बताते चले कि स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत कार्यरत वैक्सीन कुरियर की हड़ताल के समर्थन में बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष आक्रोश पूर्ण प्रदर्शन गुरुवार को किया. प्रदर्शन का नेतृत्व जिला अध्यक्ष विनोद यादव एवं संयुक्त मंत्री सुमन कुमारी ने किया.वैक्सीन कुरियर संघ अपनी मांगों को लेकर 18 जुलाई से ही अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं.चिकित्सा संघ ने इनके हड़ताल का समर्थन करते हुए कहा कि वैक्सीन कुरियर 10 मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है. इनके हड़ताल पर चले जाने से आरोग्य दिवस पर होने वाले नियमित टीकाकरण कई स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गई है. सरकार इनके वाजिब मांग पर विचार कर जन हित में हड़ताल को वापस करावे, अन्यथा बाध्य होकर चिकित्सा संघ भी आंदोलन करेगा.हड़ताली कुरियर ने बताया कि वैक्सीन के प्रत्येक बक्से पर 90 रुपए ही मिलता है.इस महंगाई में यह राशि ऊंट के मुंह में जीरा के समान है. पारिश्रमिक राशि वृद्धि करने का समझौता विगत हड़ताल में किया गया था, जो आज तक लागू नहीं किया गया है.राज्य सरकार वैक्सीन कुरियर के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है.राज्य सरकार के वादाखिलाफी के कारण हम सभी को हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होना पड़ा है. टीकाकरण को सफल बनाने में वैक्सीन कुरियर की अहम भूमिका बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के महामंत्री सुबेश सिंह ने कहा कि, राज्य के अंदर टीकाकरण को सफल बनाने में वैक्सीन कुरियर की अहम भूमिका है.इनकी सेवाओं का ही प्रतिफल है कि राज्य में टीकाकरण राष्ट्रीय मानक के करीब पहुंच चुका है. तपती गर्मी हो या कंपकंपा देने वाली ठंड, कुरियर साइकिल से वैक्सीन का बक्सा लेकर टीकाकरण बूथ तक पहुंचता है, किन्तु प्रति बक्सा मात्र नब्बे रुपए उन्हें मजदूरी मिलती है.स्वास्थ्य विभाग में चलने वाले विभिन्न योजनाओं, अभियानों, कार्यक्रमो में वैक्सीन कुरियर को कार्य की उपलब्धता की गारंटी एवं स्कीम वर्कर मजदूर के रूप में इन्हें मान्यता मिलनी चाहिए.
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