सावन शिवरात्रि : बरसेगा भगवान भोलेनाथ संग मां गौरी का आशीर्वाद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 19 जुलाई 2023

सावन शिवरात्रि : बरसेगा भगवान भोलेनाथ संग मां गौरी का आशीर्वाद

सावन शिवरात्रि के दिन शिव परिवार की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन व्रत, उपवास, मंत्र जाप और रात्रि जागरण का विशेष महत्व है. इस दिन को सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत भी माना जाता है। कहते है इस दिन भगवान शिव के साथ इस दिन मां गौरी की पूजा करने से वैवाहिक जीवन की सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। सौभाग्य की प्राप्ति होती है. सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. बता दें, पूरे साल मनाई जाने वाली इन शिवरात्रियों में फाल्गुन महाशिवरात्रि और सावन शिवरात्रि का खासा महत्व है। मान्यता है कि स्वयं अमंगल रूप होने पर भी भगवान शिव अपने भक्तों को मंगल, श्री और सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। इस बार सावन की की शिवरात्रि 15 जुलाई, शनिवार को है। श्रावण मास की चतुर्दशी तिथि 15 जुलाई को रात 08 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 16 जुलाई को रात 10 बजकर 08 मिनट पर होगा. साथ ही इस दिन वृद्धि और ध्रुव भी बनने जा रहे हैं, वृद्धि योग की शुरुआत 14 जुलाई को सुबह 08 बजकर 28 मिनट पर होगी और इसका समापन 15 जुलाई को सुबह 08 बजकर 22 मिनट पर होगा. ध्रुव योग 15 जुलाई को सुबह 08 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन 16 जुलाई को सुबह 8 बजकर 33 मिनट पर होगा. इस दिन मृगशिरा नक्षत्र भी बनने जा रहा है

