बिहार : सुप्रीम कोर्ट में वकील प्रशांत भूषण ने सर्व सेवा संघ की ओर से की पैरवी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 17 जुलाई 2023

बिहार : सुप्रीम कोर्ट में वकील प्रशांत भूषण ने सर्व सेवा संघ की ओर से की पैरवी

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मुजफ्फरपुर. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सर्वसेवा संघ, वाराणसी की परिसंपत्ति के संदर्भ में बनारस जिला प्रशासन एवं रेलवे के आदेश पर स्टे नहीं लगाया है. सामाजिक कार्यकर्ता विजय गोरैया ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा रोक (स्टे) न लगाना अतीव चिंताजनक है.  इस समस्या पर विमर्श के लिए जिनका तत्काल बनारस पहुँचना संभव है, उन्हें अपने लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग करते हुए वहाँ शीघ्र पहुँचना चाहिए. चुकि सर्वसेवा संघ की परिसंपत्ति बचाने का सवाल है इसलिए, यूपी के हर जिला में फैले लोक सेवकों व सर्वोदय मित्रों को तो 'रेलवे व बनारस प्रशासन के ध्वस्तीकरण के आदेश' के 'अहिंसक-प्रतिकार' करने के लिए बनारस सत्याग्रह स्थल पर अनिवार्य तौर पर पहुँचना चाहिए. देश के अन्य राज्यों के लोक सेवकों को अहिंसक प्रतिकार करने के लिए यथा शीघ्र बनारस कूच करना चाहिए. हम अपनी सीमा और क्षमता के दायरे में, किसी भी अनीति के खिलाफ सर्वसेवा संघ के साथ हैं. इसके पूर्व आज 17 जुलाई को वाराणसी के सर्व सेवा संघ भवन मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सीजेआई की ओर से बनाई विशेष खंडपीठ के जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस पंकज मित्तल ने केस की सुनवाई की. कोर्ट ने वादी का पक्ष जाना.भवन से महापुरुषों के जुड़े होने और ऐतिहासिक साक्ष्य को भी देखा.कोर्ट ने दस्तावेज को अपर्याप्त मानते हुए सर्व सेवा संघ की याचिका खारिज कर दी. अब सर्व सेवा संघ को प्रदेश और केंद्र सरकार से उम्मीद है.वहीं कोर्ट के निर्देश पर जिला न्यायालय में फिर रिवीजन याचिका दाखिल करेंगे. सुप्रीम कोर्ट में वकील प्रशांत भूषण ने सर्व सेवा संघ की ओर से पैरवी की. पिछली तारीख पर उन्होंने भवन के गांधी, जेपी और बिनोवा से जुड़े इतिहास से बारे में जानकारी देते हुए ध्वस्तीकरण रोकने की मांग की थी. कोर्ट को दलील दी कि महात्मा गांधी के विचारों और दर्शन का प्रचार करने के लिए आचार्य विनोबा भावे ने 1948 में सर्व सेवा संघ की स्थापना की थी और अब स्थानीय प्रशासन द्वारा इमारत को ढहाने की कोशिश की जा रही है. संगठन ने वाराणसी जिले में 12.90 एकड़ भूखंड पर बने ढांचों को गिराने के लिए उत्तर रेलवे द्वारा जारी नोटिस को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था. संगठन का कहना है कि वाराणसी के ‘परगना देहात’ में उसके परिसर के लिए जमीन उसने केंद्र सरकार से 1960, 1961 और 1970 में तीन पंजीकृत सेल डीड के माध्यम से खरीदी थी.कोर्ट ने सर्व सेवा संघ का पक्ष सुनने के जगह केस को अस्तरीय बताया, वादी को निचली अदालत में ही रिवीजन याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया. सर्व सेवा संघ और उत्तर रेलवे के बीच जमीन के मालिकाना हक पर चल रहे विवाद में जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने सुनवाई के बाद रेलवे के हक में फैसला दिया है. उन्होंने सर्व सेवा संघ का निर्माण अवैध करार देते हुए जमीन को उत्तर रेलवे की संपत्ति माना है.सर्व सेवा संघ भवन को ध्वस्त करने के लिए उत्तर रेलवे प्रशासन ने 30 जून 2023 की तिथि नियत की, लेकिन इस फैसले का विरोध शुरू हो गया.सर्व सेवा संघ के पदाधिकारियों ने प्रशासन के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल जिसे हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए अस्तरीय बताया.याचिका कर्ताओं से निचली अदालत में जाकर मामले का निस्तारण करने की बात कही, जिसे दरकिनार करके याची आज सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.

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