- एएसआई को अपनी सर्वे रिपोर्ट 2 सितंबर तक कोर्ट में जमा करनी हैं, बुधवार को भी सर्वेक्षण किया जाएगा
- दीवार पर बने निशान, रंगाई-पुताई में इस्तेमाल सामग्री, ईंट-पत्थर के टुकड़े व दीवार की चिनाई में इस्तेमाल सामग्री के नमूने बतौर साक्ष्य जुटाए गए
क्या है जीपीआर
बता दें, इस सर्वे को लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लगातार एक ही बात कही जा रही है कि एएसआई परसिर में बिना किसी चीज को नुकसान पहुंचाए सर्वे का काम पूरा करें। यही वजह है कि सर्वे को पूरा करने के लिए एएसआई एक तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है जिसे ग्राउंड पेनेट्रेटगिं रडार (जीपीआर) कहते हैं. जीपीआर का इस्तेमाल पहली बार भारत में नहीं हो रहा है. भारतीय सेना इसका इस्तेमाल समय-समय पर करती रहती है. खनन क्षेत्र में भी इसका काफी इस्तेमाल होता है. कोयला खानों में इसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है. इसके साथ सोने-चांदी के अलावा लोहा जैसी धातुओं की खोज के लिए भी इसका उपयोग होता है. जीपीआर सर्वे के जरिए गुजरात के धौलावीरा में करीब 3 हजार साल पुरानी सभ्यता के सबूत मिले थे. जीआरपी के साथ इस सर्वे में गांधी नगर आईआईडी के विशेषज्ञों ने भी बड़ी भूमकि निभाई थी. जीआरपी के जरिए थ्रीडी नक्शा बनाकर विशेषज्ञों की खोज में मदद की थी. जीपीआर तीन स्टेप में काम करता है और उसके बाद यह तकनीक जमीन के नीचे का नक्शा बना देता है. यह तकनीक बहुत हद तक हमारी आंखों की तरह काम करती है. जैसे कोई रोशनी किसी चीज से टकराकर हमारे रेटीना तक आकर हमारे दिमाग में उसका एक चित्र बना देती है. जीपीआर तकनीक के पहले चरण में ट्रांसमीटर या ट्रांसमीट एंटीना के जरिए जमीन के अंदर तरंगें भेजी जाती हैं. यह रेडियो तरंगे जमीन के अंदर चीजों से टकराकर वापस लौटती हैं. जमीन के अंदर सभी तत्वों की भूकंपीय ऊर्जा अलग-अलग होती है. जमीन के अंदर तरंगें भेजने के बाद एक रिसीविग एंटीना या रिसीवर के जरिए इनको वापस कैद किया जाता है. जब एंटीना के तरंगों को प्राप्त किया जाता है तो कंप्यूटर की मदद से उसके डाटा को प्रोसेस किया जाता है. इससे एक आभासी चित्र बनाया जाता है. यह तरंगें सबसे पहले जीपीआर के जरिए रेडियो तरंगों को जब जमीन के अंदर भेजा जाता है तो सभी तरंगों की फ्रीक्वेंसी अलग-अलग होती है और इन तरंगों की ताकत भी अलग-अलग होती है. जो तरंगें बहुत शक्तशिली होती हैं वह पक्का फर्श हो, पाइप हो, तारों का जाल हो या चूने के पत्थर हों, यह तरंगें सबको पार कर जाती हैं. जब यह तरंगे वापस लौटती है तो सेंसर को जरूरी डाटा देती है. जीपीआर से निकलीं ये तरंगें चट्टान, पानी, कच्ची मिट्टी, ढांचों की पहचान कर लेती हैं. ये विशेषज्ञों को तत्व की रासायनिक बनावट और उसके आकार-प्रकार के बारे में डाटा देती हैं. तरंगें खाली जगह को तेजी से पार कर जाती हैं तो सख्त जगह को कम गति से इन तारों के गति और ऊर्जा को कितना नुकसान पहुंचा, इससे विशेषज्ञों को महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है.
