- आम आदमी की 800 रुपये किलो का मटन खाने की जद्दोजहद को दिखाती बिहार के कलाकारों से सजी शॉर्ट फिल्म चंपारण मटन ऑस्कर तक पहुंच गई है....
फलक खान MIT मुजफ्फरपुर की इंजीनियरिंग की छात्रा रही हैं. MIT से पढ़ाई पूरी कर मुंबई से MBA की पढ़ाई की. इसके बाद मुंबई में रहते हुए डायरेक्टरिंग, प्रोडक्शन, एडिटिंग का कोर्स किया और FK फिल्म प्रोडक्शन के जरिए छोटी-मोटी फिल्मों का कार्य शुरू किया.इस बीच, अभिनीत 'चंपारण मटन' फिल्म ऑस्कर अवार्ड के दौर में शामिल हुई, जो ऑस्कर के स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड- 2023 के सेमीफाइनल राउंड में पहुंच गई है. वहीं, फलक खान भी बताती हैं कि इतना बड़ा मुकाम पाने के लिए संघर्ष और माता-पिता का आशीर्वाद ही काम देता है। अभिनेत्री फलक ने कहा कि – “आधे घंटे की यह फिल्म लोगों को अपने रिश्ते में इमानदारी और किसी भी हाल में हार नहीं मानने के लिए प्रेरित करती है.इस फिल्म की कहानी लॉकडाउन के बाद नौकरी छूट जाने वाले शख्स पर आधारित है.” ब्रह्मपुरा निवासी फलक के पिता डॉ. एआर खान और मां डॉ. अजीज खान को बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व है.फलक खान की फिल्म 'चंपारण मटन' यूएस, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस समेत कई देशों के बीच भारत से अकेली यह फिल्म स्टूडेंट अकादमी अवार्ड के सेमीफाइनल में पहुंची है. इस अवार्ड के लिए कई देशों से 1700 से अधिक फिल्मों का नॉमिनेशन हुआ था और उस बीच में भारत से चंपारण मटन ने सेमीफाइनल में जगह हासिल की है. फलक के अभिनय से सजी फिल्म चंपारण मटन दुनियाभर में डंका बजा रही है. इसमें फलक की फिल्म नैरेटिव कैटेगरी में चुनी गई है. स्टूडेंट अकादमी अवार्ड फिल्म इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट और फिल्म मेकर के लिए होता है.यह ऑस्कर का ही एक विंग है और साल 1972 से यह अवार्ड दिए जा रहे हैं.
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