Sawan-maha-shivratri
सावन का हर दिन भगवान शिव को समर्पित है। इस महीने में भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। हर महीने की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि आती है। यानी साल में 12 शिवरात्रि आती हैं। लेकिन इन 12 शिवरात्रि में से 2 शिवरात्रि का सबसे अधिक महत्व माना जाता है। फाल्गुन मास में पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते हैं और सावन मास में पड़ने वाली शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि कहा जाता है। खास यह है कि इस बार बामासिक शिवरात्रि सावन में पड़ रही है और बेहद शुभ वृद्धि योग बन रहा है। इसके साथ ही म्रृगशीर्षा योग भी है। इसलिए यह शिवरात्रि विशेष मानी जा रही है. इस तरह इन शुभ योगों में मासिक शिवरात्रि व्रत-पूजा करना अपार लाभ देगा. इस दिन के व्रत के प्रभाव से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है साथ ही सुयोग्य वर की कामना पूरी होती है, धन में वृद्धि और ग्रहों की अशुभता दूर होती है. इस दिन लोग कांवड़ में जल भरकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं. इस दिन कई राशि वालों को व्यापार, धन, वैवाहिक खुख में वृद्धि मिलेगी. शिवरात्रि तिथि को शिव-पार्वती जी का विवाह हुआ था, यही वजह है कि हर माह के चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि का व्रत बहुत महत्वपूण माना जाता है. रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 06ः24 से 09ः03 तक। रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09ः03 से 11ः43 बजे तक। रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 11ः43 से 02ः22 बजे तक। जुलाई 16 रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 02ः22 से 05ः01 बजे तक। जुलाई 16 को शिवरात्रि व्रत पारण समय - 05ः01 से 03ः03 बजे तक है। इस बार शिवरात्रि के दिन त्रियोदशी तिथि रहेगी और वृद्ध योग बन रहा है। इस दिन सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा-व्रत करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. सारे काम बनने लगते हैं, बाधाएं दूर होती हैं. कुंवारी कन्याएं सावन महीने का व्रत रखें तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है. उसकी सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. अधूरे काम बन जाते हैं. साथ ही सावन शिवरात्रि व्रत रखने से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं और सारे रोग दूर होते हैं. इसके लिए मासिक शिवरात्रि के दिन शिवलिंग का दूध, दही, शहद, शक्कर और घी से अभिषेक करें. इससे धन प्राप्ति के योग बनते हैं. वहीं जल्द विवाह के लिए शिवलिंग पर 108 बेल पत्र अर्पित करें. हर बेल पत्र अर्पित करते समय ऊं नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहें. मान्यता है कि इस दिन तीर्थस्थलों के गंगाजल से जलाभिषेक के साथ भगवान शिव की विधि विधान से पूजा-अर्चना करने और व्रत रखने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। दाम्पत्य जीवन में प्रेम और सुख शांति बनाए रखने के लिए भी यह व्रत लाभकारी माना गया है। सावन शिवरात्रि के दिन व्रत रखने से क्रोध, ईर्ष्या, अभिमान और लोभ से मुक्ति मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत कुंवारी कन्याओं के लिए श्रेष्ठ माना गया है और यह व्रत रखने से क्रोध, ईर्ष्या, अभिमान तथा लोभ से भी मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि शिवरात्रि जागरण का मतलब है रात्रि को पापाचार, अज्ञानता और तमोगुण का प्रतीक माना गया है और कालिमा रूपी इन बुराईयों का नाश करने के लिए हर माह चराचर जगत में एक दिव्य ज्योति का अवतरण होता है, यही रात्रि शिवरात्रि है। शिव और रात्रि अर्थात जब सारा जगत शयन करता है, जो विकार रहित है, वह शिव है अथवा जो अमंगल का ह््रास करते हैं, वे ही सुखमय, मंगलमय शिव हैं। जो सारे जगत को अपने अंदर लीन कर लेते हैं, वे ही करूणासागर भगवान शिव हैं। जो नित्य, सत्य, जगत आधार, विकार रहित, साक्षीस्वरूप हैं, वे ही शिव हैं। शिव के मस्तक पर अर्द्धचंद्र शोभायमान है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय समुद्र से विष और अमृत के कलश उत्पन्न हुए थे। इस विष का प्रभाव इतना तीव्र था कि इससे समस्त सृष्टि का विनाश हो सकता था, ऐसे में भगवान शिव ने इस विष का पान कर सृष्टि को नया जीवनदान दिया जबकि अमृत का पान चन्द्रमा ने कर लिया। विषपान करने के कारण भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया, जिससे वे ‘नीलकंठ’ के नाम से जाने गए। विष के भीषण ताप के निवारण के लिए भगवान शिव ने चन्द्रमा की एक कला को अपने मस्तक पर धारण कर लिया। यही भगवान शिव का तीसरा नेत्र है और इसी कारण भगवान शिव ‘चन्द्रशेखर’ भी कहलाए।


इन राशियों के शुरू होंगे अच्छे दिन 

कर्क राशि : कर्क राशि वालों के जीवन में भाग्योदय करेगी. धर्म कर्म के काम में रुचि बढ़ेगी, इससे बिगड़े काम बन जाएंगे. नौकरी में आ रही बाधाओं का नाश होगा. लंबे अरसे से अटका धन मिलने के प्रबल योग है. समाज में लोगों के बीच में आपका सम्मान बढ़ेगा और परिवार में खुशियां आएंगी.

वृषभ राशि : वृषभ राशि वालों के लिए सावन शिवरात्रि लकी साबित होने वाली है. व्यापार में अच्छा मुनाफा होगा. धन के स्त्रोत बढ़ेंगे, इससे आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. शिव जी की कृपा से दांपत्य जीवन में मिठास आएगी. पैत्तक संपत्ति से लाभ मिल सकता है, बस गुस्से पर काबू रखें.

कन्या राशि : कन्या राशि के लोगों पर भगवान शिव की विशेष कृपा रहेगी. जॉब में प्रमोशन का इंतजार खत्म होगा. पद और पैसा दोनों में वृद्धि के योग है. बिजनेस करने वाले जातकों के लिए ये समय अनुकूल है, मां लक्ष्मी आप पर मेहरबान रहेंगी. ऑफिस में काम करने वाले साथियों का हर प्रकार का सहयोग प्राप्त होगा.

