कविता : तारे और हमारे सपने - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 13 अगस्त 2023

कविता : तारे और हमारे सपने


आसमान में तारे अनेक जैसे हमारे सपने अनेक,


कभी खिड़कियों से तो कभी छत के मुंडेरों से,


देखा तुमको अनेक बार, अनिमेष,


अंधेरी रातों में तुम चमकते मोती जैसे,


मैं अथक दौड़ी चली जाती, आसमान की ऊंचाइयों में,


हवाओं में खोकर सारी दुनिया भूल जाती मैं


जब निगाहें तुम पे जाती, ठहर सी जाती मैं,


सपनों में जब छा जाती मोटी अंधेरी रातें,


प्रभु, तुम रोज आते हो मन में उम्मीदों को जगाने






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अंजली शर्मा

मुजफ्फरपुर, बिहार

चरखा फीचर

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