बेतिया : संत इग्नासियुस लोयोला का 467 वां पर्व - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 31 जुलाई 2023

बेतिया : संत इग्नासियुस लोयोला का 467 वां पर्व

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बेतिया. आज संत इग्नासियुस लोयोला का पर्व मनाया.यहां के विख्यात के.आर.हायर सेक्रेडरी स्कूल में संत इग्नासियुस लोयोला का 467 वां पर्व मनाया गया.इस स्कूल को जेसुइट द्वारा संचालित है. बता दें कि 31 जुलाई को, सार्वभौमिक कलीसिया लोयोला के संत इग्नासियुस के पर्व मनाती है. इस स्पैनिश संत को येसु समाज की स्थापना के साथ ‘‘आध्यात्मिक अभ्यास‘‘ बनाने के लिए भी जाना जाता है जिसका उपयोग आज अक्सर ध्यान साधना और व्यक्तिगत विवेचन के लिए किया जाता है. संत इग्नासियुस का जन्म 1491 में स्पेन के गुइपुजकोआ में एक कुलीन परिवार में हुआ था.वे बारह बच्चों में सबसे छोटे थे. उन्होंने फर्डिनेंड और इसाबेला की स्पेनिश अदालत में एक दरबारी लड़के के रूप में भी कार्य किया. इग्नासियुस ने एक सैन्य शिक्षा प्राप्त की थी और एक सैनिक के रूप में उन्होंने 1517 में सेना में प्रवेश किया और कई अभियानों में सेवा की. 20 मई 1521 को पैम्पेलुना की घेराबंदी में एक तोप के गोले से उनके पैर में घाव हो गया था, एक चोट जिसने उन्हें आजीवन आंशिक रूप से अपंग बना दिया था.अपने स्वस्थ होने के दौरान उनके पास केवल द गोल्डन लेजेंड, संतों की जीवनी का संग्रह, और लुडोल्फ द कार्थुसियन की लाइफ ऑफ क्राइस्ट की किताबें थीं. इन किताबों और चिंतन में बिताए समय ने उन्हें बदल दिया. अपने ठीक होने पर उन्होंने पवित्रता की शपथ ली, अपनी तलवार को मोंटसेराट की कुँवारी की वेदी के सामने लटका दिया, और एक तीर्थयात्री के वस्त्र धारण कर लिए.  इग्नासियुस 1522 से 1523 तक एक ख्रीस्तीय जीवन जीने के तरीके पर विचार करते हुए एक गुफा में रहे. वे 1523 में एक तीर्थयात्री के रूप में रोम और पवित्र भूमि पर गए, जहां उन्होंने मुसलमानों को विश्वास में ले आने के लिए काम किया.  1528 में इग्नासियुस ने स्पेन और पेरिस में बार्सिलोना और अल्काला में धर्मशास्त्र का अध्ययन शुरू किया और 14 मार्च 1534 को अपनी डिग्री प्राप्त की.उनके ध्यान साधना, प्रार्थना, परिकल्पना और अंतर्दृष्टि ने 15 अगस्त 1534 को सोसाइटी ऑफ जीसस (येसुसमाज) के संविधान का निर्माण किया; इसे 1541 में संत पिता की मंजूरी मिली.इग्नासियुस याकूब लाइनेज, अलोंसो साल्मेरोन, निकोलस बोबाडिला, साइमन रोड्रिग्ज, धन्य पेत्रुस फैबर और संत फ्रांसिस जेवियर के मित्र थे, जिस समूह ने नई सोसायटी का मूल गठन किया था. उन्होंने कभी भी जेसुइट शब्द का प्रयोग नहीं किया, जिन्हें उनके विरोधियों द्वारा अपमान के रूप में गढ़ा गया था. येसु समाज आज इस शब्द का प्रयोग गर्व के साथ करता है. उन्होंने यूरोप और पवित्र भूमि की यात्रा की, फिर येसु समाज को निर्देशित करने के लिए रोम में बस गए.बाद के वर्षों में उनका स्वास्थ्य खराब हुआ, और वे मृत्यु के समय लगभग अंधे थे. येसु समाज के सदस्य शिक्षा, समाज-सेवा तथा अन्य मानव कल्याण के कार्य में सराहनीय कार्य करते आ रहे हैं. इग्नासियुस की मृत्यु 31 जुलाई 1556 को रोम, इटली में बुखार से हुई और 12 मार्च 1622 को संत पिता ग्रेगरी पंद्रहवें द्वारा संत घोषित किए गए.

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