कन्हाई ने दावा किया है कि इसके अलावा दो साल तक पत्नी कल्पना की पढ़ाई के साथ उसके रहने, आने-जाने और कॉपी किताबों पर भी उसने करीब ढाई लाख रुपए खर्च किए.पत्नी की पढ़ाई और घर चलाने की वजह से वो पूरी तरह से कर्ज में डूब गया.इस बीच जमशेदपुर के एक नर्सिंग कॉलेज में एएनएम के कोर्स में एडमिशन करवा दिया.पत्नी कल्पना ट्रेनिंग पूरी कर साहिबगंज में ही जुमावती नर्सिंग होम में बतौर नर्स काम पर लग गई. दूसरी तरफ कर्ज में डूबा कन्हाई कर्ज उतारने के लिए ट्रेक्टर चलाने और अन्य मजदूरी करने लगा. उसे रोज 200-250 रुपए मिलते थे, ऐसे में पत्नी कल्पना ने उसे कहा कि ऐसे कर्ज कैसे उतरेगा.उसने सलाह दी कि कहीं बाहर जाकर काम करना चाहिए.कन्हाई को पत्नी की सलाह ठीक लगी, क्योंकि वो पढ़ी लिखी थी.पत्नी की बात मानकर वो मजूदरी करने के लिए गुजरात के वापी शहर में चला गया. साल 2019 में कन्हाई पत्नी की बात मानकर गुजरात चला गया और 2020 में कोरोना की वजह से लॉकडाउन लग गया.वो घर वापस आना चाहता था, लेकिन पत्नी यह कहकर मना कर दिया कि वापस आकर यहां क्या करोगे.ऐसे में वो जैसे तैसे लॉकडाउन में पेट भरता रहा.कर्ज चुकाने की किस्त भी अदा करता रहा.कोरोना की दूसरी लहर में भी कन्हाई गुजरात में ही मजदूरी करता रहा. बीते अप्रैल में गुजरात से लौटने के बाद पत्नी ने उसके साथ रहने से इनकार कर दिया और 10 अप्रैल को 10 साल के बेटे को अपने साथ लेकर चली गई.उसी समय से वह उसकी तलाश में भटक रहा है. ससुराल के लोग भी पत्नी के बारे में कुछ नहीं बता रहे हैं. इधर, कल्पना के माता-पिता जयंती देवी और राजकिशोर पंडित का कहना है कि कन्हाई उनकी बेटी के साथ मारपीट करता था. दहेज के लिए दबाव डालता था.पुलिस अभी मामले की छानबीन में जुटी हुई है. यूपी के बरेली की SDM बन जाने के बाद ज्योति का संबंध दूसरे एक अधिकारी से हो गया.उसी तरह ए.एन.एम.नर्स बन जाने के बाद कल्पना अब शायद किसी और के साथ रहने चली गई है.इसको लेकर सोशल मीडिया में हास्य नाटक बनने लगा है.
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