वाराणसी : पलने में झूले बाबा विश्वनाथ, शान-ओ-शौकत से निकली पालकी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 30 अगस्त 2023

वाराणसी : पलने में झूले बाबा विश्वनाथ, शान-ओ-शौकत से निकली पालकी

  • सावन के अंतिम दिन किया गया बाबा का भव्य झूला श्रृंगार, दर्शन को उमड़े आस्थावान, हर हर महादेव से गूंजा परिसर 
  • पौने दो लाख श्रद्धालुओं ने किया दर्शन पूजन, डमरू और शहनाई वादन के बीच गर्भ गृह पहुंची पंचबदन चल रजत प्रतिमा

Baba-vishwanath-palki
वाराणसी (सुरेश गांधी) भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय मास सावन के अंतिम दिन बुधवार को श्री काशी विश्वनाथ का झूला श्रृंगार किया गया। इसके पूर्व बाबा विश्वनाथ को न सिर्फ पलने में झुलाया गया, बल्कि शान-ओ-शौकत के बीच चल रजत प्रतिमा को पालकी में बिठाकर शोभायात्रा भी निकाली गयी। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पालकी में सवार बाबा का दर्शन-पूजन किया। मंदिर के पुजारी श्रीकांत मिश्रा ने बताया कि परंपरा के अनुसार, सावन के अंतिम दिन बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा का भव्य श्रृंगार करके झूले पर रखकर झुलाया जाता है। मंदिर के पुजारी द्वारा बाबा के झूला श्रृंगार की भव्य आरती की जाती है। इसको देखने के लिए दूरदराज से श्रद्धालु श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में पहुंचते हैं। इसी कड़ी में मंदिर के सेवादार पुजारियों द्वारा बाबा का जय घोष करते हुए उनकी चल रजत प्रतिमा को पालकी पर बिठाकर टेढ़ी नीम स्थित महंत परिवार के आवास से लेकर मंदिर परिसर तक शोभायात्रा निकाली गयी। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ भक्तगण डमरू और शहनाई वादन के बीच हर हर महादेव के जयकारा लगा रहे थे। बाबा की प्रतिमा श्रृंगार भोग आरती के समय गर्भ गृह पहुंची, जहां उपस्थित श्रद्धालुओं ने हर-हर महादेव के नारे से बाबा को प्रणाम कर पालकी का स्वागत किया।


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इसके बाद इस प्रतिमा को गर्भ गृह के अंदर मंत्रोचार के बीच स्थापित किया गया। प्रतिमा की स्थापना के पश्चात गर्भ गृह के अर्चक पंडित टेकनारायण उपाध्याय और महंत परिवार के पुजारी ने इस प्रतिमा की भव्य आरती उतारी आरती। इसके पश्चात बाबा को झूले पर झुलाया गया। इस पूरी परंपरा को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी मंदिर परिसर में उपस्थित रहे। श्रीकांत मिश्रा ने बताया कि भारत विश्व गुरु है और इसका केंद्र काशी है। इस नगरी से अधिपति भगवान विश्वनाथ संसार को संचालित करते हैं। भगवान शिव की उपासना का विशिष्ट काल सावन माह है। इसमें उपासना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बाबा की नगरी काशी में सावन में हर सोमवार उनका अलग-अलग रूप श्रृंगार किया जाता है। हर सोमवार विशिष्ट श्रृंगार में अलग ही रंग नजर आता है जो भक्तों को मुग्ध व विभोर कर जाता है। श्रीकाशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष के अनुसार आध्यात्मिक सिद्धांत के अनुसार सावन में भगवान शिव की उपासना से मानव की कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान हो जाता है।

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