80 दिनों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुंह खोले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 21 जुलाई 2023

80 दिनों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुंह खोले

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मणिपुर. आज 20 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू हो गया है.ये सत्र 31 अगस्त तक चलेगा.सत्र शुरू होने के पहले मणिपुर को लेकर 80 दिनों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुंह खोले. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरा दिल दर्द और गुस्से से भरा हुआ है. मणिपुर में जो घटना सामने आई है वह किसी भी नागरिक समाज के लिए शर्मनाक है.उन सभी दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. देश में सेवन सिस्टर स्टेट्स है.जिनमें अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा शामिल हैं. ' सेवन सिस्टर्स ' शब्द पहली बार ज्योति प्रसाद सैकिया द्वारा दिया गया था.सिक्किम को 35वें संशोधन अधिनियम के माध्यम से संघ में शामिल किया गया था और 36वें संशोधन अधिनियम के माध्यम से 'राज्य ' का दर्जा दिया गया था.

    

बता दें कि मणिपुर में 2011 जनगणना के अनुसार राज्य में हिंदू 1,181,876  (41.39 प्रतिशत ) है. द्वितीय स्थान पर ईसाई 1,179,043  (41.29 प्रतिशत ) है.जनगणना के अनुसार राज्य में तृतीय स्थान पर मुसलमान 239,836 (8.40 प्रतिशत ) है. तो सबसे कम आबादी सिख 1,527  (0.05 प्रतिशत) का है.एक दशक से अधिक समय से, मुख्य रूप से हिंदू मैतेई समुदाय, जो 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की आबादी का लगभग 42 प्रतिशत है, यह तर्क देते हुए एसटी दर्जे की मांग कर रहा है कि यह उनकी पैतृक भूमि, सदियों पुराने रीति-रिवाजों और परंपराओं की रक्षा करने में पूरे समुदाय की मदद करेगा. और साथ ही उनकी विशिष्ट पहचान को सुरक्षित रखने भी मदद करेगा. चूंकि मैतेई रीति-रिवाज कमोबेश पहाड़ी जनजातियों के समान ही है और काफी प्राचीन भी हैं, इसलिए उन्हें एसटी में शामिल करने से रोकने का कोई खास कारण नहीं है. इस बीच मणिपुर उच्च न्यायालय ने अपने 27 मार्च के आदेश में राज्य सरकार को ‘अनुसूचित जनजाति सूची में मेइती/मैतेई समुदाय को शामिल करने के लिए याचिकाकर्ता के मामले पर जल्द से जल्द विचार करने का निर्देश दिया. उच्च न्यायालय ने यह काम चार सप्ताह की अवधि के भीतर करने का आदेश दिया. हालांकि यह एक बोझिल प्रक्रिया है. इसके लिए राज्य सरकार को केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय को एक सिफारिश देनी होगी, जो भारत के रजिस्ट्रार जनरल (ओआरजीआई) के कार्यालय को लिखेगी. अनुसूचित जनजाति सूची में मैतेई को शामिल करने का प्रस्ताव तब राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के माध्यम से संविधान (अनुसूचित जनजाति) के आदेश 1950 में संशोधन के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास जाएगा. पहाड़ी जनजातियां आशंकित हैं कि ‘बहुसंख्यक’ मैतेई जनजाति को एसटी का दर्जा देने से उनके लिए आरक्षण को कम करके छोटी जनजातियों को नौकरी के अवसरों से वंचित कर दिया जाएगा. वैसे भी, मणिपुर एक स्थलरुद्ध राज्य है, जिसका कोई तटरेखा नहीं है.मणिपुर की भौगोलिक विशेषताएं विविध हैं.राज्य कई पहाड़ियों, घाटियों और नदियों का घर है. मणिपुर नदी राज्य में उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है. मालूम हो कि  ‘बहुसंख्यक’ मैतेई जनजाति को एसटी का दर्जा देने से गत 3 मई 2023 को भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मैतेई लोगों और कुकी लोगों सहित आसपास की पहाड़ियों के आदिवासी समुदाय के बीच एक जातीय संघर्ष छिड़ गया.

