वाराणसी : कम्युनिटी प्रोग्राम चलाकर समाज में कैंसर के प्रति जागरूकता पैदा करनी होगी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 22 अगस्त 2023

वाराणसी : कम्युनिटी प्रोग्राम चलाकर समाज में कैंसर के प्रति जागरूकता पैदा करनी होगी

  • कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के इलाज में जिला प्रशासन हर सम्भव सहयोग करेगा : एस राजलिंगम
  • पांच लाख महिलाओं तक पहुंच बनाने व उनका पंजीकरण व स्क्रीनिंग का लक्ष्य है : सत्यजीत प्रधान

Cancer-awareness-varanadi
वाराणसी (सुरेश गांधी) कैंसर नियंत्रण में स्क्रीनिंग एक महत्वपूर्ण निवारक उपाय है। जबकि वर्तमान में अधिकांश स्क्रीनिंग टेस्ट उच्च केंद्रों पर ही उपलब्ध हैं। खुशी की बात है कि महामना पं मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल स्क्रीनिंग अभियान चलाकर अब तक एक लाख से अधिक महिलाओं की कैंसर की जांच की है। लेकिन इस जानलेवा बीमारी पर पूरी तरह नियंत्रण पाने के लिए जरुरी है कि समाज में कम्युनिटी प्रोग्राम चलाकर न सिर्फ कैंसर के प्रति जागरूकता पैदा की जाएं बल्कि जांच का दायरा और बढ़ाया जाय। यह बातें जिलाधिकरी एस राजलिंगम ने कहीं। वे मंगलवार को महामना पं मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल में आयोजित ’माइलस्टोन आफ होप’ समारोह को मुख्य अतिथि के रुप में संबोधित कर रहे थे। बता दें, यह आयोजन अस्पताल द्वारा वाराणसी में घर-घर जाकर चलाएं गए स्क्रीनिंग अभियान के तहत एक लाख से अधिक महिलाओं की कैंसर जांच पूरी होने पर किया था। इसमें गर्भाशय ग्रीवा के मुख, मुंह और स्तन संबंधित कैंसर मुख्य रूप से शामिल हैं। खास बात यह है कि जांच के दौरान किसी भी महिला में कैंसर के लक्षण दिखने या कैंसर की संभावना होने पर उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में पंजीकृत कर इलाज शुरू कर दिया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि यदि महिलाएं स्वस्थ हैं तो परिवार सुरक्षित है। जब महिलाएं अपने स्वास्थ के प्रति जागरूक रहेंगी और सतर्क रहेंगी तो अपने परिवार की देखभाल भी बेहतर तरीके से कर पाएंगी। इसलिए कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के प्रति महिलाओं के साथ अन्य लोगों को जागरूक किया जाएं। क्योंकि आज कैंसर जैसी घातक जानलेवा बीमारी सबसे अधिक महिलाओं में देखी जा रही है। महिलाओं में स्तन कैंसर और बच्चेदानी में कैंसर के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसीलिए बहुत जरूरी हो गया है कि महिलाएं इसके बारे में जाने और सावधान रहें। जिलाधिकारी ने कहा कि कैंसर जैसी बीमारी के प्रति जागरूक हों और थोड़ा भी कुछ असामान्य दिखने पर डॉक्टर से जांच कराएं। शुरुआती दौर में ही इलाज संभव हो तो आर्थिक भार भी कम आता है। उन्होंने कहा कि कैंसर और कैंसर स्क्रीनिंग प्रक्रियाओं के बारे में जागरूकता से शीघ्र निदान और उसके बाद के उपचार और बेहतर परिणाम में मदद मिलेगी। जिलाधिकारी ने कैंसर जैसी बीमारी के शिकार महिलाओं के इलाज में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही कैंसर संस्थान के डाक्टरों और मेडिकल स्टाफ की प्रशंसा करते हुए कहा कि आप समाज के लिए बहुत बड़ा कार्य कर रहे हैं और इस कार्य में जिला प्रशासन हर कदम आपके साथ है। कैंसर का नाम सुनते ही इसका मरीज सहम जाता है और जीवन से निराश होने लगता है। ऐसी स्थिति में संसाधन से लेकर दवायें इलाज आदि में हर सहयोग के लिए जिला प्रशासन तत्पर है। उन्होंने कहा कि वाराणसी में कैंसर अस्पताल की शुरुआत होने से न केवल वाराणसी, बल्कि आस-पास के कई जिलों के कैंसर मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं, जिन्हें पहले मुंबई या दूसरे बड़े शहर जाना पड़ता था। अस्पताल के निदेशक डॉ. सत्यजीत प्रधान ने कहा कि अस्पताल आने वाले मरीजों को गुणवत्तापरक इलाज उपलब्ध कराने के साथ ही हमारा फोकस बीमारी की समय रहते पहचान के लिए स्क्रीनिंग अभियान पर भी रहता है। इसी को ध्यान में रखकर अस्पताल द्वारा व्यापक स्तर पर जांच अभियान चलाया जा रहा है, जो आगे भी जारी रहेगा। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल तथा सेंटर के डायरेक्टर सत्यजीत प्रधान सहित सभी सम्बन्धित डाक्टर और मेडिकल व अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।


