- जब तक जनता में विश्वास और जमीन पर कार्यकर्ता नहीं होगा तब तक साथ खाना खाने और चाय पीने से कुछ होने वाला नहीं
विपक्ष के नेता हों या NDA के, जब तक जमीन पर उनके कार्यक्रम से जनता पर कोई फर्क नहीं पड़ता, तब तक 26 दलों के नेताओं के बैठने से बीजेपी को लोग वोट नहीं देंगे ऐसा नहीं है
समस्तीपुर के वारिसनगर में पत्रकारों से बातचीत में प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि मैं पहले दिन से उदाहरण देकर भी बताता हूं कि कई लोगों को लगता है कि 1977 में सारे विपक्षी दलों ने इंदिरा गांधी को हरा दिया। इस बात में सच्चाई नहीं है। आपातकाल देश में लागू नहीं होता, जयप्रकाश नारायण का आंदोलन नहीं होता तो सिर्फ विपक्षी पार्टी के एक होने से इंदिरा गांधी नहीं हार जाती। विपक्षी पार्टियों के पास जब तक कोई मुद्दा नहीं होगा, तब तक जितने पार्टी के नेता चाय पी लें, खाना खा लें या प्रेस कांफ्रेंस साथ में कर लें मे, उससे जमीन पर क्या फर्क पड़ने वाला है? सामान्य लोग जो गांवों में रहते हैं जिन्हें राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है और जो बीजेपी को वोट करते हैं उन्हें इस बात से कितना फर्क पड़ रहा है कि 26 दलों के लोग पटना में मिले इसलिए भाजपा को वोट नहीं देंगे। जनता को इन सबसे कोई लेना-देना नहीं है। जनता को इस बात से मतलब है कि उनके गांव में सड़क बनी की नहीं, भ्रष्टाचार खत्म हुआ कि नहीं रोजगार मिला की नहीं।
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