सिंह राशि : सिंह राशि वालों के लिए लाभदायक होने वाला है. अटके हुए काम पूरे होने से मन प्रसन्न रहेगा. विवाह में आ रही अड़चने शिव जी के आशीर्वाद से खत्म होंगी. पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ेगा. मनचाहे साथी से शादी के योग हैं. कार्यस्थल पर योजनाएं सफल होंगी जो आपकी आर्थिक लाभ देंगी.

धनु राशि : गुरु की राशि के ऊपर भी भगवान शिव की विशेष कृपा होगी। शिव की कृपा से बिगड़े हुए काम भी बनने लगेंगे। भाग्य का पूरा साथ मिल सकता है। समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। परिवार का भी पूरा साथ मिलने का आसार है। अगर निवेश करने की सोच रहे हैं, तो इस अवधि में करना लाभकारी सिद्ध हो सकता है। आपके लिए सफलता के योग बन रहे हैं। समाज में लोगों के बीच में आपका सम्मान बढ़ेगा और परिवार में खुशियां आएंगी।

कुंभ राशि : शनि की राशि कुंभ के ऊपर भी शिव जी की विशेष कृपा रहेगी। सावन शिवरात्रि के साथ परिवार के साथ अच्छा समय बीतेगा। धन लाभ के साथ रुके हुए काम एक बार फिर से शुरू हो सकते हैं। नई नौकरी तलाश रहे लोगों को भी सफलता हासिल हो सकती है। कार्यस्थल में आपके काम की प्रशंसा हो सकती है। परिवार के साथ अच्छा समय बीतेगा।


जलाभिषेक की विधि

जब भी भगवान शिव की पूजा करें तो शिवलिंग पर गंगाजल, साफ पानी या फिर गाय के दूध से अभिषेक करें। यह रुद्राभिषेक से अलग है क्योंकि यह नियमित पूजा से जुड़ा है, जबकि रूद्राभिषेक एक लंबी प्रक्रिया है। शिवलिंग का जलाभिषेक करते समय इस बात का ध्यान रखें कि जलधारा पतली और धीमी गति के साथ गिरे। तीव्र गति के साथ जलाभिषेक न करें। जलाभिषेक हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही करें। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि शिवलिंग का जलाभिषेक बैठकर या झुककर करें। सीधे खड़े होकर जलाभिषेक नहीं करना चाहिए।


शुभ मुहूर्त

इस बार 14 को 7 बजकर 18 मिनट से त्रयोदशी तिथि का आरंभ होगा। 15 को रात को 8 बजकर 33 मिनट तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी तिथि आरंभ होगी। महाशिवरात्रि का अभिषेक करना चाहते हैं तो निशीथ काल में करना शुभ रहेगा। रात में 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इस बार सावन शिवरात्रि का व्रत 15 जुलाई को किया जाएगा। इस दिन बहुत हो शुभ वृद्ध योग और त्रयोदशी तिथि भी हैं। ऐसे में इस बार की शिवरात्रि और भी उत्तम और शुभ रहने वाली है।


पूजा विधि

मासिक शिवरात्रि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद साफ सुथरे वस्त्र पहन लें। इसके बाद किसी शिव मंदिर में जाएं। आप चाहें तो अपने पूजा घर में जो शिवलिंग है उस पर बेलपत्र, धतूरा, भांग और नारियल भी अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें। इस बात का ख्याल रखें की आप पूजा हमेशा प्रदोष काल में ही करें। पूजा में भगवान शिव का जलाभिषेक करें और बेलपत्र, धतूरा अर्पित करें। साथ ही इस दिन फलहार ही करें अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। अगले दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करके दान आदि करें। मासिक शिवरात्रि पर निशिता काल में माहदेव की पूजा की जाती ही। ऐसे में 15 जुलाई को ही मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा।


पूजा के मंत्र

ॐ नमः शिवाय।

नमो नीलकण्ठाय।

ॐ पार्वतीपतये नमः।

ॐ ह््रीं ह््रौं नमः शिवाय।

ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।




Sureah-gandhi

सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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