल गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचे थे. दिल्ली पहुंचे इस समूह में जीतू पटवारी नहीं थे, तब राहुल गाँधी ने जीतू पटवारी को विडियो कॉल से जोड़ा और उनसे चर्चा की. खबरें यह भी आयीं की जीतू पटवारी को साथ नहीं लाने के लिए कमलनाथ को फटकार भी मिली. जब कांग्रेस के हाईकमान ने कर्नाटक के नेता और गांधी परिवार के करीबी डी के शिवकुमार को मध्यप्रदेश में राजनीतिक बिसात बिछाने के लिए भेजा तो महाकाल में जीतू पटवारी उनके साथ दिखे. जीतू पटवारी को डी के शिवकुमार का ख़ास बताया जाता है. ऐसे में 2023 के चुनावों में उनकी ताकत और बढ़ेगी. मध्यप्रदेश के बजट सत्र के दौरान सदन की मर्यादा भंग करने के आरोप में जीतू पटवारी विधानसभा से निलंबित कर दिया गया. जब इसके विरोध में आंदोलन किये गए तो वहां न कमलनाथ मौजूद थे न दिग्विजय सिंह. इसी तरह इंदौर में कांग्रेस के शहर अध्यक्ष को लेकर फरवरी में कमलनाथ और जीतू पटवारी के बीच तलवारें खिंच गयी थीं. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के खत्म होने के दौरान जीतू पटवारी ने अपने समर्थक सदाशिव यादव को इंदौर जिलाध्यक्ष और अरविंद बागड़ी को शहर का कांग्रेस का अध्यक्ष बनवा दिया था. पीसीसी चीफ कमलनाथ के जीतू पटवारी का ये फैसला पसंद नहीं आया. उन्होंने एक दिन में ही अरविंद बागड़ी की नियुक्ति होल्ड करवा दी. इसके बाद इंदौर में कांग्रेस के शहर अध्यक्ष का पद खाली पड़ा रहा और इस मामले की गूंज दिल्ली तक पहुंची.


2022 में राज्य विधान सभा का सत्र शुरू होने से पहले जीतू पटवारी ने राज्यपाल के अभिभाषण के बहिष्कार का ऐलान कर दिया. पटवारी ने यह ऐलान सोशल मीडिया पर किया था. यह मामला विधानसभा में उठा और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने साफ तौर पर इसे परंपरा के खिलाफ बताया और यहां तक कह दिया कि वह न तो यह पार्टी का फैसला है और न ही पार्टी फैसले के साथ हैं. इसे सीधे तौर पर कमलनाथ और जीतू पटवारी के बीच टकराव की तरह देखा गया. इसी तरह 2020 में जीतू पटवारी और कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ के बीच सीधा टकराव हुआ था. दरअसल, छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ ने कहा था कि उपचुनाव में प्रदेश के युवाओं का नेतृत्व मैं करूंगा. वहीं, जीतू पटवारी और जयवर्धन सिंह अपने क्षेत्र के युवाओं का नेतृत्व करेंगे. यानी कि नकुल नाथ का संदेश साफ था कि वह प्रदेश में दूसरी पीढ़ी के टॉप नेता के रूप में खुद को स्थापित करना चाहते हैं. इसके बाद जीतू पटवारी के समर्थकों ने मोर्चा संभाला था, जीतू पटवारी के समर्थक भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करने लगे. जीतू के समर्थकों ने लिखा कि ना राजा, ना व्यापारी, अबकी बार जीतू पटवारी. तो मध्यप्रदेश के राजनीतिक गलियारों में एक चर्चा दबे जुबान खूब हो रही है. चर्चा यह है कि क्या जीतू पटवारी मध्यप्रदेश कांग्रेस के अगले सिंधिया बन सकते हैं, या फिर वो पार्टी के अन्दर रहकर हीं अपनी लड़ाई लड़ेंगे.




—सौरभ कुमार —

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