- मणिपुर हिंसा में महिलाओं के शरीर को बनाया गया निशाना, सभी पर्सनल लॉ में महिलाओं के लिए न्याय व बराबरी की गारंटी हो
- ऐपवा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक संपन्न, दिल्ली में होगा 9 वां राष्ट्रीय सम्मेलन, कार्यकारिणी की बैठक में कई राज्यों के प्रतिनिधियों की रही भागीदारी
ऐपवा नेताओं ने संवाददाता सम्मेलन में कहा
1. सांप्रदायिक उन्माद की लड़ाई में महिलाओं पर होने वाली हिंसा का राजनीतिक संरक्षण बंद होना चाहिए.
2. सभी प्रकार के पर्सनल लॉ और स्पेशल मैरिज एक्ट में महिलाओं के लिए न्याय व बराबरी का सुधार होना चाहिए.
3. महिला आरक्षण बिल पारित हो. वंचित व अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं को विशेष प्रतिनिधित्व मिले.
4. स्नातक तक लड़कियों की शिक्षा मुफ्त हो. सामाजिक सुरक्षा पेंशन का इंतजाम हो.
5. स्कीम वर्करों का स्थायीकरण हो. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए रोजगार का प्रबंध हो.
6. रसोई गैस की कीमत 500 रु. तय किया जाए. मोदी राज में रसोई गैस की बढ़ती कीमतों ने लोगों की कमर तोड़ दी है.
7. प्रवचकों-बाबाओं का राजनीति में हस्तक्षेप बंद किया जाए.
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा शासन आजाद भारत का सबसे खौफनाक शासन है. बिलकीस बानो के बलात्कारियों को संस्कारी बताकर रिहा करना, लेव जेहाद का झूठा प्रचार, मनुस्मृति को वैधानिकता प्रदान करना आदि के जरिए महिला विरोधी कानूनों को जायज बताने की साजिश चल रही है. मणिपुर दौरे में शामिल रहे ऐपवा की नेता : विगत दिनों मणिपुर पहुंची एक जांच टीम में ऐपवा की नेता प्रतिमा इंग्हपी, कृष्णा वेणी (तमिलनाडु) और सुचेता डे (दिल्ली) शामिल रहे. यह टीम जल्द ही वहां की रिपोर्ट पेश करेगी. महिला अधिकारों पर गांव - गांव चल रहे अभियान : मोदी राज में महिलाओं पर लगातार बढ़ते हमले, हिंसा, बलात्कार, रसोई गैस के बढ़ते दाम आदि के खिलाफ ऐपवा की ओर से पूरे देश में गांव-गांव बैठकें आयोजित की जा रही हैं. बिहार में राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले 2 लाख सदस्यता का लक्ष्य रखा गया है. वहीं, झारखंड में एक लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य है. राष्ट्रीय सम्मेलन में लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए चलने वाले आंदोलनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाएगा. मुख्य रूप से शाहीन बाग आंदोलन, महिला पहलवानों, स्कीम वर्कर्स आंदोलन की नेताओं के शामिल होने की संभावना है। बिहार में आशाकर्मियों ने ऐतिहासिक आंदोलन किया और जीत हासिल की. उस आंदोलन में ऐपवा का लगातार समर्थन बना रहा. बिहार सरकार सभी आशाकर्मियों को मासिक 2500 रु. मासिक मानदेय को तैयार हुई है. आशा-रसाइेया व अन्य स्कीम वर्कर के चल रहे आंदोलन के प्रति ऐपवा मजबूती से अपनी एकजुटता जाहिर करती है.
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