नई दिल्ली, विस्तृत भाषाई स्वरूप, पौराणिक पहचान और पिछड़ापन के आधार पर मिथिला राज्य का निर्माण होना चाहिए। फेडरेशन ऑफ न्यू स्टेट के बैनर तले दिल्ली के जंतर-मंतर पर आयोजित धरना सभा कार्यक्रम में "मिथिला राज्य आंदोलन" का प्रतिनिधित्व करते हुए मिथिला लोकतांत्रिक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज झा ने मिथिला के सर्वांगीण और चहुंमुखी विकास के लिए मिथिला राज्य की स्थापना पर बल दिया। आयोजित कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रांतों के पृथक राज्य आंदोलनकारियों ने शिरकत की। मिथिला राज्य निर्माण के संदर्भ में अपना पक्ष मजबूती पूर्वक रखते हुए मोर्चा के अध्यक्ष मनोज झा ने कहा कि उक्त महत्वपूर्ण विषय पर मिथिला क्षेत्र सांसद और विधायकों की चुप्पी निराशाजनक है। जबकि मिथिला क्षेत्र में ब्रिटिश शासन काल में कई औद्योगिक इकाइयां स्थापित थी। जिन्हें एक सुनियोजित साजिश के तहत एक एक करके बंद कर दिया गया। जिससे मिथिला क्षेत्र की बौद्धिक प्रतिभा देश के अन्य प्रांतों में पलायन करने को बाध्य हुए। मिथिला क्षेत्र के विकास मद का चहुंओर दोहन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मिथिला क्षेत्र का विशिष्ट पौराणिक इतिहास रहा है। यहां के पौराणिक पहचान की स्थलों की उपेक्षा बदस्तूर जारी है। राज्य सरकार मिथिला क्षेत्र के साथ लगातार भेद भाव करती आ रही है। इस विशिष्ट मिथिला क्षेत्र को पिछड़ापन का टैग लेने को मजबुर कर दिया गया है। उन्होंने राज्य पुनर्गठन विधेयक के संविधान में अनुच्छेद (2) का हवाला देते हुए केन्द्र सरकार और उसके गृह मंत्रालय से मिथिला राज्य निर्माण का मार्ग शीघ्र प्रशस्त किए जाने का आग्रह किया।
गुरुवार, 31 अगस्त 2023
भाषाई स्वरुप, पौराणिक पहचान और पिछड़ापन के आधार पर हो मिथिला राज्य का निर्माण : मनोज
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