सीहोर : उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर होगा शहर के मोतीबाबा मंदिर का निर्माण - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 26 अगस्त 2023

सीहोर : उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर होगा शहर के मोतीबाबा मंदिर का निर्माण

  • मोती बाबा का चमत्कारी दरबार, मुट्ठी भर गेंहू के बदले इलाज

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सीहोर। शहर रेलवे स्टेशन मार्ग पर करीब 500 वर्षों पुराने देश के कोने-कोने से आने वाले हजारों श्रद्धालुओं की आस्था के केन्द्र मोती बाबा के मंदिर का उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर जीर्णाेद्धार होने वाला है। इसके लिए शुक्रवार को अब तक 75 से अधिक जीर्ण-शीर्ण हो चुके मंदिरों का जीर्णाेद्धार करने वाले आचार्य पंडित दुर्गा प्रसाद कटारे के मार्गदर्शन में वरिष्ठ समाजसेवी रुद्रप्रकाश राठौर, मोती बाबा मंदिर के पुजारी मदन पंडाजी,  पंडित प्रदीप समाधिया, पंडित शैलेश तिवारी और मनोज दीक्षित मामा के अलावा मंदिर की निशुल्क डिजाइन तैयार करने वाले इंजीनियर दिनेश प्रजापति सहित अन्य यहां पर मौजूद थे। इस मौके पर पंडित कटारे बाबा ने बताया कि मंदिर के पुजारी पंडा जी की चार पीढ़ी इस मंदिर की पूजा करती आ रही है, यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि शहर में देश का नाम रोशन करने वाले दो मंदिर है जिसमें प्राचीन गणेश मंदिर और मोती बाबा मंदिर है। जहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस मंदिर का सभी के सहयोग से आगामी दिनों में जीर्णाेद्धार किया जाएगा। इस मौके पर इंजीनियर श्री प्रजापति ने बताया कि पंडित श्री कटारे बाबा और समाजसेवी रुद्रप्रकाश राठौर की प्रेरणा से वह अब तक पांच मंदिरों का डिजाइन आदि निशुक्ल सेवा दे चुके है।  उन्होंने बताया कि प्रसिद्ध मोती बाबा का मंदिर टू-डी और थ्री-डी डिजाइन में करीब 2000 हजार स्कवायर फीट में किया जाएगा। करीब 50 लाख की लागत से बनाए जाने वाले इस भव्य मंदिर को महाकाल की तर्ज पर निर्मित किया जाएगा। मंदिर में गर्भ गृह का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन के साथ बैठने आदि की सुविधा प्रदान की जाएगी। जानकारी के अनुसार मोती बाबा का मंदिर एक दरबार है, जहां टाइफाइड जैसी बीमारी का इलाज होता है। दरबार लगाने वाले पंडा बाबा प्रतिदिन ऐसे सैकड़ों लोगों की पुकार सुनते हैं और मोती बाबा से प्रार्थना करते हैं कि उनका टाइफाइड ठीक कर दें। कमाल की बात यह है कि चमत्कारिक ढंग से टाइफाइड भी ठीक हो जाता है। इसके बदले में वे सिर्फ एक मुठ्ठी गेहूं लेते हैं। इस दरबार में पहुंचने वालों में ना केवल सीहोर जिले के लोग बल्कि आसपास के जिले जैसे भोपाल, रायसेन, विदिशा, राजगढ़, नर्मदापुरम, शाजापुर, देवास आदि के लोग भी सैकड़ों की तादाद में पहुंचते हैं। ये लोग अपनी बीमारी के बारे में पंडा बाबा को बताते हैं। पंडा बाबा उन्हें परहेज के बारे में बताते हैं और इलाज का तरीका भी बताते हैं। वहीं वरिष्ठ पत्रकार श्री समाधिया ने बताया कि प्रदेश ही नहीं देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते है और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। ऐसे होता है यहां पर इलाज: यहां पहुंचने वालों में सबसे अधिक संख्या उन लोगों की है, जिनके परिजनों को टाइफाइड हो गया है. कमाल की बात है कि जिन्हें टायफाइड होता है, उन्हें यहां नहीं लाना पड़ता है। देसी भाषा में टाइफाइड को मोतीझरा बोला जाता है। जब यह बीमारी बिगड़ जाती है तो पीलिया में कन्वर्ट हो जाता है। डॉक्टरी इलाज के बाद हालात नहीं सुधरे तो लोग यहां पहुंचते है।  इसके लिए उनको एक दिन पहले एक मु_ी गेहूं मरीज के ठीक सिराहने के नीचे रखना होता है. अगले दिन इसी गेंहू को लेकर वे मोती बाबा के मंदिर में चढ़ा देते हैं। यहां पंडा बाबा उनसे मरीज के हाल जानते हैं फिर बताते हैं कि मरीज को क्या-क्या नहीं खिलाना है और क्या खिलाना है. कलावा से बनी हुई एक बेल उनको दी जाती है। मंदिर में होने वाले हवन की भभूत भी निकाल कर दी जाती है और कहा जाता है कि तीसरे दिन आकर बताइएगा। 

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