एमपीएमएमसीसी एवं एचबीसीएच ने किया एक लाख महिलाओं की कैंसर जांच 

कैंसर संस्थान द्वारा महिलाओं में स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर व अन्य कैंसर के रोग की स्क्रीनिंग द्वारा पता लगाने और उसके इलाज का अभियान चलाया है। अब तक 1,03,616 महिलाओं तक पहुंच बनाकर उनकी स्क्रीनिंग की गयी, जिसमें 3194 पाज़िटिव पायी गयी हैं। जांच व इलाज की प्रक्रिया जारी है। लेकिन इलाज कराने के लिए केवल 1514 केसेज़ मैनेज किये जा सके है। अन्य लगभग 50 फीसदी महिलाओं ने इलाज कराने से इंकार कर दिया, जो चिंता का विषय है। यहां के ग्रामीण परिवेश में रहने वाली महिलाओं में जागरूकता की कमी के कारण तथा सामाजिक व्यवस्था व लोक लाज कारण बन रहा है। इनको इलाज के लिए तैयार करने हेतु कम्युनिटि प्रोग्राम चला कर काउन्सलिंग की नितांत आवश्यकता है। वाराणसी के विभिन्न ब्लाकों में यह अभियान चलाया जा रहा है। अगला पड़ाव पांच लाख महिलाओं तक पहुंच बनाने उनका पंजीकरण व स्क्रीनिंग का है। विभिन्न संस्थायें इस कार्य में बड़े पैमाने पर कार्यक्रम चला रही हैं। जैसे नैब इण्डिया की ओर से दो दृष्टिहीन नीतू गर्ग और कविता कुमारी थेरेपिस्ट और डिस्कवरी हैण्डस् का कोर्स करके कैंसर के क्षेत्र में अपनी सेवायें दे रही हैं। किसी भी बीमारी के प्रभावी प्रबंधन के लिए समय पर जांच अहम होता है। उक्त को ध्यान नें रखते हुए अस्पताल द्वारा अक्टूबर 2021 में इंडियन स्टडी फॉर हेल्दी एजिंग (ईशा) प्रोजेक्ट के तहत वाराणसी के 7 ब्लॉक, सेवापुरी, हरहुआ, काशी विद्यापीठ, अराजीलाईन, चिरईगांव, पिंड्रा एवं बड़ागांव में महिलाओं में होने वाले सामन्य कैंसर की जांच की शुरुआत शुरु हुई थी। अब तक इसके तहत कुल 1,03,616 लाख महिलाओं की जांच की जा चुकी है। जांच के दौरान 3194 महिलाओं में स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा के मुख एवं मुंह के कैंसर की आशंका होने पर उन्हें आगे की जांच के लिए एमपीएमएमसीसी एवं एचबीसीएच रेफर किया गया था, हालांकि इनमें से केवल 1514 ही महिलाएं जांच के लिए अस्पताल पहुंची। जांच के बाद केवल 8 महिलाओं में कैंसर के लक्षण दिखे और इन सभी मरीजों का इलाज भी शुरू कर दिया गया।


जांच व इलाज के लिए महिलाओं को आगे आना होगा

अस्पताल की मेडिकल ऑफिसर एवं “ईशा“ परियोजना की प्रमुख डॉ. रूचि पाठक ने बताया कि घर-घर जाने के बाद भी हमने देखा कि लोग जांच के लिए सामने नहीं आ रहे थे। वाराणसी के सभी 8 ब्लॉक में से 7 ब्लॉक में हमने कुल 759 कैंप्स आयोजित किए। इसमें 228291 महिलाएं जांच के लिए आयी, लेकिन जांच केवल 103616 महिलाओं ने ही कराया। शोध और आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि शुरुआती स्तर पर कैंसर की पहचान होने से न केवल बेहतर तरीके से इलाज किया जा सकता है, बल्कि पूरी तरह से बीमारी को खत्म भी किया जा सकता है। इसलिए हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक महिलाएं इस जांच अभियान का हिस्सा बने, ताकि बीमारी शुरू होने से पहले ही उसे नियंत्रित किया जा सके।    

कोई टिप्पणी नहीं: