मधुबनी, द्वादश ज्योतिर्लिंगों के गुरु महालिंग बाबा जलेश्वर नाथ महादेव का मंदिर जनकपुर से 14 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। 'मिथिला के प्रवेश द्वार' महोत्तरी जिला के अन्तर्गत ऐतिहासिक और पौराणिक गरिमा से सुशोभित पर्यटकीय स्थल के रूप में विष्णुपुराण और पद्मपुराण में वर्णित राजर्षि जनक द्वारा पूजित बाबा जलेश्वर नाथ महादेव स्वयंभू शिवलिंग है। जल शयन होने के कारण उन्हें जलेश्वरनाथ महादेव कहा गया है। कहा जाता है कि माता सती के शरीर पतन के बाद भगवान शिव ने अपनी कोप को शांत करने के लिए इस गुफा को चयन किए थे। हर साल सावन में बाबा जलेशवरनाथ पर श्रद्धालुओं के द्वारा जलाभिषेक किया जाता है। भक्तों ने बाबा जलेश्वरनाथ से सुख शांति समृद्धि की मन्नतें माँगते हैं। खास तौर पर सीमावर्ती इलाका होने के साथ भारत से भी काफी संख्या में श्रद्धालु यहां भक्ति और श्रद्धा से पहुंचे। भारत के भिट्ठा पूर्वी,पश्चमी, लौवाही, सुरसंड,हनुमान नगर,चोरौत सहित कई गांवों के सैकड़ों श्रद्धालु महिला पुरुष बच्चे भक्तों के द्वारा जलाभिषेक किया जाता है। सुबह से लेकर शाम तक जलाभिषेक चलता रहा। दूसरी तरफ नेपाल क्षेत्र के लोग भी दूरदराज गांव सहित दर्जनों गांव से श्रद्धालुओं के द्वारा जलार्पण किया जाता है। मंदिर परिसर में फूल,माला,मिठाई,श्रृंगार सामग्री एवं जलपान की दुकानें सजी रहती है।बताते चलें कि वसंत पंचमी के रोज से होलिका दहन तक लगातार मेला यहां पूर्व से ही लगता आ रहा है। जलेश्वर धाम सीमावर्ती क्षेत्र होने के नाते भारत नेपाल के लोगों के लिए श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बिंदु है। जहां प्रतिवर्ष नेपाल के नुनथर पहाड़ स्थित बागमती नदी की पवित्र धारा से जल कॉवर पर बोझ कर हर साल सावन महीना में लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए आते हैं। कहते हैं कि बाबा जलेश्वर नाथ सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं।
गुरुवार, 6 जुलाई 2023
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मधुबनी : जलेश्वर नाथ महादेव मंदिर का महिमा अपरंपार, सावन में लाखों श्रद्धालु करते हैं दर्शन
मधुबनी : जलेश्वर नाथ महादेव मंदिर का महिमा अपरंपार, सावन में लाखों श्रद्धालु करते हैं दर्शन
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