- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया है : प्रियंक कानूनगो
- देशभर के 1200 से अधिक एनजीओं के प्रतिभागियों की मौजूदगी में बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में होगा सेमिनार का आयोजन
वाराणसी (सुरेश गांधी) राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो नेकहा कि छत्तीसगढ़ में हुए हजारों शिशुओं की मौत के मामले को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गंभीरता से लिया है। इस पूरे मामले को संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव को जांच कराकर 7 दिन में रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिया गया हैं। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट में दोषी पाएं जाने पर गुनाहगारों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जायेगी। प्रियंक कानूनगो गुरुवार को सर्किट हाउस के नए सभागार में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। प्रियंक कानूनगों ने कहा कि देशभर में बाल संरक्षण, बाल सुरक्षा तथा बाल कल्याण पर 07 क्षेत्रीय संगोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें से उत्तर भारतीय राज्यों की संगोष्ठी दिल्ली, भोपाल, मुंबई, रांची तथा गुवाहाटी में संपन्न हो चुकी है। इसी कड़ी में देशभर के एनजीओ के साथ 18 अगस्त को स्वतंत्रता भवन, काशी हिंदू विश्वविद्यालय में संगोष्ठी का आयोजन किया गया जाना है। इस में प्रतिभागियों के तौर पर देशभर के करीब 1200 एनजीओ के प्रतिभागी तथा बाल अधिकार संरक्षण तंत्र से जुड़े अन्य लोग भाग लेंगे। संगोष्ठी में मुख्यतः बच्चों के हितों को सर्वोपरि रखने वाले समाज के निर्माण के लिए भारत सरकार द्वारा बीते वर्षों में बनाई गई नीतियों कार्यक्रमों और नवाचारों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। वत्सल भारत नामक कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय महिला एवं बाल विकास तथा अल्पसंख्यक कार्य मंत्री स्मृति जुबिन इरानी करेंगी। साथ मे केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेंद्रभाई, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार के सचिव इंदीवर पांडेय की गरिमामयी उपस्थिति में यह कार्यक्रम संपन्न होगा। उन्होंने कहा कि बाल सुधार गृहों की लगातार निगरानी की जा रही है। वर्ष 2022 में किशोर न्याय अधिनियम में संशोधन किया गया है। स्ट्रीट चाइल्ड के लिए पॉलिसी बनी है। इस संगोष्ठी का मकसद बच्चों के हितों को सर्वोपरि रखने वाले समाज का निर्माण करना है। छत्तीसंगढ़ मामले में पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए प्रियंक कानूनगो ने कहा कि उन्हें जानकारी दी गयी है कि छत्तीसगढ़ में जनवरी 2019 से जून 2023 तक 0 से 5 वर्ष के बच्चों की मृत्यु का आंकड़ा 39267 है। यह अत्यंत चिंताजनक विषय है। इस आंकड़े से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार नवजात शिशुओं को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने में पूर्णत विफल रही है। इसी कारण इतने बड़े पैमाने पर बच्चों की मृत्यु हुई है। राज्य सरकार लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में पूरी तरह विफल रही है। इतनी बड़ी संख्या में मौतों की दोषी कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार है. उन्होंने बताया कि आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 की धारा 13 (1) (जे) के तहत संज्ञान में लिया है. उन्होंने कहा कि बच्चे राष्ट्र की वृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए उनके साथ घटित किसी भी कार्य को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। लड़कियों को सशक्त बनाने से संबंधित मुद्दों और प्रयासों के बारे में पुरुषों और लड़कों को कम उम्र में ही संवेदनशील बनाएं जाने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि आयोग ने बच्चों को ’बाल अधिकार चैंपियन’ बनने के लिए सशक्त बनाने का संकल्प लिया है जो बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ेंगे और राष्ट्र निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
एक लाख बच्चियों को शिक्षा की मुख्य धारा में पुनः जोड़ना ऐतिहासिक
प्रियंक कानूनगो ने कहा कि किसी कारणवश स्कूली शिक्षा छोड़ चुकी 11-14 वर्ष की बच्चियों को पुनः शिक्षा की मुख्यधारा में लाने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमति स्मृति ईरानी द्वारा “कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव” के नाम से शुरू किए गए महत्वकांक्षी अभियान की बदौलत आज 1 लाख बच्चियां शिक्षा की मुख्य धारा में शामिल हो चुकी हैं। आयोग उनके इस प्रयास की सराहना करता है और साथ इन बच्चियों का जीवन संवारने के इस प्रयास के लिए धन्यवाद ज्ञापित करता है। इसके साथ ही मंत्रालय द्वारा “पोषण ट्रेकर एप्प” के माध्य़म से जिस प्रकार प्रवासी मजदूरों के बच्चों को आंगनबाड़ी की सुविधा प्रदान की जा रही उससे बच्चों के पोषण स्तर में सुधार में आशातीत मदद मिल रही है। उन्होंने बाल संरक्षण एवं बच्चों के साथ हो रहे मानवीय दुर्व्यहारों के खिलाफ अभियान चलाया गया है। इस कार्य में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी वर्करों का भी सहयोग प्राथमिकता पर लिया जा रहा है।
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