गुंबद पर चढ़ने के प्रयास मामले की जांच
सीढ़ी के सहारे ज्ञानवापी के गुंबद पर चढ़ने का प्रयास करने वाले युवक की पहचान की जाएगी। इसकी जांच पुलिस कर रही है। चौक थाना प्रभारी शिवाकांत मिश्रा ने कहा कि वीडियो की जांच करवाई जा रही है। पहचान के बाद बाद कार्रवाई होगी। दरअसल, सोमवार को सर्वे खत्म हुआ तो एक युवक सीढ़ी के सहारे गुंबद पर चढ़ने का प्रयास करता दिखा। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। हिंदू पक्ष की तरफ से आपत्ति दर्ज कराई गई। कहा गया कि सर्वे खत्म होने के बाद गुंबद की तरफ जाना ठीक नहीं है। भले ही कोई प्रतिवादी ही क्यों न हो, मामले की जांच कराकर कार्रवाई की जानी चाहिए। सर्वे टीम धार्मिक भावनाओं का ख्याल भी रख रही है। टीम के जो भी सदस्य गुंबद की जांच करने पहुंचे, उनके पैरों में चप्पल और जूता नहीं दिखा। कमेटी के पदाधिकारी बिना चप्पल और जूते के नजर आए। सर्वे का दृश्य कैमरों में कैद हुआ है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
तहखाने में मिले मलबे की गहनता से जांच होगी
आज तीनों गुंबद और व्यास जी के तहखाने का सर्वे किया गया, जिसमें स्केचिंग, फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, थ्रीडी इमेजिंग और कार्बन कॉपी तैयार की गयी। सूत्रों के अनुसार टीम इसके अलावा व्यास जी के तहखाने में मिले मलबे की भी जांच करेगी। ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कर रही एएसआई की टीम बारीकी से परिसर के एक-एक हिस्से का सर्वे आगे बढ़ा रही है। अभी परिसर की दीवारों, पश्चिमी दीवार, परिसर के गुंबदों, तहखाने की मैपिंग करवाई गई है। इस मैपिंग, स्केचिंग और फोटोग्राफी के बाद अब थ्रीडी इमेजिंग का काम शुरू हो गया है जो आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ कर रहे है। एएसआई बारीकी से पेपर वर्क कर रही है और रिपोर्ट तैयार कर रही है। एएसआई टीम को 4 यूनिट में बांटा गया है। इसमें 10-10 सदस्यों की 3 टीमें तीनों गुंबदों की इमेजिंग और मैपिंग कर रही है।
श्रृंगार गौरी मामले में आज होगी सुनवाई
ज्ञानवापी एएसआई सर्वे के बीच अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने श्रृंगार गौरी मूल वाद में आवेदन जिला जज क़ी अदालत में आवेदन देकर कहा है कि मीडिया उन स्थानों कि तथ्य हीन रिपोर्टिंग कर रहा हैं जिनका सर्वे अभी शुरू ही नहीं हुआ। इसी को लेकर अदालत से प्रार्थना की गई है कि तथ्यहीन रिपोर्टिंग से मीडिया को रोका जाय। अदालत ने मामले में अन्य पक्षकारों से आपत्ति तलब करते हुए सुनवाई की तिथि नौ अगस्त नियत कर दी है, उधर जिला जज की अदालत में श्रृंगार गौरी मूल वाद में राखी सिंह की तरफ से दिए उस आवेदन पर भी सुनवाई होनी है। जिसमे ज्ञानवापी परिसर को सुरक्षित व संरक्षित करने की मांग की है। इस मुद्दे पर अंजुमन इंतजामिया ने आपत्ति देने के लिए कोर्ट से पिछली तारीख पर समय माँगा था, अदालत में ज्ञानवापी परिसर को सुरक्षित व संरक्षित करने के मुद्दे पर बहस सुनेगी फिर आदेश आने के आसार है।
ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद का हस्ताक्षर अभियान शुरू
ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद 1986 से हर साल माता श्रृंगार गौरी का सामूहिक दर्शन एवं विधि विधान से पूजा कर रही है. इसे हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से एक लाख लोगों तक पहुंचने की कोशिश होगी. इसकी शुरूवात हो चुकी है। हस्ताक्षर अभियान का शुभारंभ कांची कामकोटि के पीठाधेश्वर शंकराचार्य जगतगुरु विजयेंद्र सरस्वती ने किया. बता दें कि ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद का गठन बरसों पहले अशोक सिंघल ने किया था. ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद गठन करने का मकसद ज्ञानवापी परिसर की मुक्ति के साथ अन्य धार्मिक स्थलों की पुराने गौरव को वापस लौटाना है. ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद ने तय किया है कि ज्ञानवापी परिसर के साथ ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, कृत्तिवासेश्वर ज्योतिर्लिंग, लाट भैरव, बिंदू माधव (माधव राव का धरहरा) का पुनरोद्धार करने के लिए भी प्रयास करना चाहिए. अभियान पूरा होने के बाद एक लाख हस्ताक्षर सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचाया जाएगा. चीफ जस्टिस का ध्यान आकर्षित कराया जाएगा कि हिंदू आराध्य स्थलों के साथ ऐतिहासिक क्रूरता और बर्बरता का संज्ञान लेते हुए इंसाफ दिलाने की कार्रवाई करें. ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद की सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से मांग है कि किसी सक्षम एजेंसी से सभी स्थलों का वैज्ञानिक परीक्षण कराएं. सभी मामलों की रोजाना सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय का गठन भी करें. ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद हिंदू समाज को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया है. अब एक बार फिर एक लाख हिंदुओं तक पहुंचकर हिंदू समाज को अभियान का उद्देश्य बताया जाएगा.
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