बिहार : महिलाओं को सांप्रदायिक हिंसा की राजनीति का शिकार और मुहरा बनाया जा रहा है : ऐपवा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 17 अगस्त 2023

बिहार : महिलाओं को सांप्रदायिक हिंसा की राजनीति का शिकार और मुहरा बनाया जा रहा है : ऐपवा

  • मणिपुर हिंसा में महिलाओं के शरीर को बनाया गया निशाना, सभी पर्सनल लॉ में महिलाओं के लिए न्याय व बराबरी की गारंटी हो
  • ऐपवा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक संपन्न, दिल्ली में होगा 9 वां राष्ट्रीय सम्मेलन, कार्यकारिणी की बैठक में कई राज्यों के प्रतिनिधियों की रही भागीदारी

aipwa-conference-patna
पटना 17 अगस्त, अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से आगामी 30 सितंबर-1 अक्टूबर 2023 को नई दिल्ली में संगठन का 9 वां राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने का फैसला किया गया है. बैठक की समाप्ति के उपरांत आज पटना में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ऐपवा की राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. रति राव ने कहा कि हमारा सम्मेलन महिलाओं पर बढ़ते फासीवादी शिकंजे के खिलाफ सावित्री बाई फुले व फातिमा शेख की इनकलाबी विरासत को आगे बढ़ाते हुए पूरे देश में न्याय व बराबरी के हक में महिलाओं की व्यापक एकजुटता कायम करने के उद्देश्य से किया जा रहा है. वहीं, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार की दमनाकरी नीतियों की सर्वाधिक मार महिलाओं पर ही पड़ रही है. सांप्रदायिक हिंसा की राजनीति का वे शिकार भी हो रही हैं और उन्हें मुहरा भी बनाया जा रहा है. मणिपुर में विगत 100 दिनों से जारी हिंसा में हम सबने देखा है कि किस प्रकार महिलाओं के शरीर का इस्तेमाल सांप्रदायिक राजनीति को बढ़ाने में किया जा रहा है. इसके पहले महिला पहलवानों के आंदोलन के दौरान भी हम सत्ता व भाजपा के असली चरित्र को देख चुके हैं. संवाददाता सम्मेलन में राजस्थान से प्रो. सुधा चौधरी, असम से प्रतिमा इंग्हपी और झारखंड से गीता मंडल भी उपस्थित थे.


ऐपवा नेताओं ने संवाददाता सम्मेलन में कहा

1. सांप्रदायिक उन्माद की लड़ाई में महिलाओं पर होने वाली हिंसा का राजनीतिक संरक्षण बंद होना चाहिए.

2. सभी प्रकार के पर्सनल लॉ और स्पेशल मैरिज एक्ट में महिलाओं के लिए न्याय व बराबरी का सुधार होना चाहिए.

3. महिला आरक्षण बिल पारित हो. वंचित व अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं को विशेष प्रतिनिधित्व मिले.

4. स्नातक तक लड़कियों की शिक्षा मुफ्त हो. सामाजिक सुरक्षा पेंशन का इंतजाम हो.

5. स्कीम वर्करों का स्थायीकरण हो. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए रोजगार का प्रबंध हो.

6. रसोई गैस की कीमत 500 रु. तय किया जाए. मोदी राज में रसोई गैस की बढ़ती कीमतों ने लोगों की कमर तोड़ दी है.

7. प्रवचकों-बाबाओं का राजनीति में हस्तक्षेप बंद किया जाए.


उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा शासन आजाद भारत का सबसे खौफनाक शासन है. बिलकीस बानो के बलात्कारियों को संस्कारी बताकर रिहा करना, लेव जेहाद का झूठा प्रचार, मनुस्मृति को वैधानिकता प्रदान करना आदि के जरिए महिला विरोधी कानूनों को जायज बताने की साजिश चल रही है. मणिपुर दौरे में शामिल रहे ऐपवा की नेता : विगत दिनों मणिपुर पहुंची एक जांच टीम में ऐपवा की नेता प्रतिमा इंग्हपी, कृष्णा वेणी (तमिलनाडु) और सुचेता डे (दिल्ली) शामिल रहे. यह टीम जल्द ही वहां की रिपोर्ट पेश करेगी. महिला अधिकारों पर गांव - गांव चल रहे अभियान : मोदी राज में महिलाओं पर लगातार बढ़ते हमले, हिंसा, बलात्कार, रसोई गैस के बढ़ते दाम आदि के खिलाफ ऐपवा की ओर से पूरे देश में गांव-गांव बैठकें आयोजित की जा रही हैं. बिहार में राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले 2 लाख सदस्यता का लक्ष्य रखा गया है. वहीं, झारखंड में एक लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य है. राष्ट्रीय सम्मेलन में लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए चलने वाले आंदोलनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाएगा. मुख्य रूप से शाहीन बाग आंदोलन, महिला पहलवानों, स्कीम वर्कर्स आंदोलन की नेताओं के शामिल होने की संभावना है। बिहार में आशाकर्मियों ने ऐतिहासिक आंदोलन किया और जीत हासिल की. उस आंदोलन में ऐपवा का लगातार समर्थन बना रहा. बिहार सरकार सभी आशाकर्मियों को मासिक 2500 रु. मासिक मानदेय को तैयार हुई है. आशा-रसाइेया व अन्य स्कीम वर्कर के चल रहे आंदोलन के प्रति ऐपवा मजबूती से अपनी एकजुटता जाहिर करती है.

कोई टिप्पणी नहीं: