मुझे किसी ने कश्मीर की यह घटना दो-तीन साल पहले सुनाई थी।आप भी ध्यान से सुनिए:
कश्मीर घूमने की गर्ज़ से चार-पांच युवक सप्ताह-भर के लिए कश्मीर गए और वहाँ एक हाउस-बोट में ठहरे।दिन में घूमने निकल पड़ते और शाम को हाउस-बोट में आजाते। एक रात उनके दरवाज़े पर खड़-खड़ की आवाज़ हुई।खिड़की का पर्दा हटाकर देखा तो वे सकते में आ गए।लगभग चार व्यक्ति मुंह ढके हाथों में बंदूकें लेकर कमरे के अंदर घुसने का प्रयास कर रहे थे।वे निश्चित तौर पर आतंकवादी थे।इधर,कमरे के अंदर जवानों ने भी कमर कस ली और दुश्मन से भिड़ने के लिए तैयार हो गए।सभी ने कमरे के अंदर अपनी-अपनी पोजीशन ले ली। जैसे ही आतंकवादी दरवाज़ा तोड़कर भीतर कमरे में घुसे, ताक में बैठे सैलानी उनपर एक साथ झपट पडे। मैन-टु-मैन फाइटिंग हुई।दो एक राउंड फायरिंग भी हुई।लगभग 20 मिनट की गुथमगुथा झड़प और फाइटिंग के बाद सैलनियों ने उनकी बंदूकें छीन लीं और उन्हें बंधक बनाया।इस लोमहर्षक कार्रवाई में सैलानियों के एक साथी को गोली भी लगी और वह बुरी तरह से जख्मी भी हुआ। जानते हैं वे सैलानी कौन थे?वे इज़राईल के जांबाज़ युवक थे।इज़राईल में हर व्यक्ति के लिए मिलिट्री ट्रेनिंग अनिवार्य है।इसी ट्रेनिंग की वजह से इन युवकों ने आतंकियों के न केवल दांत खट्टे किये अपितु धर दबोचा भी।इज़राईल से हमें सीख लेनी चाहिए।समय आ गया है जब हमारे देश में भी आत्मरक्षा के लिये हर युवक-युवती को सैन्य शिक्षा दी जानी चाहिये।
डॉ० शिबन कृष्ण रैणा
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