प्रयागराज; 24 अगस्त : मेजर ध्यानचंद छात्र गतिविधि केन्द्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज में राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा आयोजित ‘ज्ञान पर्व’ के तीसरे दिन की शुरुआत 'अच्छी हिन्दी कैसे लिखें?' विषय पर आयोजित कार्यशाला से हुई। इस सत्र में बतौर विशेषज्ञ बसंत त्रिपाठी और कुमार वीरेंद्र जी उपस्थित थे। बसंत त्रिपाठी जी ने विषय पर बात करते हुए बताया कि समीक्षा का उद्देश्य क्या होना चाहिए। बसंत त्रिपाठी जी ने पुस्तक समीक्षा पर बात करते हुए समीक्षक की जिम्मेदारियों पर भी प्रकाश डाला। डॉ. कुमार वीरेंद्र ने कार्यशाला में कहा कि समीक्षा का काम यह है कि किसी कृति में नया क्या है। आज समीक्षाएं लिखी कम, लिखवाई ज्यादा जाती हैं। अगला सत्र 'स्त्री का राष्ट्र : साहित्य से समाज' विषय पर परिचर्चा का था। इस सत्र में प्रो. लालसा यादव, डॉ. सुप्रिया पाठक तथा अमिता शीरीं जी ने अपने विचार प्रकट किये। इस सत्र का संचालन दिव्या सिंह ने किया। इस सत्र में अमिता शीरीं ने कहा कि बाजार में ही राष्ट्र का निर्माण हुआ है और उसी में खत्म होगा...राष्ट्र अपने साथ राष्ट्रोन्माद लेकर चलता है। राष्ट्र बहुत उलझाने वाली संकल्पना है जिसमें औरत नहीं फिट बैठती है। डॉ. सुप्रिया पाठक ने अपनी मातृभाषा भोजपुरी में बचपन की एक संस्मरणात्मक कथात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से बताया कि एक गांव की स्त्री राष्ट्र के बारे में क्या सोचती है। प्रो. लालसा यादव जी ने विषय पर अपने विचार प्रकट करते हुए राष्ट्रवाद की अवधारणा पर बात की। उन्होंने कहा कि पुरुष को स्त्री के दुःख से खुद को जोड़कर देखना चाहिए तब कहीं स्त्री का राष्ट्रवाद और पुरुष का राष्ट्रवाद एक होगा। तीसरा सत्र संचार की नई प्रवत्तियां और मीडिया पर परिचर्चा का रहा। जिसमें डॉ. धनंजय चोपड़ा तथा डॉ. विनय विक्रम सिंह मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। इस सत्र का संचालन सचिन मल्होत्रा ने किया। डॉ. विनय विक्रम सिंह ने विषय पर अपने विषय प्रकट करते हुए संवाद किस तरह इंटरनेट पर निर्भर हो चुका है इसपर प्रकाश डाला।अगले वक्ता डॉ. धनंजय ने विषय पर बात करते हुए कहा कि किताबें संचार की दुनिया का सबसे महत्त्वपूर्ण उपकरण हैं।
गुरुवार, 24 अगस्त 2023
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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा आयोजित 'ज्ञान पर्व' - चौथा दिन
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा आयोजित 'ज्ञान पर्व' - चौथा दिन
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