    

सूत्रों के मुताबिक, हिंसा की शुरुआत के बाद अफवाह फैली कि मैतेई समुदाय की महिला के साथ रेप हुआ है. इस खबर के बाद मैतेई समुदाय के लोगों की भीड़ कोंगपो जिले के एक गांव में घुसी. यहां इन्होंने घरों को लूटा और वहां आगजनी की. यहां से कुकियों का एक परिवार जिसमें चार लोग थे वो जान बचाने के लिए अपने पड़ोसियों के साथ जंगल में भाग गया. बाद में जंगल से पुलिस ने पांच लोगों को बचाया और उनके लेकर पुलिस स्टेशन जाने लगी. उसी वक्त मैतेई समुदाय के लोगों की भीड़ वहां पहुंची और उन्होंने पुलिस वालों का रास्ता रोक लिया. सभी पांच लोगों को पुलिस से वो भीड़ छीनकर ले गई. पांच लोगों में से भाई और पिता को भीड़ ने मार डाला. वहीं बची हुई तीन महिलाओं को नग्न करके उनके हाथ दरिंदगी की, जिसके वीडियो भी सामने आए हैं. बाद में ये महिलाएं किसी तरह वहां से भाग गईं. भीड़ की दरिंदगी से ये तीनों महिलाएं इस कदर डर गई थीं कि शिकायत दर्ज करवाने की हिम्मत तक नहीं कर पाईं. बाद में 18 मई को गांव के कुछ लोगों ने शिकायत दर्ज करवाई. 21 मई को इस मामले में FIR दर्ज हुई. मणिपुर में जातीय हिंसा 81 दिनों से अधिक समय से भड़की हुई है. वहां के हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे थे,मणिपुर में 4 मई को कुकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़कों पर घुमाया  लेकिन 4 मई का वीडियों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामने आने के बाद एक बार फिर मणिपुर में तनाव बढ़ गया है.मणिपुर की सड़क पर रोती-गिड़गिड़ातीं दो नग्न महिलाएं, भेड़ियों की तरह उनके शरीर को नोंचते-घसीटते लोग... दरिंदगी की सभी सीमाएं लांघती भीड़. बुधवार को वा...वायरल वीडियो में दो महिलाओं को पुरुषों की भीड़ ने निर्वस्त्र घुमाया. उनका यौन उत्पीड़न करने का एक दिल दहलाने वाला शर्मनाक वीडियो बुधवार से वायरल हो रहा है.19 जुलाई को यह वीडियो बुधवार देर रात सोशल मीडिया पर सामने आया.80 दिनों के बाद पीएम मोदी 20 जुलाई को मुंह खोला.

        

मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा कि दो बदमाश गिरफ्तार कर लिया गया है.जानकारी के अनुसार चार को गिरफ्तार कर लिया गया है.मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी को फांसी चढ़वाने का प्रयास करेंगे.मणिपुर में पिछले 80 दिनों से कुकी और मैतेई समुदाय के एक-दूसरे के खिलाफ हथियार लेकर खड़े हैं.हिंसा में अब तक 140 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.वहीं 419 लोग घायल हुए हैं.65,000 से अधिक लोग अपना घर छोड़ चुके हैं. आगजनी की 5 हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं.6 हजार मामले दर्ज हुए हैं और 144 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. राज्य में 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 बल तैनात किए गए हैं. मणिपुर में दो महिलाओं के साथ शर्मनाक हरकत पर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार को संसद से लेकर सड़क तक घेरने में लगे हैं। इस बीच बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विपक्षी पार्टियों पर ही सवाल उठाए हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'जो घटना मणिपुर की है वह दुर्भाग्यपूर्ण है, हम सभी आहत हैं। पीएम मोदी ने कड़े शब्दों में इसकी निंदा की है, कड़ी कार्रवाई का आग्रह किया है और महिलाओं की सुरक्षा के बारे में देश में जागृति फैलाने की बात की है। संसद के दोनों सदनों में हम इस पर बहस चाहते थे, क्योंकि ये हमारे लिए गंभीर विषय है।' उन्होंने कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा, 'मणिुपर में जो हुआ वो शर्मनाक है, दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन अब स्थिति सामान्य है और मुख्यमंत्री जी ने बताया कि एक आरोपी गिरफ्तार कर लिया गया है। मेरे मन में एक सवाल उठता है- संदेहास्पद परिस्थितियों का...कि आज हम जुलाई में हैं और मई के पहले सप्ताह की घटना एकाएक Twitter पर आ जाती है, सदन शुरू होने से पहले। ये क्या है?' यह वीडियो 4 मई की वारदात का बताया जा रहा है, जिस पर एफआईआर 18 मई को दर्ज की गई थी, लेकिन कार्रवाई की शुरुआत वीडियो के वायरल होने पर देश भर में लोगों का गुस्सा सामने आने और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा इसका संज्ञान लिए जाने के बाद हुई है.

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