- कुबेरेश्वरधाम पर पहले सोमवार पर पहुंचे डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालु
- कावड़ लेकर पहुंचे श्रद्धालुओं का विठलेश सेवा समिति ने किया स्वागत
सीहोर। जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर इन दिनों शिव मय हो गया है। जहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे है। विठलेश सेवा समिति, क्षेत्रवासी और जिला प्रशासन यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने, प्रसादी और पेयजल आदि की व्यवस्था कर रहा है। सावन के पहले सोमवार को करीब डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने यहां पर आकर भगवान का विशेष अभिषेक किया। इसके अलावा कावड़ यात्रियों का विठलेश सेवा समिति की ओर से पंडित विनय मिश्रा के द्वारा स्वागत किया। कावड़ यात्रा में पहुंचे श्रद्धालुओं ने भगवान शंकर के जयकारे लगाए। सोमवार को सुबह परिसर में आठ क्विंटल से अधिक प्रसादी का वितरण विठलेश सेवा समिति के सेवादरों के अलावा क्षेत्रवासियों ने किया। मंगलवार को भी हजारों की संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं को खिचड़ी के अलावा भोजन प्रसादी का वितरण किया जाएगा। शहर सहित पूरे देश की आस्था का प्रतीक भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा के प्रवचन से प्रभावित हजारों की संख्या में श्रद्धालु कुबेरेश्वरधाम पर पहुंच रहे है। इस संबंध में जानकारी देते हुए विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि यहां पर श्रावण मास और अधिक मास का पर्व पूरे आस्था और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। गुरुदेव पंडित श्री मिश्रा के बताए उपायों और विधि से यहां पर श्रद्धालुओं के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है। पूरा श्रावण मास जप, तप और ध्यान के लिए उत्तम होता है, लेकिन इसमें सोमवार का विशेष महत्व है। सोमवार का दिन चन्द्र ग्रह का दिन होता है और चन्द्रमा के नियंत्रक भगवान शिव हैं। इस दिन पूजा करने से न केवल चन्द्रमा बल्कि भगवान शिव की कृपा भी मिल जाती है। कोई भी व्यक्ति जिसको स्वास्थ्य की समस्या हो, विवाह की मुश्किल हो या दरिद्रता छायी हो, अगर सावन के हर सोमवार को विधि पूर्वक भगवान शिव की आराधना करता है तो तमाम समस्याओं से मुक्ति पा जाता है। सोमवार और शिव जी के सम्बन्ध के कारण ही मां पार्वती ने सोलह सोमवार का उपवास रखा था। सावन का सोमवार विवाह और संतान की समस्याओं के लिए अचूक माना जाता है। भगवान शिव की पूजा के लिए और खास तौर से वैवाहिक जीवन के लिए सोमवार की पूजा की जाती है। अगर कुंडली में विवाह का योग न हो या विवाह होने में अडचने आ रही हों तो सावन के सोमवार पर पूजा करनी चाहिए। अगर कुंडली में आयु या स्वास्थ्य बाधा हो या मानसिक स्थितियों की समस्या हो तब भी सावन के सोमवार की पूजा उत्तम होती है, सावन के सोमवार को शिव जी की पूजा सर्वोत्तम होती है, इसमें मुख्य रूप से शिव लिंग की पूजा होती है और उस पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है।
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